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हत्‍या के मामले में आरोपितों को छोड़ने के बाद जागी रोहनिया पुलिस ने की गिरफ्तारी

वाराणसी में रोहनिया पुलिस ने हत्या के मामले में आखिरकार उन चार आरोपितों को शनिवार को गिरफ्तार कर ही लिया जिनको पहले पूछताछ के बाद बिना जांच के छोड़ दिया था।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Sat, 24 Nov 2018 01:26 PM (IST)Updated: Sat, 24 Nov 2018 01:26 PM (IST)
हत्‍या के मामले में आरोपितों को छोड़ने के बाद जागी रोहनिया पुलिस ने की गिरफ्तारी

वाराणसी, जेएनएन । रोहनिया पुलिस ने हत्या के मामले में आखिरकार उन चार आरोपितों को शनिवार को गिरफ्तार कर ही लिया जिनको पहले पूछताछ के बाद छोड़ दिया था। दैनिक जागरण की पड़ताल के दौरान उजागर हुआ था कि पुलिस ने काफी गैर जिम्‍मेदाराना तरीके से हत्‍या के मामले को लिया था। पोस्‍टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद पुलिस की लापरवाही सामने आई और खबर के बाद राेहनिया पुलिस की काफी किरकिरी हुई। एसएसपी ने भी पुलिस की नाकामी सामने आने के बाद रोहनिया पुलिस को काफी फटकार लगाई थी।

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दरअसल हत्या के आरोपितों की थाने में दो दिन मेहमानवाजी करने के बाद उन्हें बीते मंगलवार को निजी मुचलके पर छोड़ दिया गया था। परिजनों की गुहार के बाद भी मौके पर जाने की जहमत नहीं उठाने वाले थानेदार ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट को दरकिनार करते हुए तमाम साक्ष्यों और मौके के हालात और आरोपितों द्वारा बताए घटनाक्रम को क्रासचेक करने की भी जरूरत नहीं समझी। बीते शनिवार की देर रात रोहनिया थाना क्षेत्र के खुशीपुर (भदवर) गांव के समीप सिवान में रामनाथ के पुराने कुएं में तारापुर (लंका) निवासी योगेंद्र नारायण का शव मिला था। मौके पर मौजूद शिवम सिंह, शिब्बू मिश्र, आशीष त्रिपाठी व बंटी उर्फ अभय सिंह ने दावा किया था कि भोजन के बाद कुएं में पत्तल फेंकते समय पैर फिसलने से योगेंद्र उसमें गिर गए और चोट लगने से मौत हो गई। मृतक के भाई जितेंद नारायण राय ने चारों पर हत्या का आरोप लगाते हुए हत्या का मुकदमा दर्ज कराया था। पुलिस ने चारों को पकड़ा लेकिन दो दिन तक थाने में ही चाय-नाश्ता कराने के बाद उन्हें निजी मुचलके पर छोड़ दिया। अब उन्‍हीें आरोपितों को पुलिस ने आखिरकार फ‍िर से हिरासत में ले लिया। 

मृतक की पत्नी बन कौन पहुंचा था फुटेज लेने : घटनास्थल से महज डेढ़ सौ मीटर दूर एक स्कूल में सीसी कैमरा लगा है। मृतक के परिजनों ने रोहनिया थाना प्रमुख परशुराम त्रिपाठी से कई बार गुहार लगाई कि उक्त स्कूल में लगे सीसी फुटेज को देखा जाए लेकिन थानेदार ने तर्क दिया इतनी दूर कैमरा कैप्चर नहीं करेगा जबकि स्कूल प्रबंधन ने दावा किया कि उनके यहां मौजूद सीसी कैमरा पांच सौ मीटर दूर तक पिक्चर उतारता है। इतना ही नहीं मंगलवार को एक महिला स्कूल पहुंची और खुद को मृतक योगेंद्र की पत्नी बताते हुए सीसी फुटेज मांगे। स्कूल प्रबंधन को उसकी बातों पर संदेह हुआ और उन्होंने इंकार कर दिया। 

दस बिस्वा जमीन को लेकर चल रहा था विवाद : दरअसल, कुछ साल पहले तारापुर मूड़ाडीह में दस बिस्वा विवादित जमीन का  योगेंद्र ने हत्यारोपित शिवम सिंह, शिब्बू मिश्र, आशीष त्रिपाठी के साथ मिलकर सट्टा कराया था जिसमें गवाह बना था बंटी उर्फ अभय सिंह। जमीन के सिलसिले में योगेंद्र ने सुप्रीम कोर्ट तक केस लड़ा जिसमें उसके काफी रुपये खर्च हुए थे। जमीन के अन्य तीन पार्टनर से जब योगेंद्र ने खर्चा देने को कहा तो तीनों मुकर गए। दोनों पक्षों में विवाद बढ़ता गया और एक साल पहले झगड़ा हो गया। बातचीत बंद हो गई थी लेकिन। इस बीच शनिवार को चारों ने मामले में सुलह के नाम पर योगेंद्र को बुलाया और देर रात परिजनों व पुलिस को सूचना दी कि योगेंद्र कुएं में गिर गया। पुलिस के सामने हत्यारोपितों ने बयान दिया था कि योगेंद्र ने शराब पी थी जबकि पीएम रिपोर्ट में ऐसा कुछ नहीं आया।

दिशा बदलने को किसने फेंका था जलता बोरा : कुएं में उस रात एक जला हुआ बोरा भी मिला था। पीएम रिपोर्ट में मौत की वजह दम घुटना और मल्टीपल इंजरी आया है। जलता हुआ बोरा कुएं में इसलिए फेंका गया जिससे यह लगे कि नब्बे फीट गहरे कुएं में गिरने से कई जगह चोट व दम घुटने से योगेंद्र की मौत हो गई। इतना ही नहीं घटनास्थल से कुछ दूरी पर परिजनों को बीयर व शराब की कई बोतलें मिली थी। हत्यारोपितों ने दावा किया था योगेंद्र समेत सभी ने बीयर-शराब पी थी जबकि पीएम रिपोर्ट में साफ है कि योगेंद्र ने अल्कोहल नहीं लिया था। इतने साक्ष्य होने के बाद भी रोहनिया पुलिस द्वारा हत्यारोपितों को छोडऩे का मामला पच नहीं रहा है। 


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