काशी में प्रवासी देखेंगे 1964 में बना पहला इंजन 'कुंदन', स्वागत को तैयार डीरेका
वाराणसी में प्रवासियों के स्वागत के लिए डीरेका भी तैयार है। प्रवासी दिवस पर यहां आने वाले प्रवासी 1964 को डीएलडब्लू में पहली बार ब्राड गेज का बना डीजल इंजन कुंदन भी देख सकेंगे।
वाराणसी, जेएनएन। प्रवासी भारतीय दिवस में देश-विदेश से आने वाले प्रवासी भारतीयों के लिए डीजल इंजन रेल कारखाना (डीएलडब्ल्यू) ने अपने यहां पूरी तैयारियां कर रखी हैं। यहां पर रेल इंजनों के माध्यम से भारत की प्रगति के बारे में जानकारी दी जाएगी। डीएलडब्ल्यू के अधिकृत प्रवक्ता नितिन मल्होत्रा ने बताया कि हमें अभी कोई आधिकारिक सूचना नहीं मिली है फिर भी अगर कोई मेहमान आना चाहता है तो हम स्वागत के लिए तैयार हैं।
2014 में कर दिया रिटायर :
31 जनवरी 1964 को डीएलडब्लू में पहली बार ब्राड गेज का डीजल इंजन बना, इसका नाम कुंदन रखा गया। 2600 हार्स पावर शक्ति वाले इस इंजन ने 50 वर्ष तक भारतीय रेलवे के विभिन्न क्षेत्रों में कार्य किया। 2014 में इसको रिटायर कर दिया गया है। इस रेल इंजन को बड़ी खूबसूरती के साथ सेंट्रल मार्केट के पास रखा गया है।
हरक्यूलिय ,मिस मफत और महालक्ष्मी भी :
महाप्रबंधक कार्यालय परिसर के शानदार बगीचे में हरक्यूलिस, मिस मफत और महालक्ष्मी जैसे एक से बढ़ कर एक इंजन को प्रदर्शित किया गया है। जमालपुर लोको वक्र्स में 1908 में बने हरक्यूलिस इंजन को रिटायर होने के बाद 22 जून 1970 को डीएलडब्लू लाया गया। 170 हार्स पावर वाला यह इंजन तब से यहां पर गर्व से खड़ा है। यूनाइटेड किंगडम में 1935 में बने मिस फमत नामक इंजन छोटा सा है और भाप से चलता था। 1935 से 1984 तक यह कार्यरत था। अमेरिका में वर्ष 1944 में इस इंजन को जनरल इलेक्ट्रिक कंपनी ने बनाया था। 1976 तक इसने बखूबी भारतीय रेल की सेवा की।