Move to Jagran APP

Underworld Don Abu Salem की अवैध संपत्ति पर पुलिस-प्रशासन की नजर, जेल से अब भी चला रहा साम्राज्‍य

अंडरवर्ल्ड डान अबू सलेम को लेकर सरकार की नजर टेढ़ी होते ही सरकारी मशीनरी अलर्ट हो गई है। बेनामी संपत्तियों को तलाशने की अंदरखाने में शुरू हुई कवायद से बहुतों की नींद उड़ गई है। डान से संपर्क को संपत्ति बढ़ाने की संजीवनी समझने वाले सदमें में हैं।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Fri, 06 Nov 2020 05:05 PM (IST)Updated: Fri, 06 Nov 2020 05:20 PM (IST)
अंडरवर्ल्ड डान अबू सलेम को लेकर सरकार की नजर टेढ़ी होते ही सरकारी मशीनरी अलर्ट हो गई है।

आजमगढ़, जेएनएन। अंडरवर्ल्ड डान अबू सलेम को लेकर सरकार की नजर टेढ़ी होते ही सरकारी मशीनरी अलर्ट हो गई है। बेनामी संपत्तियों को तलाशने की अंदरखाने में शुरू हुई कवायद से बहुतों की नींद उड़ गई है। डान से संपर्क को संपत्ति बढ़ाने की संजीवनी समझने वाले सदमें में हैं। सीना तानने की बजाए सिर छिपाने को ऐसी जगह तलाश रहे, जहां तक कानून एवं सरकारी तंत्र की निगाहें न पहुंच पाएं। लाजिमी भी कि हाल में  जरायम से संपत्ति बनाने वालों के खिलाफ कार्रवाई की हदें देख रहे हैं।

loksabha election banner

कौन है अबू सलेम

जिले के सरायमीर कस्बा अंतर्गत पठानटोला निवासी एक अधिवक्ता का पुत्र अबू सालिम अंसारी उर्फ सलेम है। इसे उर्फ नाम का तमगा मुंबई पहुंचने के बाद मिला। मोटर मैकेनिक से करियर की शुरुआत की, लेकिन मुंबई में दाउद की सरपरस्ती मिली तो जरायम की दुनिया का बड़ा नाम बन गया। तेज रफ्तार वाले शहर की रफ्तार के मुकाबिल चला तो मुंबई में अपनी सल्तनत खड़ी कर ली। सन् 1993 में मुंबई सीरियल ब्लास्ट में नाम उछला तो सुर्खियों में छा गया। दाउद से टसल के बीच उसकी धमक अंडरवर्ल्ड में बढ़ती चली गई। फिलहाल, पुर्तगाल में गिरफ्तारी, फिर प्रत्यर्पण पर भारत लाए जाने के बाद से वह सलाखों के पीछे है। चार भाइयों अबू हाकिम उर्फ चुनचुन, अबू सलेम, एजाज अहमद, अबुल जैश एवं एक बहन अंजुम हैं, जिनमें सलेम दूसरे नंबर पर है। अबू जैश ने ही सलेम की फर्जी पासपोर्ट बनवाने में मदद की थी। उसके एक भाई की लखनऊ में रेस्टोरेंट एवं प्लाटिंग का काम है। जिले में उसके गुर्गे आज भी सक्रिय हैं।

अबू के कई से गहरे रिश्ते

यूं तो अबू सलेम आजमगढ़ में वर्ष 2007 में अपनी अम्मी के निधन, फिर उनके 40 वां में आया था। उसके बाद वर्ष 2018 में उसने छह अप्रैल को एक प्रार्थनापत्र सरायमीर थाने में देते हुए न्याय की गुहार लगाई थी। उसने कहा कि वर्ष 2017 में उसकी पुश्तैनी जमीन पर दूसरे लोगों ने अपना नाम चढ़वा लिया है। उसका दूसरा पहलू उसके चुनाव लड़ने की ख्वाहिशों के बाद दिखा था। जब उसके मुंबई में रहते रातों रात मुबारकपुर के कई इलाकों में पोस्टर लगा दिए गए। वर्ष 2007 में आजमगढ़ में खुद के प्रति लाेगों की दीवानगी देख उसके मन में चुनाव की इच्छा जगी थी। कई बड़े चेहरे भी नजर आने लगे थे। उसके वकील ने वोटर लिस्ट में नाम चढ़वाने के लिए आवेदन भी किया, लेकिन बात नहीं बनने पर उत्साह ठंडा पड़ गया था।

माफियाओं के खिलाफ सरकार का अभियान चल रहा है

माफियाओं के खिलाफ सरकार का अभियान चल रहा है। मऊ, बलिया, आजमगढ़ में कार्रवाई अनवरत जारी है। मंडल में जरायम की दौलत कमाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। सरकारी की मंशा का कोई दायरा नहीं है। जो गलत करेगा, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

-सुभाष चंद्र दुबे, डीआइजी आजमगढ़।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.