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बलिया जिले में बंदियों ने दिखाया जज्बा, जेल में बनाया सोख्ता, ताकि कल सुरक्षित रहे जल

जिला कारागार में 2019 में हुई बारिश में जिला कारागार में जलभराव के कारण तीन माह तक कैदियों को अंबेडकरनगर और आजमगढ़ की जेल में रखना पड़ा था। पिछली साल भी भरा लेकिन जेट पंप चलाकर स्थिति को नियंत्रित कर लिया गया था।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Wed, 09 Jun 2021 06:05 AM (IST)Updated: Wed, 09 Jun 2021 06:05 AM (IST)
जलभराव के कारण तीन माह तक कैदियों को अंबेडकरनगर और आजमगढ़ की जेल में रखना पड़ा था

बलिया [सुधीर तिवारी]। जिला कारागार में 2019 में हुई बारिश में जिला कारागार में जलभराव के कारण तीन माह तक कैदियों को अंबेडकरनगर और आजमगढ़ की जेल में रखना पड़ा था। पिछली साल भी भरा लेकिन जेट पंप चलाकर स्थिति को नियंत्रित कर लिया गया था। जलजमाव से प्रशासन को जलालत झेलनी पड़ी थी। अभी भी समस्या जस की तस है। अभी तक इससे मुक्ति मिलती नहीं दिख रही है। जेलर ने सार्थक पहल कर बंदियों की मदद से अंदर नियोजित तरीके से एक बड़ा गड्ढा तैयार करवाया है। नौ फीट गहरा, 14 फीट लंबा व 8 फीट चौड़ा इस गड्ढे पर आपातकाल के लिए आठ जेट पंप लगाए गए हैं। व्यवस्था इस तरह हुई है कि बारिश में पानी इसी गड्ढे में आएगा। इसके बाद मोटी पाइप के सहारे मुख्य नाले में चला जाएगा। यह पूरा काम जेल के अंदर बंदियों ने ही किया है। इस बार बारिश की संभावना को देखते हुए कार्य तेजी से चल रहा है। हर हाल में इसे बरसात से पूर्व तैयार कर लिया जाएगा।

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हर काम के लिए आठ-आठ की टीम

जल भराव से मुक्ति के बनाए गए इस सिस्टम को बनाने के लिए कामगार बंदियों में आठ-आठ की टीम बनाई गई है। इसमें मिस्त्री, मजदूर, बिजली मिस्त्री, पेंटिंग आदि की टीम शामिल है।

बंदियों को काम के हिसाब से मिलती मजदूरी

जेल को जलभराव से मुक्ति दिलाने के लिए इस काम में लगे बंदियों को काम के हिसाब से मजदूरी दी जाती है। इसमें 25 से लेकर तय 45 रुपये तक मजदूरी मिलती है। साथ ही खाने की बेहतर सुविधा दी जाती है।

जेल में बेकार पड़े सामग्री का हुआ उपयोग

जिला कारागार में जल भराव से मुक्ति के लिए उसके अंदर पड़े पुराने भवनों के ईंट, लोहे के गाटर, जाली एवं अन्य सामग्री का उपयोग किया गया है। साथ ही कुछ सामान बाहर से मंगाए गए है।

सीमेंट पाइप से मुख्य नाला में आएगा पानी

जेल के अंदर बने इस सिस्टम से जेट पंप से पानी निकलकर सीमेंटेड पाइप के माध्यम से मुख्य गेट के पास स्थित नाला में आएगा। इसकी ऊंचाई तीन फीट की जा रही है। ताकि नाला भरने के बाद भी पानी अंदर न जा सके।

बोले अधिकारी : जेल में बंदियों के बीच पारिवारिक माहौल बनाना पड़ा। वह कौन-काैन सा काम जानते है, इसके बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी ली गई। फिर टीम वर्क में काम को पूरा किया गया। तैयार किए गए गड्ढे से आसपास जल स्त्रोत भी ठीक रहेगा और जल भराव से भी मुक्ति मिलेगी। -अंजनी गुप्ता, जेलर, जिला कारागार।


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