Lockdown in varanasi : रोज कमाने-खाने वालों के घरों में रसोई ठंडी पड़ी, चिंता में बीत रहा दिन
कोरोना से बचाव के लिए लॉकडाउन बेहद जरूरी है लेकिन घर से न निकल पाने के कारण रोज कमाने-खाने वालों के घरों में रसोई तो ठंडी पड़ी है।
वाराणसी, जेएनएन। कोरोना से बचाव के लिए लॉकडाउन बेहद जरूरी है लेकिन घर से न निकल पाने के कारण रोज कमाने-खाने वालों के घरों में रसोई तो ठंडी पड़ी है लेकिन पेट की आग धधक रही है। अन्न-भोजन की चिंता तो संक्रमण से बचाव के लिए सफाई व सैनिटाइजेशन की फिक्र है। दैनिक जागरण की हेल्पलाइन पर शुक्रवार को लोगों ने ऐसी ही तमाम चिंताएं साझा कीं। कई लोगों को सही जानकारी देने के साथ निराकरण का रास्ता बताया गया। तत्काल मदद पहुंचाने के साथ जिला प्रशासन को भी इससे अवगत करा कर समाधान कराया गया। कैसे बनेगा राशन कार्ड पांडेयपुर के होरी की चिंता रही की राशन कार्ड कैसे बन पाएगा। लॉकडाउन के कारण घर से बाहर जाने की मनाही है। आधार कार्ड तक नहीं है। उन्हें स्थानीय पार्षद से मिलने की सलाह दी गई। इस संबंध में पार्षद को भी बताया गया। भूख नहीं होती बर्दाश्त सारनाथ पर्यटक स्थल होने के साथ कई लोगों की जीविका पर्यटकों के भरोसे चलती हैं। लॉकडाउन के चलते लोगों के रोजी-रोटी बंद हो गए हैं। सड़कों के किनारे रहने वाले भूख से परेशान लोगों ने दैनिक जागरण से सहयोग की अपील की। दैनिक जागरण की सूचना पर पहुंचे जन कल्याण सेवा समिति सोसायटी के प्रबंधक संतोष सिंह पल्लू व होटल सिटी इन के विकास सिंह ने सारनाथ में आकाशवाणी, जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान के पास लंच पैकेट दिए। लंच पैकेट मिलते ही सहदेव ने कहा, साहब भूख, बर्दाश्त नहीं होती। रोज खाना देने का दिया भरोसा अशोक विहार कालोनी में निर्माणाधीन भवन में सानबार सेक, लिलिसा बीबी, तपन राय, दिनेश राय, संतोष राय काम करते हैं। दैनिक जागरण की पहल पर समाजसेवी कौशल सिंह ने लंच पैकेट दिया। उन्हें भरोसा दिलाया गया कि रोज खाने को लंच पैकेट मिलेगा। लॉकडाउन में संस्थाएं बनीं सहारा शिवपुर रेलवे स्टेशन पर रह रहे मजदूरों ने रेलवे कर्मियों की मदद से दैनिक जागरण से लंच पैकेट की मदद मांगी। दैनिक जागरण की पहल पर विधाता वेलफेयर ट्रस्ट के उज्जवल वर्मा ने रेलवे स्टेशन पर कई लोगों को लंच पैकेट देने के साथ पानी दिया। सत्यवती कहती हैं कि लॉकडाउन में समाजसेवी संस्था ही सहारा रह गया है। यदि संस्था के लोग लंच पैकेट नहीं देते हैं तो भूखे पेट रहना पड़ता। खाने का पैकेट देख आंख में आंसू पं. दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल के पास सड़क के किनारे रह रहे लोगों को स्माइल विंग फाउंडेशन के प्रवीण श्रीवास्तव ने दोपहर के साथ रात को खाने का पैकेट दिया। दोनों समय खाने का पैकेट मिलने से समदेयी की आंखों में आंसू आ गया। कहा कि हम तो किसी तरह दिन-रात बिता लेते हैं लेकिन बच्चों का क्या करें। भूख लगने के साथ रोने लगते हैं। घर में खत्म हो गया है राशन मछोदरी की उषा देवी कहती हैं कि घर में खाने के लिए कुछ नहीं है। घर में जो राशन था वह खत्म हो चुका है। लॉकडाउन के चलते घर से बाहर नहीं निकल पा रहीं हूं और न ही खरीदने के लिए पैसा है। यदि मेरी मदद हो जाए तो काफी राहत मिलेगी। नहीं मिल रहा मोबाइल नंबर मलदहिया में एक निर्माणाधीन अपार्टमेंट में बिहार के कई मजदूर रुके हुए हैं। मजदूर दशरथ प्रसाद का कहना है कि लॉकडाउन के चलते काम बंद है। मालिक ने पैसा दिया है लेकिन वे खाने को पर्याप्त नहीं है। यदि कोई मदद हो जाए तो ठीक है। मालिक का मोबाइल नंबर नहीं मिल रहा है। यदि कोई मदद नहीं हुई तो खाने का संकट पैदा हो जाएगा। असहायों में वितरित किया भोजन सोनिया के गुजराती गली में रोज कोई न कोई समाजसेवी संस्था भोजन देने पहुंच जाती थी। लेकिन शुक्रवार को दोपहर तक नहीं पहुंचा तो दैनिक जागरण की पहल पर मनोज कुमार सिंह के नेतृत्व में असहायों को भोजन का पैकेट वितरित किया गया। सहयोग करने वालों में संजय सिंह, विक्की सोनकर, छोटू विश्वकर्मा आदि थे। हेल्पलाइन पर आए 134 कॉल जागरण की हेल्प लाइन पर समस्याओं के संबंध में 134 कॉल व मैसेज आए। इसमें अन्न की जरूरत के साथ ही सफाई, पानी की दिक्कतों के बारे में लोगों ने सूचना दी। तमाम लोगों ने अन्न वितरण के लिए मदद भी मांगी।
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