वाराणसी में प्राचीनता और परम्परा के साथ आधुनिक तरीके से विकास : कोविंद
राष्ट्रपति आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी को बड़ी सौगात देने के साथ राज्यपाल राम नाईक की पुस्तक के संस्कृत अनुवाद का विमोचन करेंगे।
वाराणसी (जेएनएन)। पूर्व में पखवारे-पखवारे भर काशी प्रवास कर चुके रामनाथ कोविंद राष्ट्रपति बनने के बाद पहली बार सोमवार को यहां आए। बनारस में हो रहे बदलाव को उन्होंने एयरपोर्ट से लेकर शहर तक की सड़क यात्रा में महसूस कर मंच से इसका वर्णन भी किया। बोले-'बनारस बदलते भारत की तस्वीर है। लगातार बदलते रहने के लिए बदलाव को आत्मसात करना जरूरी है। यह शहर अपनी स्पिरिचुएलिटी के साथ स्मार्ट सिटी की ओर बढ़ रहा है।
राष्ट्रपति सुबह 11.05 बजे बाबतपुर एयरपोर्ट पहुंचे, जहां राज्यपाल राम नाईक व सीएम योगी आदित्यनाथ ने उनकी अगवानी की। एयरपोर्ट से कोविंद का काफिला सीधे बड़ालालपुर स्थित दीनदयाल संकुल पहुंचा। वहां आयोजित समारोह में राष्ट्रपति ने कहा कि प्राचीनकाल से ही वाराणसी शहर गंगा नदी पर विकसित जलमार्गों व सड़क परिवहन के जरिये उत्तर भारत को पूर्वी भारत से जोड़ता रहा। गंगा सभ्यता व संस्कृति के साथ व्यापार व विकास की धाराओं को प्रभावित व प्रवाहित करती रही। वर्तमान में जल परिवहन, ट्रेड कॉरीडोर और राजमार्गों के जरिये बनारस उत्तर के राज्यों के लिए पूर्वी भारत का प्रवेश द्वार बन रहा है। बनारस में चल रहे विकास कार्यों के पूर्ण होने के बाद पूर्वांचल के लोगों का जीवन सुविधाजनक होगा।
कोविंद ने कहा-'राष्ट्रपति बनने के पूर्व मैंने बनारस प्रवास के दौरान यहां खुले तार, बीच रास्ते बिजली के खंभे आदि देखे थे। अब मुख्यमंत्री से जानकारी मिली कि यहीं से अंडरग्राउंड केबिलिंग की शुरूआत हुई। यह जानकर अच्छा लगा। बिजली चोरी रोकने की दिशा में यह सराहनीय कदम है।
राष्ट्रपति ने कहा कि काशी को अनेक विभूतियों भगवान बुद्ध, कबीर, तुलसी, नानक व संत रविदास आदि ने प्रकाशित किया। बनारस ही वह धरा है जहां की पांच विभूतियों को भारत रत्न प्राप्त हुआ। यहां के सांसद ने पीएम का दायित्व ग्रहण किया। पीएम नरेंद्र मोदी वाराणसी के विकास के लिए प्रयत्नशील रहते हैं। बनारस को वह वैश्विक पटल स्थापित कर रहे हैं। यहां विदेशी राष्ट्राध्यक्षों के दौरे हो रहे हैं। मैं खुद पूर्व में कई बार बनारस प्रवास के चलते यहां की संस्कृति में ढल चुका था। यही वजह थी कि फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों को मैंने बनारस से जुड़ी पुस्तक भेंट की।
दीनदयाल हस्तकला संकुल में शिलान्यास व प्रमाणपत्र वितरण समारोह के बाद राष्ट्रपति सर्किट हाऊस आए। लंच के उपरांत पुन: संकुल गए और राज्यपाल की पुस्तक विमोचन समारोह में शामिल हुए। शाम करीब छह बजे एयरपोर्ट से वायु सेना के विमान से वे दिल्ली के लिए रवाना हुए।
बांटे नियुक्ति पत्र
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की उपस्थिति में दीनदयाल हस्तकला संकुल में कौशल विकास से जुड़े 1310 युवाओं को नौकरी का नियुक्ति पत्र दिया गया। इसमें दस युवाओं को राष्ट्रपति ने खुद नियुक्ति पत्र बांटा। इस दौरान कौशल विकास से जुड़ी प्रदर्शनी का भी राष्ट्रपति ने अवलोकन किया।
किया शिलान्यास
राष्ट्रपति ने संकुल के समारोह में ही 3473 करोड़ रुपये की लागत से 170 किमी लंबाई की सड़कों का शिलान्यास किया। इसमें वाराणसी से एमपी के बार्डर हनुमना तक तीन प्रोजेक्ट में 2118 करोड़ की लागत से कुल 125.165 किमी का फोरलेन और बनारस में 1355 करोड़ रुपये लागत का ङ्क्षरगरोड फेज 2 की सड़क शामिल है।
राज्यपाल की पुस्तक की प्रति भेंट
दीनदयाल हस्तकला संकुल में ही शाम को आयोजित दूसरे समारोह में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्यपाल की पुस्तक चरैवेति-चरैवेति के संस्कृत अनुवाद पुस्तक का विमोचन किया। इसकी पहली प्रति राष्ट्रपति को भेंट की गई। इस अवसर पर राष्ट्रपति ने राज्यपाल राम नाईक की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए कहा कि उनकी पुस्तक प्रेरणा प्रदान करती है।
जताई हैरानी
एनएचएआइ की सड़कों के शिलान्यास समारोह में परियोजनाओं को लेकर राष्ट्रपति ने हैरानी जताई। बोले, मुझे तो पता था कि सड़कों की दो परियोजना का शिलान्यास करना है। यहां तो पांच दिखाई पड़ रही है। चेयरमैन से पूछने पर पता चला कि एनएच 7 के तीन प्रोजेक्ट हैं और रिंग के दो। तब जाकर स्थिति स्पष्ट हुई।
NHAI की जिन परियोजनाओं का श्रीगणेश किया गया है वे वाराणसी और आस-पास के क्षेत्र की यातायात सुविधा को मजबूत एवं सुगम बनाएंगी। इससे, यहां के सभी निवासियों का जीवन अधिक सुविधा-जनक हो सकेगा, साथ ही विकास के नए अवसर पैदा होंगे।
राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि ‘नेशनल वाटरवे - वन’ गंगा-जल-मार्ग के जरिए वाराणसी को इलाहाबाद से लेकर पश्चिम बंगाल के हल्दिया तक के व्यापारिक केन्द्रों से जोड़ेगा। इस वाटरवे पर पटना और वाराणसी के बीच क्रूज वेसेल्स चलाने का काम शुरू कर दिया गया है। वाराणसी को आर्थिक विकास की धुरी बनाने के लिए यहां इन्फ्रास्ट्रक्चर और कनेक्टिविटी का तेजी से विकास किया जा रहा है। यहां बन रहे मल्टी-मोडल टर्मिनल के पास एक फ्रेट विलेज विकसित करने की योजना है।
इससे सड़क, रेल और जल-मार्ग के जरिए सामान ले जाना सुविधाजनक हो सकेगा। भारत सरकार गंगा-नदी की स्वच्छता और उसके तटों पर बसे क्षेत्रों के विकास को प्राथमिकता दे रही है। वाराणसी में ‘नमामि गंगे’ परियोजना के तहत सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट पर काम शुरू हो गया है और साथ ही घाटों के सुधार आदि का कार्य भी प्रगति पर है।
उन्होंने कहा कि सफाई के कारण अब गंगा-नदी के घाटों की सुंदरता दिखने लगी है। यह कार्य प्रधानमंत्री जी के आह्वान पर जन-भागीदारी से ही संभव हो सका है। मैं इस सराहनीय कार्य के लिए वाराणसी की जनता को बधाई देता हूं। वाराणसी का हस्त-शिल्प बहुत ही कलात्मक, और लोकप्रिय रहा है। बनारसी साड़ी और कालीन बनाने वालों का हुनर मशहूर है। हस्त-शिल्पियों को आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध कराने तथा उनके उत्पादों को बाज़ार से जोड़ने के लिए अनेक प्रकल्प चलाए गए हैं। लगभग एक लाख बुनकर भाइयों और बहनों को सुविधाएं देने का लक्ष्य है। यह हस्त-कला संकुल वाराणसी क्षेत्र के कारीगरों को सुविधा प्रदान करने, उनकी आमदनी बढ़ाने और नए रोजगार पैदा करने में सहायक होगा। मुझे विश्वास है कि वाराणसी की सांस्कृतिक आत्मा को बचाए रखते हुए यहां के प्रतिभाशाली लोग निकट भविष्य में ही इस शहर का आधुनिकतापूर्ण कायाकल्प करने में सफल होंगे। यह आध्यात्मिक नगरी, विकास के अवसरों की नगरी के रूप में भी प्रतिष्ठित होगी।
आज उनका वाराणसी में करीब पांच घंटे का प्रवास है। देश के शीर्ष पद पर आसीन होने के बाद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद आज पहली बार वाराणसी पहुंचे। राष्ट्रपति के आगमन को लेकर वाराणसी में कल देर शाम तक व्यापक स्तर पर तैयारी चलती रही। राज्यपाल राम नाईक कल दोपहर प्रशासनिक तैयारी का आंकलन करने के लिए पहुंचे। राज्यपाल कल ही वाराणसी पहुंच गए थे। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद आज यहां राज्यपाल राम नाईक की पुस्तक 'चरैवेति-चरैवेति' के संस्कृत अंक का विमोचन करेंगे। मंडलायुक्त दीपक अग्रवाल, डीएम योगेश्वर राम मिश्रा व सीडीओ सुनील कुमार वर्मा के अलावा कौशल विकास मिशन के निदेशक प्रांजल यादव कार्यक्रम स्थल पर तैयारी को फाइनल टच देने की कोशिश में लगे रहे।