प्रो. बिहारी लाल शर्मा बने संस्कृत विवि के कुलपति, बोले- विश्वविद्यालय को बनाएंगे ब्रांड यूनिवर्सिटी
प्रो. बिहारी लाल शर्मा संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति बनाए गए हैं। वे लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विवि से एनओसी मिलते ही कार्यभार ग्रहण करेंगे। 22 या 23 अगस्त को 37वें कुलपति के रूप में उनके कार्यभार ग्रहण करने की संभावना है। नई जिम्मेदारी को लेकर प्रो. शर्मा ने कहा कि देश के सभी संस्कृत विश्वविद्यालयों के लिए यह संस्था माडल है।
वाराणसी, जागरण संवाददाता। राज्यपाल/कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय (नई दिल्ली) के प्रो. बिहारी लाल शर्मा को संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय का स्थायी कुलपति नियुक्त किया है। उनकी नियुक्ति कार्यभार ग्रहण करने की तिथि से तीन वर्षो के लिए की गई है। कुलाधिपति के अपर मुख्य सचिव डा. सुधीर एम बोबडे की ओर शनिवार को आदेश जारी होने के बाद स्थायी कुलपति की नियुक्ति को लेकर अटकलें समाप्त हो गईं।
संविवि के स्थायी कुलपति प्रो. हरेराम त्रिपाठी का तीन वर्षों का कार्यकाल 11 जून 2024 को समाप्त हो रहा था। इससे पहले 19 मई को उनकी नियुक्ति कविकुल गुरुकालिदास संस्कृत विश्वविद्यालय (नागपुर-महाराष्ट्र) के कुलपति पद पर हो गई। उन्होंने छह जून को कुलपति पद से इस्तीफा दे दिया था। इसे देखते हुए कुलाधिपति ने नियमित कुलपति की नियुक्ति होने तक काशी विद्यापीठ के कुलपति प्रो. आनंद कुमार त्यागी को संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति का अतिरिक्त चार्ज सौंपा है।
प्रो. त्यागी ने सात जून को संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति का पदभार ग्रहण किया था। प्रो. बिहारी लाल शर्मा 37वें कुलपति होंगे। बिलासपुर (हिमाचल प्रदेश) के मूल निवासी प्रो. शर्मा ने बताया कि लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विवि से एनओसी मिलते ही कुलपति पद का कार्यभार ग्रहण करेंगे। ऐसे में 22 या 23 अगस्त को कार्यभार ग्रहण कर सकते हैं।
संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय को बनाएंगे ब्रांड यूनिवर्सिटी
नवनियुक्त कुलपति प्रो. बिहारी लाल शर्मा ने कहा कि संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय प्राच्य विद्या की प्राचीनतम संस्था है। देश के सभी 18 संस्कृत विश्वविद्यालयों के लिए यह माडल संस्था के रूप में है। ऐसे में संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय को ब्रांड यूनिवर्सिटी के रूप में विकसित करना उनकी प्राथमिकता होगी। अंतरराष्ट्रीय स्तर की गरिमा वाले विश्वविद्यालय को केंद्रीय विवि का दर्जा दिलाने का भी प्रयास किया जाएगा। ‘जागरण प्रतिनिधि’ से बातचीत में उन्होंने बताया कि संस्कृत के विद्यार्थियों को रोजगार से जोड़ने के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप नए व्यावसायिक पाठ्यक्रम शुरू किए जाएंगे। स्ववित्तपोषित पाठ्यक्रमों से विवि की आर्थिक स्थिति जहां बेहतर होगी, वहीं छात्र संख्या भी बढ़ेगी। ज्योतिष, कर्मकांड, योग, दर्शन सहित अन्य प्राच्य विद्या का परामर्श केंद्र भी खोला जाएगा।
कहा कि विश्वविद्यालय को ई-गवर्नेंस को बढ़ावा दिया जाएगा। इसके तहत ई-लाइब्रेरी, सरस्वती भवन पुस्तकालय में करीब एक लाख दुर्लभ पांडुलिपियों का डिजिटाइजेशन कराने का भी प्रयास होगा। मूल रूप से बिलासपुर (हिमाचल प्रदेश) के निवासी शर्मा की प्रारंभिक शिक्षा भदोल ग्राम के प्राथमिक विद्यालय में हुई। झड़ूता राजकीय हाईस्कूल से उन्होंने मैट्रिक की। वर्ष 1987 में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से शास्त्री आनर्स (स्नातक) तथा वर्ष 1989 में दर्शन से आचार्य (स्नातकोत्तर) किया। इसके बाद आगे की शिक्षा के लिए श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय (नई दिल्ली) आ गए।
ज्योतिष से आचार्य, बीएड व पीएचडी की उपाधि लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विवि से ग्रहण की। आचार्य में उन्हें गोल्ड मेडल मिला था। नेट उत्तीर्ण करने के बाद वर्ष 1997 में यहीं प्राध्यापक नियुक्ति हो गए। पीएचडी की उपाधि वर्ष 1999 में मिली। 2015 से 18 तक ज्योतिष विभाग के अध्यक्ष रहे। वर्ष 2019 से चीफ प्राक्टर है। इसके अलावा आइक्यूएसी के डायरेक्टर, मध्य प्रदेश उच्च शिक्षा परिषद के सदस्य, भगवान दास आदर्श संस्कृत महाविद्यालय (हरिद्वार) की प्रबंध समिति के अध्यक्ष भी हैं। विभिन्न चयन समितियों के सदस्य हैं। प्रो. शर्मा की चार पुस्तकें तथा विभिन्न प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में कई लेख छप चुके हैं। दिल्ली संस्कृत अकादमी से प्रतिभा पुरस्कार सहित अन्य संस्थाओं के कई पुरस्कार व सम्मान मिल चुके हैं।
कुलपति बनने वाले प्रो. शर्मा एलबीएस के तीसरे प्रोफेसर प्रो. बिहारी लाल शर्मा ने लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय (एसएलबीएसआरएसवी) नई दिल्ली से कुलपति बनने वाले तीसरे प्रोफेसर है। इस विश्वविद्यालय के प्रो. मंडन मिश्र तीन जनवरी 1996 सं 23 अप्रैल 1999 तक कुलपति रहे। जबकि प्रो. हरेराम त्रिपाठी 12 जून 2021 से छह जून 2023 तक संपूर्णानंद संस्कृत विवि के कुलपति थे।