कृषि के फलक पर चमकी बलिया की बेटी प्रीति, दैनिक जागरण ज्ञानवृत्ति के लिए किया चयनित
गांवों में खेती किसानी को बढ़ावा देने के लिए युवाओं को प्रीति का प्रयास काफी रोचक लगेगा।
बलिया [सुधीर तिवारी]। गांवों में खेती किसानी को बढ़ावा देने के लिए युवाओं को प्रीति का प्रयास काफी रोचक लगेगा। आज के युवा जहां एक ओर शहरी चमक-धमक से प्रभावित होकर कृषि क्षेत्र से मुंह मोड़ रहे हैं वहीं गांव की बेटियां इस क्षेत्र में नित नए कीर्तिमान स्थापित कर रही हैं। कहते हैं योग्यता किसी का मोहताज नहीं होती। व्यक्ति के अंदर जज्बा हो तो निसंदेह सफलता कदम चूमती है। गांव की तंग गलियों से निकल कर किस तरह शोहरत कमाई जाती है, यह कोई डॉ. प्रीति उपाध्याय से सीखे। कृषि क्षेत्र में जेनेटिक्स और प्लांट ब्रीडिंग में डॉक्टरेट प्रीति उपाध्याय को 'पोषण संवेदी कृषि व महिलाओं की भूमिका' के लिए दैनिक जागरण ज्ञानवृत्ति के चयनित किया गया है। यह खबर मिलते ही जिले में खुशी की लहर दौड़ गई।
सोहांव ब्लाक के चौरा कथरिया (नरही) निवासी सूर्य नारायण उपाध्याय की पुत्री डॉ. प्रीति बालिकाओं के लिए यूथ आइकन से कम नहीं हैं। विभिन्न परिस्थितियों से लड़ते हुए आज आधी आबादी का सर फक्र से ऊंचा कर दिया है। प्रीति बताती हैं कि वह एक साधारण परिवार से रही हैं। सरस्वती बालिका विद्या मंदिर से प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण कर जीजीआइसी से इंटरमीडिएट व एसएमएमटीडी कालेज से बीएससी की परीक्षा प्रथम श्रेणी में पास की। इलाहाबाद एग्रीकल्चर इंस्टीट्यूट से एमएससी (एजी) की डिग्री हासिल करनेे के बाद वर्ष 2011 में जेनेटिक्स और प्लांट ब्रीडिंग में बीएचयू से डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त कर फिलहाल दिल्ली विवि मेें कृषि अनुवांशिकी की शोधार्थी हैं। इनकी कहानी किसी करिश्माई दास्तां से कम नहीं है। दैनिक जागरण डॉ. प्रीति उपाध्याय को उनके कार्य के लिए ज्ञानवृत्ति हेतु चयनित किये जाने से हर कोई आह्लादित है।
नवोन्मेषी तकनीकी की हैं पक्षधर
ज्ञानवृत्ति पुरस्कार के लिए चयनित डॉ. प्रीति कृषि क्षेत्र में नवोन्मेषी तकनीकी की पक्षधर रही हैं। खास कर धान की खेती के उन्नयन के लिए विशेष योगदान रहा है। यही नहीं विभिन्न प्रकार के दलहनी, तिलहनी फसलों के अलावा मक्का व सब्जी की खेती में नये तरीकों का प्रयोग व उसके बचाव के विभिन्न तरीकों को लोगों के सामने रख चुकी हैं। इसके अलावा नारी सशक्तिकरण पर समय पर फोकस करने का काम किया है। बाढ़ से बचाव के नीतिगत बदलाव की पक्षधर रहीं डॉ. प्रीति ने सरकार-सह-समुदाय केंद्रित दृष्टिकोण अपनाने की सिफारिश कर चुकी हैं।
एक दर्जन लेख हो चुके हैं प्रकाशित
करीब छह वर्षों के अपने पोस्ट-डॉक्टरल रीसर्च के दौरान दिल्ली विवि सहित भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, बीज अनुसंधान निदेशालय, भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान और चावल अनुसंधान निदेशालय में शोध कर चुकी हैं। इस दरम्यान इनके एक दर्जन से अधिक लेख व दो शोध मोनो ग्राफ भी प्रकाशित हो चुके हैं। इसमें टमाटर व सेहत की हरी पत्तियां-पालक खास चर्चित रहा है।