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फुटकर बाजार में पहुंच 10 रुपये किलो महंगा हो जा रहा आलू, कारोबारियों की मनमानी से कट रही जनता की जेब

फुटकर बाजार पर प्रशासन का अंकुश न होने से जनता की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। थोक मंडी में 15 रुपये किलो बिक रहा

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Fri, 20 Dec 2019 02:23 PM (IST)Updated: Fri, 20 Dec 2019 02:23 PM (IST)
फुटकर बाजार में पहुंच 10 रुपये किलो महंगा हो जा रहा आलू, कारोबारियों की मनमानी से कट रही जनता की जेब
फुटकर बाजार में पहुंच 10 रुपये किलो महंगा हो जा रहा आलू, कारोबारियों की मनमानी से कट रही जनता की जेब

वाराणसी, जेएनएन। फुटकर बाजार पर प्रशासन का अंकुश न होने से जनता की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। थोक मंडी में 15 रुपये किलो बिक रहा आलू खुदरा बाजार में 25 के भाव बिक रहा। महंगाई को लेकर रोजाना मच रही हो-हल्ला के बावजूद प्रशासन खामोश है।

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अखरने लगी आलू की महंगाई

सब्जी चाहे कोई भी लेकिन आलू के बिना उसमें स्वाद ही नहीं आता। ऐसे में आलू की महंगाई लोगों को ज्यादा ही खल रही है। सर्दियों में बीते साल इसी माह में आलू 10 से 12 रुपये किलो फुटकर बाजार में बिकने लगा था।

फर्रुखाबाद से पहुंच रहा आलू

वाराणसी एवं पास-पड़ोस के जिलों की जरूरतें आगरा, खुरुजा, मैनपुरी एवं फर्रुखाबाद के आलू से पूरी होती हैं।  अबकी किन्हीं परिस्थितियों में सिर्फ फर्रुखाबाद से ही आलू मंडी में पहुंच पा रहा है। हालांकि इसके बावजूद मंडी में आलू की पर्याप्त आवक के कारण थोक मूल्य 15 से 16 रुपये प्रति किलो के नियंत्रण में है। थोक मंडी पर नियंत्रण न होने से जनता को महंगाई की मुश्किल झेलनी पड़ रही है।

विदेशी प्याज नहीं मंगाएंगे कारोबारी 

आयातित प्याज की दुश्वारी झेल चुके पहडिय़ा मंडी के कारोबारी आयातित प्याज नहीं मंगायेंगे। उज्बेकिस्तानी प्याज के आयात का अनुभव खराब होने के कारण निर्णय लिया गया है। इसी बीच प्रयागराज से प्याज का खेप पहुंचने की फिर से हुई शुरुआत के कारण राहत रही। पहले ही दिन 85 से गिरकर भाव 75 से 80 पर आ टिका। हालांकि, दो पिकअप ही माल पहुंचा था। कारोबारियों ने उम्मीद जताई है, आवक के रफ्तार पकड़ते ही हालात काबू में होंगे। मौसम की मुश्किल के कारण आवक बंद होने से मूल्य फिर से आसमानी राह पर चल पड़ा था।  

असमंजस में व्यापारी

व्यापारियों के असमंजस में होने के कारण भी प्याज का भाव कम नहीं हो पा रहा है। कारोबार में अनिश्चितता का माहौल होने से व्यापारी जरूरत से कम ही प्याज मंगा रहे। ऐसे में मांग एवं आपूर्ति में अंतर बरकरार रहने से मूल्य पर अंकुश नहीं लग पा रहा है।


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