सवाल उठाया, जब सिपाही था तो जाति प्रमाणपत्र सही रहा और जब एसडीएम बना तो कैसे हुआ गलत
बलिया के श्याम बाबू ने बर्खास्तगी पर सवाल उठाया जब सिपाही था तो जाति प्रमाणपत्र सही था वहीं जब एसडीएम बना तो जाति प्रमाणपत्र कैसे गलत हो गया।
बलिया, जेएनएन। बैरिया क्षेत्र के इब्राहिमाबाद गांव निवासी 2016 के पीसीएस परीक्षा पास कर उपजिलाधिकारी बने श्याम बाबू की बर्खास्तगी से पूरे क्षेत्र में मायूसी का वातावरण है। वह फिलहाल लखनऊ में मौजूद हैं, उन्होंने इस कार्रवाई पर कई तरह का सवाल उठाया है। बातचीत में बताया कि मेरे सभी प्रमाणपत्र सही है। जातीय द्वेष के कारण मेरी सेवा समाप्त की गई है। मुझे सत्य पर पूरा भरोसा है, सत्य को परेशान किया जा सकता है पराजित नहीं। बहुत जल्द मेरे साथ न्याय होगा।
उन्होंने बैरिया तहसील के तत्कालीन तहसीलदार द्वारा मेरे सही प्रमाणपत्र को राजाज्ञा का हवाला देकर गलत प्रमाण दिया गया और मुझे सुने बिना तत्कालीन आयुक्त आजमगढ़ द्वारा मेरे खिलाफ निर्णय ले लिया गया है। मैने सरकार से संबंधित फोरम में अपील करने के साथ ही न्यायालय का शरण लिया है, कोरोना के चलते सबकुछ अस्त-व्यस्त है। जैसे ही न्यायालय का काम-काज सुुचारू रूप से चलने लगेगा, मुझे भरोसा है कि न्यायालय का निर्णय मेरे पक्ष में होगा। जिस प्रमाणपत्र के आधार पर मैने 15 वर्ष पुलिस में नौकरी की, वह कैसे गलत हो सकता है। सवाल उठाया, जब सिपाही था तो जाति प्रमाणपत्र सही था, वहीं जब एसडीएम बना तो जाति प्रमाणपत्र कैसे गलत हो गया। वह प्रमाण पत्र मैने कहीं से उठाकर नहीं लगाया, उसे जांच के बाद ही तहसील से जारी किया था।
खरवार समाज को जाति प्रमाण पत्र जारी करने की मांग
प्रादेशिक खरवार सभा की बैठक जलालीपुर स्थित खरवार भवन में हुई। इसमें जाति प्रमाण पत्र न जारी किये जाने समेत अन्य मुद्दों पर चर्चा की गई। राघवेंद्र प्रताप खरवार ने कहा कि समाज कल्याण विभाग द्वारा बार-बार के निर्देशों के बाद भी खरवार बिरादरी के लोगों का जाति प्रमाण पत्र जारी नहीं किया जा रहा है जो शर्मनाक व चिंतनीय है। कहा कि जाति प्रमाण पत्र के अभाव में खरवा समाज के छात्रों व लोगों को व कई प्रकार की सुविधाओं से वंचित होना पड़ रहा है। वक्ताओं ने शासन व प्रशासन का ध्यान आकृष्ट कराते हुए जनपद के सभी तहसीलों में जाति प्रमाण पत्र अविलंब जारी कराने की मांग की गई। इस मौके पर संतोष खरवार, प्रियांशु कुमार, सुनील खरवार, गौरी शंकर, राजीव खरवार, गिरजाशंकर, विष्णु खरवार, विनय खरवार, प्रदीप खरवार, अजय खरवार, अखिलेश खरवार आदि मौजूद थे।