वाराणसी में बोले राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र - 'मैं अपने पुराने दिन में लौट आया हूं'
राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा कि ब्रिटिश शासन में पाश्चात शिक्षा का बोलबाला था। देश के युवा दिगभ्रमित हो रहे थे। स्वतंत्र राष्ट्रीय नीति जीवन मूल्यों की स्थापना करने के लिए वर्ष 1921 में काशी विद्यापीठ की स्थापना की गई।
वाराणसी, जेएनएन। राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा कि ब्रिटिश शासन में पाश्चात शिक्षा का बोलबाला था। देश के युवा दिगभ्रमित हो रहे थे। स्वतंत्र राष्ट्रीय नीति, जीवन मूल्यों की स्थापना करने के लिए वर्ष 1921 में काशी विद्यापीठ की स्थापना की गई। इन्हीं उद्देश्यों के साथ नई शिक्षा नीति में युवाओं को राष्ट्रीय विचारधारा से जोड़ने के लिए बनाई गई है। नई शिक्षा नीति युवाओं को नवउन्मेशी साथ-साथ राष्ट्रीय संस्कार जगाने वाली भी है। शिक्षा का उद्देश्य अशिक्षा की जड़ता को दूर करना है। नई शिक्षा में ये सभी विशेषताएं मौजूद है।
वह गुरुवार को महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के शताब्दी वर्ष समारोह में बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। आनलाइन समारोह में जुड़े राज्यपाल ने कहा कि काशी विद्यापीठ की स्थापना भरतीय संस्कृतियों व जीवन मूल्यों की रक्षा के लिए की गई थी। स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान युवाओं में राष्ट्रीयता का अलख जगाने के लिए महात्मा गांधी, बाबू शिव प्रसाद गुप्त व डा. भगवान दास ने काशी में विद्यापीठ की स्थापना की संकल्पना की थी। यह संस्था स्वतंत्रता आंदोलन की नर्सरी रही है। चंद्रशेखर आजाद, आचार्य नरेंंद्र देव, आचार्य बीरबल, प्रो. राजाराम शास्त्री, प्रेमचंद्र जैसे अनेक महापुरुषों ने इस शिक्षा संस्थान को अलोकित किया है।
कहा कि शिक्षा का यह दौर परिवर्तनों व चुनौतियों का है। शिक्षा वह है जो जड़ता को दूर करे। तकनीकी, मानसिक व बौद्धिक शक्तियों का विकास करें। कुछ इसी सोच के साथ देश में नई शिक्षा नीति लागू की है। नई शिक्षा नीति में महात्मा गांधी के उद्देश्य व विचारों से भी ओतप्रोत है। नई शिक्षा नीति रटंत विद्या के स्थान पर जीवन व्यवहार को प्रेरित करने वाली है। कहा कि ज्ञान की कोई सीमा नहीं होती है। उन्होंने कहा कि विद्यापीठ में अध्ययन किया, इसे लेकर मुझे गर्व है, जहां से चंद्रशेखर आजाद, आचार्य बीरबल, पं. कमलापति त्रिपाठी, मुंशी प्रेमचंद्र जैसे पुरोधा निकले। उन्होंने कहा कि आज विद्यापीठ शताब्दी वर्ष समारोह मना रहा है। इस समारोह में जुड़कर विद्यापीठ में तमाम यादें जुड़ी हुई है।
कहा कि आज ऐसा लग रहा है कि मैं अपने पुराने दिन में लौट आया हूं। मेरे साथ पढ़ने वाले साथियों व गुरुजनों का चेहरा समाने दिखाई दे रहा है। बताया कि काशी का अर्थ है प्रकाश पुंज। काशी बाबा भोले नाथ के त्रिशूल पर टिकी हुई है। अविमुक्त काशी से आशय पाप से मुक्त काशी। उन्होंने कहा कि पं. विद्या निवास मिश्र ने अपनी किताब लिखे हैं कि शंभू व भवानी विराजते इस धरा है। यह धार्मिक नगरी के साथ-साथ शिक्षा का भी प्रमुख केंद्र रही है। संगीत, कला सहित अन्य क्षेत्रों में भी काशी का कोई जोड़ नहीं है। अध्यक्षता कुलपति प्रो. टीएन सिंह, संचालन डा. राहुल गुप्ता व धन्यवाद ज्ञापन कुलसचिव डा. एसएल मौर्य ने किया।