बरसात ने धुली वाराणसी की हवा, मई माह से आरंभ हवा की गुणवत्ता में सुधार निरंतर प्रगति की ओर
बीते मई माह से सुधरती बनारस की हवा को तो बरसात ने धुलकर और भी साफ कर दिया है। जुलाई माह से ही एक-दो दिनों को छोड़ दिया जाय तो यहां का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआइ) ग्रीन जोन में बना हुआ है।
जागरण संवाददाता, वाराणसी : बीते मई माह से सुधरती बनारस की हवा को तो बरसात ने धुलकर और भी साफ कर दिया है। जुलाई माह से ही एक-दो दिनों को छोड़ दिया जाय तो यहां का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआइ) ग्रीन जोन में बना हुआ है। यानी एक्यूआइ 50 से नीचे चल रहा है और पूरा शहर बनारस राहत की सांस ले रहा है।
यहां की हवा में मई की शुरुआत से ही खतरनाक धूल के कणों की मात्रा कम होना शुरू हो गई थी। इक्का-दुक्का दिनों को छोड़ दिया जाय तो गर्मी और लू के दिनों में भी प्राय: हवा साफ होने से वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआइ) 100 से नीचे रहा। फिर तो जुलाई माह से लगातार ग्रीन जोन में चल रहा है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी कालिका सिंह बताते हैं कि शहर में इलेक्ट्रानिक और सीएनजी वाहनों की संख्या बढ़ने से धूल, धुएं की मात्रा में काफी कमी आई है। चल रहे अधिकांश निर्माण कार्य भी पूर्ण हो चुके हैं। नई बनी सड़कें व फ्लाईओवर के चालू होने से हवा की स्थिति में काफी सुधार हुआ है।
यूं बदलती गई हवा
केंद्रीय पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पोर्टल समीर पर प्रदर्शित एक्यूआइ कैलेंडर को देखें तो मई के प्रथम सप्ताह में ही शहर का एक्यूआइ ग्रीन जोन में पहुंच गया था और वायु गुणवत्ता सूचकांक 100 से नीचे आ गया था। इसके बाद जून माह में भी औसतन चार दिन हवा येलो जोन में पहुंची, वर्ना हरित ही रही। इनमें बहुत से दिन ऐसे भी आए जब एक्यूआइ 50 से भी कम स्तर पर रहा।
वायु गुणवत्ता सूचकांक 68 से 95 के बीच रही
आश्चर्यजनक कि सर्वाधिक प्रदूषित रहने वाला अर्दली बाजार क्षेत्र में भी मई माह में सिर्फ चार दिन, जून में चार दिन एक्यूआई 100 से कुछ ऊपर गया और येलो जाेन में वे दिन बीते लेकिन अधिकांश दिन ग्रीन जोन में ही बने रहे। इस दौरान यहां की वायु गुणवत्ता सूचकांक 68 से 95 के बीच रही। जुलाई माह से सभी क्षेत्रों में हवा ग्रीन जोन में रही, इनमें भी इक्का-दुक्का दिन ही ऐसे आए जब यह 50 से ऊपर गई। हां, अक्टूबर माह में अवश्य एक व तीन अक्टूबर को यह 100 से ऊपर चला गया था, शायद त्योहारी भीड़भाड़ की वजह से। शेष दिनों में यह 50 से नीचे ही रहा।
ग्रीन दीपावली मनाएं ताकि फिर वो नौबत न आए
बनारस बड़ी मेहनत से रेड जोन से ग्रीन जोन में आया है। यह बना रहे इसकी जिम्मेदारी बनारसवासियों की है। इसके लिए दीपावली में भी अलर्ट रहने की जरूरत है। यह तब होगा जब हम संकल्पित हो जाएं। त्योहारों का मौसम हैं, दीपावली आ रही है। दीप जलाएं, मिठाइयां खाएं-खिलाएं लेकिन कृपया कानफोड़ू पटाखों से बचें। कुल मिलाकर ग्रीन दीपावली मनाएं और अपने शहर को ग्रीन रखें। - पद्मश्री राजेश्वर आचार्य, अध्यक्ष, संगीत नाटक अकादमी उत्तर प्रदेश।