एक सिक्के के दो पहलू : गरीबी सिर पर पेट का बोझ उठाए शिक्षा के मंदिर से निकली Varanasi news
शुक्रवार को यह तस्वीर वाराणसी में बीएचयू परिसर में ली गई है जहां पर गरीब परिवार की लड़कियां लकड़ी के गठठर बटोर कर अपने सिर पर रखकर जरूरतों को पूरा करने के लिए जा रही हैं।
वाराणसी, जेएनएन। यह तस्वीर काशी में सर्व विद्या की राजधानी कही जाने वाली बीएचयू यानि काशी हिंदू विश्वविद्यालय की है। तस्वीर इस बात की गवाही दे रही है कि सर्वविद्या की राजधानी में अाज भी गरीबी के सिर पर पेट का बोझ ही हावी है। शुक्रवार को यह तस्वीर वाराणसी में बीएचयू परिसर में ली गई है जहां पर गरीब परिवार की लड़कियां लकड़ी के गठठर बटोर कर अपने सिर पर रखकर जरूरतों को पूरा करने के लिए जा रही हैं।
महामना मदन माेहन मालवीय की बगिया यानि हिंदू विश्वविद्यालय से हर वर्ष हजारों छात्र ज्ञान प्राप्त करते हैं तो सैकडों विद्यार्थी ज्ञान के बाद उच्च नौकरियां प्राप्त कर महामना की इस बगिया से निकलने पर खुद को धन्य भी महसूस करते हैं। मगर विश्वविद्यालय परिसर में शुक्रवार को दिखी यह तस्वीर बालिकाओं की शिक्षा और सशक्तीकरण की योजनाओं पर सवाल खड़ी करती दिखी। आगे-बागे श्रमसाधक बालिकाएं और पीछे शिक्षार्जन के लिये जाती छात्राओं की इस तस्वीर ने व्यवस्था के विरोधाभास को सामने रख दिया है।
बीएचयू और उसके आसपास गरीब गुरबों के घर बीएचयू की वजह से भी चलते हैं। कई वनवासी परिवार भी यहां आसपास आकर बस गए हैं जो अपनी जरूरतों के लिए बीएचयू में गिरी मिलने वाली लकडि़यों पर अपना जीवन यापन भी कर रहे हैं। गरीब और अमीर की खाई को पाटने का महामना का सपना इस विवि परिसर के भीतर ही नहीं आसपास भी आज तक मौजूद है। ...और यह तस्वीर गवाही दे रही है कि अभी भी देश में शिक्षा हर व्यक्ति तक पहुंचने में बहुत बड़ी खाई पाटने की जरूरत है।