वाराणसी में जान जोखिम में डालकर सपरिवार जर्जर आवास में रहने के लिए विवश पुलिसकर्मी
मरम्मत का ख्याल रहता है और न ही संपूर्ण रखरखाव का। यही कारण है कि वाराणसी में जर्जर पुलिस आवास हर समय हादसे के साए में हैं।
वाराणसी, जेएनएन। सरकारी आवास बनवाने के समय तो सरकार मानकों व कर्मियों की जरूरतों का पूरा ख्याल रखती है, मगर बाद में न मरम्मत का ख्याल रहता है और न ही संपूर्ण रखरखाव का। यही कारण है कि वाराणसी में जर्जर पुलिस आवास हर समय हादसे के साए में हैं। मरम्मत व रखरखाव में अनदेखी का उदाहरण है कानपुर पुलिस लाइन का बैरक नंबर एक, जिसका बरामदा बीती रात ढह गया। इसमें एक सिपाही की मौत हो गई तो तीन अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए। बनारस पुलिस लाइन के बैरक की स्थिति भी ठीक नहीं है, यहां कभी भी हादसे हो सकते हैं। कई आवास तो रहने लायक नहीं हैं, फिर भी लोग रह रहे हैं। कई आवास कंडम घोषित करने के बाद लोग खाली नहीं कर रहे हैं। क्योंकि उनके पास विकल्प नहीं है।
आवास की हालत यह है कि बारिश के दिनों में पानी टपकता है। टपकती छत, दीवार की ईंट छोड़ते प्लास्टर व खिड़की-दरवाजे के सड़ चुके पल्ले विकट होती स्थिति को बयां करते हैं। ऐसी हालत है खजुरी कालोनी पुलिस क्वार्टर ब्लाक-27 की। जिसे खाली करने का कई बार आदेश भी दिया गया, मगर विकल्प न होने के चलते अधिकांश में कर्मियों के परिवारीजन अभी रह रहे हैं। विभागीय सूत्रों के मुताबिक चंदौली, मीरजापुर, जौनपुर, सोनभद्र, भदोही में तैनाती होने के बाद भी पुलिसकर्मी आवास खाली नहीं करते हैं। जिले में लगभग सात हजार पुलिसकर्मी हैं। दूसरे जनपद के पुलिस कर्मियों के आवास खाली न करने से यहां के लोगों को परेशानी हो रही है। हालांकि आवास पर कब्जा जमाए दूसरे जनपद में तैनात पुलिसकर्मियों पर अब विभागीय कार्रवाई की तलवार लटक रही है।
चार आवासीय प्रोजेक्ट से दूर होगी समस्या
नोडल अधिकारी व एएसपी मोहम्मद मुश्ताक के मुताबिक आवास समस्या के निदान के लिए चार प्रोजेक्ट शुरू हुए हैं, जो जल्द ही मूर्त रूप ले लेंगे। वहीं जो क्वार्टर वर्तमान में हैं उनकी मरम्मत व रखरखाव के लिए अलग से बजट का प्रावधान है। शिकायत मिलने पर समय-समय पर मरम्मत कराई जाती है। कंडम घोषित क्वार्टर में रहना जोखिमभरा है। ऐसे में नोटिस मिलने पर भी क्वार्टर खाली न करने वालों पर कार्रवाई की जाएगी। आवास पर कब्जा जमाए गैरजनपद स्थानांतरित हो चुके पुलिसकर्मियों के खिलाफ भी सख्त कदम उठाए जाएंगे। जरूरत पडऩे पर मुकदमा भी दर्ज कराया जाएगा।