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काशी में गरजे थे अटल और राजनाथ को मिली थी संजीवनी

काशी में गरजे थे अटल बिहारी वाजपेयी और राजनाथ को मिली थी संजीवनी।

By JagranEdited By: Published: Thu, 16 Aug 2018 06:05 PM (IST)Updated: Thu, 16 Aug 2018 06:05 PM (IST)
काशी में गरजे थे अटल और राजनाथ को मिली थी संजीवनी
काशी में गरजे थे अटल और राजनाथ को मिली थी संजीवनी

विकास बागी, वाराणसी : 29 नवंबर 2005 को गाजीपुर में भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की हत्या कर दी गई थी। मौजूदा गृहमंत्री राजनाथ सिंह हत्याकांड की सीबीआइ जांच की मांग को लेकर वाराणसी जिला मुख्यालय पर अनशन शुरू कर दिया था। तब की सपा सरकार ने जांच से इंकार कर दिया और राजनाथ सिंह का धरना आमरण अनशन में बदल गया था। राजनाथ सिंह के धरने से पूर्वाचल से लेकर दिल्ली तक भाजपा के तमाम कद्दावर राजनेताओं में बेचैनी मच गई थी। इसी बीच भाजपा ने उत्तर प्रदेश में न्याय यात्रा निकालने का निर्णय लिया।

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पंद्रह दिन के राजनाथ सिंह के बेमियादी धरने व न्याय यात्रा को हरी झंडी दिखाने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी 14 दिसंबर 2005 को बनारस पहुंचे। जिला मुख्यालय पर सभा के बाद सपा के जंगलराज के खिलाफ न्याय यात्रा को झंडी दिखाकर रवाना किया। अटल बिहारी वाजपेयी को सुनने के लिए उस समय जन सैलाब उमड़ पड़ा था। सर्किट हाउस, जिला मुख्यालय से लेकर कचहरी तक तिल रखने की भी जगह नहीं थी। अटल बिहारी वाजपेयी की वाराणसी में यह अंतिम जनसभा थी।

अलग थे अटल के तेवर -

न्याय यात्रा में शामिल होने वाराणसी पहुंचे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के तेवर अलग थे। सपा सरकार पर अटल बिहारी ने हमला बोलते हुए कहा कि था अब यूपी में निर्णायक जंग होगी। हत्याओं का तांता लग गया है, जान की कोई कीमत नहीं रह गई है। यह सरकार रहेगी तो हत्याएं होती रहेगी। अब परिवर्तन का समय आ गया है, हत्याओं की सूची रोकनी होगी। एक नई सुबह के लिए युवाओं को आगे आना होगा। प्रदेश को बचाने के लिए नौजवानों को निर्णायक लड़ाई लड़नी होगी। एक ओर अटल बिहारी गरज रहे थे तो दूसरी ओर तालियों का शोर था। पार्टी के विधायक की हत्या के बाद राजनाथ के धरने के चलते भाजपा को फिर से संजीवनी मिल चुकी थी। हत्या से उपजे आक्रोश की लहर ने राजनाथ सिंह को राष्ट्रीय अध्यक्ष की कुर्सी पर पहुंचा दिया था। जब राजनाथ सिंह धरने पर बैठे थे तब भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष की कुर्सी लालकृष्ण आडवाणी के पास थी। कृष्णानंद की हत्या के बाद राजनाथ के पूर्वाचल में बढ़ते जनाधार को देखते हुए संघ ने राजनाथ के नाम पर मुहर लगाई। कहा जाता है कि अटल बिहारी वाजपेयी ने ही राजनाथ सिंह का नाम आगे बढ़ाया था।

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घर की रसोई तक खुद पहुंच जाते थे अटल जी-

एमएलसी अशोक धवन के परिवार से अटल बिहार वाजपेयी के पारिवारिक संबंध थे। अटल जी अशोक धवन के रथयात्रा स्थित आवास पर पांच बार आए थे। एमएलसी अशोक धवन ने उन दिनों को याद करते हुए बताया कि 1962 में उनके मकान का निर्माण हुआ था। सत्तर के दशक के बाद अटल जी जब भी वाराणसी आते, उनके यहां रात्रि प्रवास करते थे। दाल-रोटी सब्जी बड़े चाव से खाते थे। कभी-कभी तो खुद ही रसोई घर में पहुंच जाते थे।

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