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रंगभरी एकादशी पर बाबा का गौना, अखंड सौभाग्य की कामना संग गाए परंपरागत मंगल गीत

रंगभरी एकादशी की पूर्व संध्या पर गौरा को विदा कराने के लिए बाबा अपने गणों के साथ पहुंच गए। इस मौके पर महंत आवास बाबा के गणों की आवभगत में गुलजार रहा।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Thu, 05 Mar 2020 09:49 AM (IST)Updated: Thu, 05 Mar 2020 02:09 PM (IST)
रंगभरी एकादशी पर बाबा का गौना, अखंड सौभाग्य की कामना संग गाए परंपरागत मंगल गीत
रंगभरी एकादशी पर बाबा का गौना, अखंड सौभाग्य की कामना संग गाए परंपरागत मंगल गीत

वाराणसी, जेएनएन। रंगभरी एकादशी की पूर्व संध्या पर गौरा को विदा कराने के लिए बाबा अपने गणों के साथ पहुंच गए तो अगले दिन गुरुवार को भी गौना की परंपराओं का निर्वहन किया गया। इस मौके पर महंत आवास बाबा के गणों की आवभगत में गुलजार रहा तो मंगल गीतों से बाबा का गुणगान किया गया। गुरुवार को रंगभरी एकादशी के मौके पर बाबा की पालकी यात्रा निकाली जाएगी। परंपरा के अनुसार एकादशी के दिन गौरा की विदाई कराकर बाबा उन्हें कैलाश पर्वत ले जाते हैं।

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महंत आवास बुधवार को गौरा के मायके में परिवर्तित हो गया था। गौना की बरात लेकर पहुंचे बारातियों का फल, मेवा और ठंडई से पारंपरिक स्वागत किया गया। बाबा विश्वनाथ व माता पार्वती की गोदी में प्रथम पूज्य गणेश की रजत प्रतिमाओं को एक साथ सिंहासन पर विराजमान कराया गया। पूजन-आरती कर भोग लगाया गया। इसके बाद महिलाओं ने अखंड सौभाग्य की कामना से पारंपरिक मंगल गीत गाए। रंगभरी एकादशी के दिन पांच मार्च को मध्याह्न भोग आरती के बाद टेढ़ीनीम स्थित नवीन मंहत आवास पर सांस्कृतिक कार्यक्रम 'शिवांजली' का आयोजन होगा। शिवांजलि में काशी, दिल्ली, सुल्तानपुर, जौनपुर, मथुरा और अवध के कलाकारों द्वारा होली गीत व नृत्य नाटिका मंचित होगी। इसी दौरान भभूत की होली भी होगी।

समय से पूर्व होगी सप्तर्षि आरती और श्रृंगार भोग आरती

रंगभरी एकादशी पर गुरुवार को सप्तर्षि आरती और श्रृंगार भोग आरती समय से पूर्व होगी। श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्यकार्यपालक अधिकारी विशाल सिंह ने बताया कि सप्तर्षि आरती सात बजे की बजाय तीन बजे होगी। जबकि श्रृंगार भोग आरती 9.30 बजे होने वाली श्रृंगार भोग आरती शाम पांच बजे होगी।

रंगभरी का आयोजन एक नजर में

- प्रात: 3.30 से 4.30 बजे तक स्नान व पूजन 

- प्रात: 04.30 से 06.00 तक 11 वैदिक ब्राह्मणों द्वारा अभिषेक

- प्रात: 06.30 से 08.30 तक मातृका पूजन

- सुबह 08.30 बजे विशेष राजसी शृंगार आरंभ

- पूर्वाह्न 11.00 बजे भोग आरती के बाद मंहत आवास में पालकी दर्शन 

- दोपहर 12 बजे से सांस्कृतिक अनुष्ठान

- सायं 04.45 बजे महंत आवास से मंदिर के लिए पालकी यात्रा प्रस्थान

मंदिरों में होगी पुष्प और गुलाल की होली

काशी में रंगभरी एकादशी का अलग महत्व है। इस दिन बाबा व माता गौरा का गौना महोत्सव मनाने की विशेष परंपरा है। इसके अलावा विश्वनाथ मंदिर के साथ अन्य मंदिरों और शिवालयों में गुलाल और पुष्प की होली खेली जाती है। ख्यात ज्योतिषाचार्य पं. ऋषि द्विवेदी के अनुसार फागुन शुक्ल एकादशी तिथि पांच मार्च को सुबह 7.52 बजे लग रही है जो छह मार्च को सुबह 6.51 बजे तक रहेगी। काशी में रंगों की शुरूआत रंगभरी एकादशी से हो जाती है। मान्यता है कि इसी दिन भगवान शिव गौरा पार्वती का गौना करा कर अपनी नगरी काशी ले आए थे। इससे पहले वसंत पंचमी पर तिलक व महाशिवरात्रि पर विवाह की रस्में निभाई गई थीं। काशी में इस दिन श्रीकाशी विश्वनाथ विश्वेश्वर का अबीर-गुलाल से विधिवत पूजन-अभिषेक किया जाता है। सायंकाल शिवालयों में माता पार्वती संग भगवान शिव की गुलाल-पुष्प से होली होती है  और होलिकोत्सव आरंभ हो जाता है। 

रंगभरी एकादशी को ही प्राय: आमलकी एकादशी भी मनाई जाती है। शास्त्रों के अनुसार आमलकी एकादशी महापापों का नाश करने वाली है। यह मोक्ष व सहस्त्र गोदान का पुण्य फल देने वाली है। इस दिन आंवले के समीप बैठ कर भगवान का विधिवत पंचोपचार या षोडशोपचार पूजन कर पुरोहितों को दान दक्षिणा देना चाहिए। कथा श्रवण और रात्रि जागरण कर दूसरे दिन व्रत का पारन करना चाहिए।

बाबा के गौना बारात पर पुलिस की नजर

रंगभरी एकादशी पर श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर तक महंत आवास से निकलने वाली बरात पर पुलिस की नजर है।इसके लिए पुलिस अधिकारियों ने बुधवार को टेढ़ी नीम गेस्ट हाउस स्थित मंहत आवास से मंदिर तक पालकी यात्रा रूट का निरीक्षण किया। इस दौरान दुकानदारों से सहयोग करने का आग्रह किया। वहीं बड़ा देव से अलग बरात निकालने पर अड़े महंत परिवार के एक सदस्य को कड़े शब्दों में पुलिस ने चेतावनी दी। दशाश्वमेध एसओ सिद्धार्थ मिश्रा के अनुसार पूर्व के वर्षों में निकाली जा रही बरात के अलवा कोई दूसरा प्रयास किया तो धारा 144 के तहत कार्रवाई की जाएगी। उधर, टेढ़ी नीम गेस्ट हाउस स्थित आवास में महंत परिवार के तीनों शाखाओं के परिवार के सदस्यों की बैठक में एकजुटता दिखाते हुए सदियों से चली आ रही परंपरा को निभाने का संकल्प लिया गया। उनका कहना था कि प्राचीन समय से चली आ रही परंपरा में विग्रह भले ही बदलते रहे हों लेकिन आरती-पूजा और पालकी ढोने वाले कंधे वही रहते हैं। जो रंगभरी एकादशी पर बाबा की पालकी शोभायात्रा निकालेंगे।


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