हलचल : संगठन ने डुबोई कांग्रेसी उम्मीद की लुटिया, प्रियंका ने खींच लिया था कदम
वाराणसी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने कांग्रेस प्रत्याशी अजय राय की हार ने कार्यकर्ताओं को उतना अचंभित नहीं किया जितना गठबंधन प्रत्याशी शालिनी यादव से पिछड़ जाने पर हुआ।
वाराणसी, [विनोद पांडेय]। हाई प्रोफाइल सीट वाराणसी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने कांग्रेस प्रत्याशी अजय राय की हार ने कार्यकर्ताओं को उतना अचंभित नहीं किया जितना की गठबंधन प्रत्याशी शालिनी यादव से पिछड़ जाने पर हुआ। कमजोर संगठन ने कांग्रेस के उम्मीदों की लुटिया डुबो दी। स्थानीय कांग्रेस संगठन के पदाधिकारियों की मठाधीशी को लेकर सक्रिय कार्यकर्ताओं में नाराजगी उभर कर सामने आने लगी है।
चुनाव परिणाम आने से पहले ही गुरुवार को कांग्रेस महानगर के उपाध्यक्ष शैलेंद्र सिंह ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने जिला व महानगर संगठन की कमजोरी पर नाराजगी जाहिर की। कहना था कि कई ऐसे बूथ थे जहां पर बूथ समितियां ही वजूद में नहीं थीं। परिणाम हुआ कि वहां पर कांग्रेस की चौकी ही नहीं लगी। घर-घर तक पहुंचने में भी कार्यकर्ताओं की कमी व संगठन की कमजोरी सामने आई। हालांकि यह अंदेशा कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व को पहले ही था। कांग्रेस महासचिव प्रियंका वाड्रा जब बनारस से चुनाव लडऩे के लिए संस्पेश बनाया तो उस वक्त अंदरखाने में कांग्रेस की रिसर्च टीम ने आकलन किया। रिपोर्ट में संगठन की कमजोरी उजागर हुई तो प्रियंका ने बनारस के चुनावी मैदान में उतरने के लिए बढ़ाए कदम को पीछे खींच लिया।
शीर्ष नेतृत्व ने भी की अनदेखी
पीएम मोदी के समाने कांग्रेस प्रत्याशी की मजबूती के लिए जितना सहयोग पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को करना चाहिए था उतना किया नहीं। प्रियंका वाड्रा ने भरोसा दिया था कि वह यहां पर डेरा डालेंगी और दो से तीन दिन तक प्रचार करेंगी। वहीं कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की बात करें तो उन्होंने सिर्फ बनारस ही नहीं पूरे पूर्वांचल की अनदेखी की है। रैली व जनसभा की मांग होती रही लेकिन आयोजन नहीं हो सका।
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