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सन बर्न से हैं परेशान- प्रवाल पिष्टी व कैशोर गुग्गुल देगा निजात, चेहरे पर आएगा निखार

गर्मी के मौसम में धूप से चेहरे की त्वचा के जलने व झुलसने की समस्या आती है। जिसे सनबर्न कहते हैं। त्वचा रूखी और बेजान दिखाई देने लगती है।

By Vandana SinghEdited By: Published: Tue, 16 Apr 2019 06:01 PM (IST)Updated: Wed, 17 Apr 2019 10:52 AM (IST)
सन बर्न से हैं परेशान- प्रवाल पिष्टी व कैशोर गुग्गुल देगा निजात, चेहरे पर आएगा निखार

वाराणसी, जेएनएन। गर्मी के मौसम में धूप से चेहरे की त्वचा के जलने व झुलसने की समस्या आती है। जिसे सनबर्न कहते हैं। त्वचा रूखी और बेजान दिखाई देने लगती है। सन बर्न से प्रभावित हिस्सा गहरा लाल, काला या गहरा भूरा नजर आने लगता है। कभी-कभी जलन और दर्द महसूस होता है। छोटे-छोटे छाले या पानी वाले दाने भी हो सकते हैं।

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 आयुर्वेद के अनुसार सूर्य की किरणें गर्मी में अत्यधिक उष्ण हो जाती हैं जिससे लोगों में पित्त का प्रकोप होता है। यह कुपित पित्त , शरीर की त्वचा में स्थित भ्राजक पित्त को दूषित कर देता है जिससे त्वचा का वर्ण बदल जाता है। यही कारण है कि गर्मी में जब भी दिन में बाहर निकलें तो चेहरे को और शरीर को अच्‍छी तरह ढंककर निकलें।

राजकीय आयुर्वेद चिकित्सालय के काय चिकित्सा विभाग के वैद्य अजय कुमार ने बताया कि सनबर्न में लेप और खाने की औषधि दोनों का इस्तेमाल करना चाहिए। लेप में एलोवेरा की जैली, ठंडा दही और शहद लगाने से आराम मिलता है। चंदन के पाउडर में गुलाब जल से मिला कर बना पेस्ट कारगर सिद्ध होता है।

वैद्य अजय का कहना है कि क्योंकि यह पित्त प्रधान रोग है। प्रवाल पिष्टी, प्रवाल पंचामृत, सुतशेखर रस, कामदुधा रस, अविपत्तिकर चूर्ण, कैशोर गुग्गुल, सरिवारिष्ट व  उशीराषव के परिणाम बेहतर देखने को मिलते हैं।


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