वाराणसी में सीवर लाइन की सफाई करेगी निजी कंपनी, 40-50 करोड़ रुपये वार्षिक व्यय होने का अनुमान
वाराणसी में सीवर लाइन की सफाई निजी कंपनी करेगी 40-50 करोड़ रुपये वार्षिक व्यय होने का अनुमान है। सीवर सफाई के लिए जिम्मेदारी सौंपने की तैयारी हो रही है।
वाराणसी, जेएनएन। नगर में सीवर सफाई व्यवस्था चुनौती बनी हुई है। अंग्रेजों के जमाने में बनी सीवर लाइन का अब तक उपयोग हो रहा है। यहां की संकरी गलियों में सीवर सफाई मुश्किल भरा कार्य है जो मैन पावर से जूझ रहे जलकल विभाग के लिए परेशानी का सबब है। यही वजह है कि सीवर ओवरफ्लो की शिकायत दूर करने में कई दिन लग जा रहे हैं। इसे देखते हुए जलकल विभाग एक ऐसा प्रस्ताव तैयार कर रहा है जिसे हरी झंडी मिली तो लखनऊ व गाजियाबाद की तर्ज पर सीवर सफाई का कार्य निजी कंपनी के हाथ में होगा।
यूपी सरकार ने गाजियाबाद, मुजफ्फरनगर, मेरठ, बुलंदशहर और गौतमबुद्ध नगर के सीवर नेटवर्क का ठेका बीए टैक कंपनी को दिया है। इसके लिए वार्षिक भुगतान करने की योजना बनी है। इन शहरों के लिए करीब एक सौ करोड़ वार्षिक व्यय होने का अनुमान है। प्रारंभिक कार्य बेहतर दिखाई दे रहा है। इसे देखते हुए वाराणसी जलकल विभाग ने भी मन बनाया है। प्रस्ताव तैयार हो रहा है। अनुमान के मुताबिक करीब 40 से 50 करोड़ रुपये वार्षिक व्यय होने का अनुमान है। इसमें सीवर सफाई से लेकर नालों को टैब करने वाले लिफ्टिंग पंप, एसटीपी सभी का संचालन शामिल रहेगा। अब तक नगर में सीवेज सिस्टम सुधार के लिए 330 करोड़ रुपये की योजना से वरुणापार में 124 किमी नई सीवर लाइन का काम हुआ है। इसमें गोइठहां में एक 120 एमएलडी का सीवेज शोधन प्लांट बना है। इसके अलावा सीवर व्यवस्था में सुधार के लिए जायका परियोजना के तहत 496 करोड़ से कार्य कराए गए हैं। इनमें चौकाघाट से कोनिया तक बड़ी सीवर लाइन, चौकाघाट, फुलवरिया व सरैयां में सीवरेज पंपिंग स्टेशन, दीनापुर में 140 एमएलडी का एसटीपी, गंगा किनारे पांच पंपिंग स्टेशन का पुनरुद्धार और सात किमी लंबे ओल्ड ट्रंक सीवर की सफाई शामिल है।
सीवर सफाई के लिए निजी कंपनी को जिम्मेदारी सौंपने की तैयारी
सीवर सफाई के लिए निजी कंपनी को जिम्मेदारी सौंपने की तैयारी हो रही है। इसका प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजा जाएगा। लखनऊ की तर्ज पर यहां भी कार्य होगा। अनुबंधित कंपनी सीवर सफाई से लेकर प्लांट संचालन का कार्य देखेगी।
- नीरज गौड़, महाप्रबंधक जलकल विभाग।