माह-ए-रमजान : रोजेदारों ने अदा की रमज़ान के पहले जुमे की नमाज़, इबादत में झुके सिर
रमज़ान परवरदिगार की दी हुई नेअमत का नाम है रोज़ेदार को चाहिए कि वो सहरी में भले ही एक घुट पानी पीये या एक खजूर ही खाये मगर सहरी ज़रूर करें।
वाराणसी, जेएनएन। जो लोग सेहतमंद हैं, उन्हें किसी तरह का कोई मर्ज़ नहीं है, बावजूद इसके यदि वे जानबूझ कर रोज़ा नहीं रख रहे हैं, तो रब के नज़दीक सख्त गुनाहगार हैं। नबी-ए-करीम फरमाते हैं कि जो लोग जान जायेंगे की रमज़ान की कितनी फज़ीलत है तो उनकी ख्वाहिश होगी कि पूरे साल रमज़ान रहे। कुछ ऐसी ही तकरीर रमजान के पहले जुमे शुक्रवार को शहर की तमाम मस्जिदों में इमाम साहेबान ने की। मस्जिद रंग ढ़लवा नई सड़क में मौलाना जाहिद ने नमाज़ अदा करायी। नमाज़ से पहले उन्होंने तकरीर में कहा कि रोज़ा रखकर मोमिनीन झूठ से परहेज़ करे, नमाज़ की पाबंदी करें और सहरी ज़रूर खाये। उन्होंने कहा कि रोज़ा बेशक बुराईयों से हमें बचाता है, सही रास्ते पर ले जाता है। कहा कि रमज़ान परवरदिगार की दी हुई नेअमत का नाम है, रोज़ेदार को चाहिए कि वो सहरी में भले ही एक घूंट पानी पीयें या एक खजूर ही खायें मगर सहरी ज़रूर करें।
उन्होंने कहा कि नमाज़ एक फर्ज़ है और रोज़ा अलग फर्ज़ है इसलिए रोज़ा रखे तो नमाज़ भी अदा करें, ऐसा नहीं होना चाहिए कि रोज़ा तो रख रहे हैं मगर नमाज़ नहीं पढ़ रहे हैं। ऐसे ही मस्जिद अहनाफ में मौलाना मो. फैजानुल्लाह कादरी, शाही मस्जिद बादशाहबाग में मौलाना हसीन अहमद हबीबी, मस्जिद कम्मू खां डिठोरी महाल में मौलाना शमशुद्दीन, मस्जिद बुलाकी शहीद अस्सी में मौलाना मुजीब आलम, मस्जिद लाट सरैया में मौलाना ज़ियाउर्रहमान, मस्जिद लाटशाही में हाफिज़ हबीबुर्रहमान, मस्जिद लंगड़े हाफिज में मौलाना ज़कीउल्लाह असदुल कादरी, बड़ी मस्जिद सदर बाज़ार में मौलाना मेराज, जामा मस्जिद नदेसर मौलाना मज़हरुल हक़ ने नमाज अदा कराई। ऐसे ही मस्जिद उल्फत बीबी अर्दली बाज़ार, मस्जिद ज्ञानवापी, काली मस्जिद छित्तनपुरा, मस्जिद दायम खां, मस्जिद अस्तबल, मस्जिद कुश्ताबेगम, मस्जिद काश्मीरीगंज, मस्जिद अल्लू, मस्जिद नगीना, मस्जिद कमच्छा, मस्जिद गौसिया, मस्जिद विनायका, मस्जिद रज़ा, मस्जिद हबीबिया समेत तमाम मस्जिदों में नमाज़ियों का मजमा जुटा और लोगों ने नमाज़ अदा करके बुजूर्गो के दर पर फातेहा पढ़ा।
लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप