माहे रमजान के दूसरे जुमे की नमाज, सदका व जकात के जरिए करें जरूरतमंदों की मदद
माहे रमजान के दूसरे जुमे की नमाज शहर भर की मस्जिदों में अदा की गई।
वाराणसी, जेएनएन। माहे रमजान के दूसरे जुमे की नमाज शहर भर की मस्जिदों में अदा की गई। नमाज से पहले उलमा-ए-कराम ने तकरीर करते हुए सदका व जकात की अहमियत बताई। कहा गरीबों-यतीमों की मदद जकात के जरिए करनी चाहिए। करीबी रिश्तेदारों को भी जकात की रकम दी जा सकती है। इस्लाम में जकात देने का ऐसा निजाम बनाया गया है कि इसके जरिए समाज के गरीबों, वंचितों, मजबूरों की आर्थिक मदद होती है। बताया हर साहिबे निसाब (जिसके पास साढे़ सात तोला सोना या साढ़े बावन तोला चांदी या इसकी कीमत के बराबर धन हो) पर जकात फर्ज है। एक वर्ष पूरा होने से पहले इसकी अदायगी कर देनी चाहिए।
जकात कुल रकम का 40वां हिस्सा यानी 2.50 फीसद बनता है। अमूमन लोग मदरसे में ही जकात देकर अपने फर्ज की अदायगी कर लेते हैं, जबकि बेहतर तरीका ये है कि अपने आस-पास के जरूरतमंदों व गरीब रिश्तेदारों की मदद इस रकम से करनी चाहिए। तकरीर व खुतबा के बाद शहर की सभी मस्जिदों में जुमे की नमाज अदा की गई। इसके बाद देश की तरक्की, अमनो-आमान व खुशहाली के लिए दुआएं मांगी गई।
इनकी इमामत में अदा हुई नमाज : शाही मस्जिद ज्ञानवापी में मुफ्ती-ए-बनारस मौलाना अब्दुल बातिन नोमानी, जामा मस्जिद नदेसर में मौलाना मजहरुल हक, मस्जिद दायम खां पुलिस लाइन चौराहा में मौलाना मुबारक हुसैन, मस्जिद ढाई कंगूरा चौहंट्टालाल खां में हाफिज नसीम अहमद बशीरी, मस्जिद लाटशाही कचहरी में हाफिज हबीबुर्रहमान, मस्जिद लाट सरैयां में मौलाना जियाउर्रहमान, मस्जिद खरबूजा शहीद नदेसर में हाफिज शकील अहमद, मस्जिद याकूब शहीद नगवा में हाफिज ताहिर, मस्जिद हकीम सलामत अली पितरकुंडा में मौलाना शफीक मुजद्दीदी, शाही मस्जिद बादशाहबाग में मौलाना हसीन अहमद हबीबी, मस्जिद खाकी शाह शिवाला में मौलाना मुनीर आलम, जलालीपुरा मस्जिद में हाफिज हबीबुर्रहमान मजहरी, मस्जिद बुलाकी शहीद अस्सी में मौलाना मुजीब आलम, मस्जिद बीबी रजिया चौक में मौलाना अजीज अहमद कादरी आदि ने जुमा की नमाज के अदा कराई।
पहले इमामे जुमा की बरसी पर मजलिस व इफ्तार : पितरकुंडा स्थित मस्जिद व कब्रिस्तान खास मौलाना मीर इमाम अली में शुक्रवार को सामूहिक रोजा इफ्तार का आयोजन सैयद मुनाजिर हुसैन मंजू के संयोजन में हुआ। रोजेदारों ने अजान की सदा सुनते ही रोजा खोला। मगरिब की नमाज इमामे जुमा बनारस मौलाना सैयद जफर हुसैनी ने अदा कराई। इफ्तार के बाद बनारस के पहले मुबल्लिग फिरका-ए-जाफरी के मुतहब्बिरे आलम व इमानिया अरबी कालेज के पहले प्रिंसीपल आयतुल्लाह मौलाना सैयद इमदाद अली की मजलिसे इसाले सवाब का आयोजन हुआ। मजलिस में मजाहिर हुसैन व साथियों ने सोजख्वानी की। वहीं मजलिस को खेताब करते हुए मौलाना सैयद अकील हुसैनी ने कहा कि मौलाना इमदाद अली ने इस्लाम की जो नींव रखी थी, वह आज भी कायम है। मजलिस के बाद अंजुमन हैदरी चौक ने नौहाख्वानी व मातम किया। इस अवसर पर हाजी इकबाल हुसैन, जामिन हाशमी, हैदर मौलाई, लियाकत अली, इकबाल हुसैन, असगर अली, सैयद काजिम हुसैन, मौलाना शेबी, मौलाना मेहंदी हसन, मौलाना इश्तियाक, हसन रजा, राज बनारसी आदि थे। उधर, सिगरा स्थित अस्मिता परिसर में सामूहिक रोजा इफ्तार का आयोजन हुआ। तय वक्त पर मौलाना डा. महमूद की अजान पर रोजेदारों ने खजूर खाकर अपना रोजा खोला। इस अवसर पर संस्था निदेशक फादर दिलराज, शबाना, इंदुमति शुक्ला, शिवकुमारी यादव, डा. आरिफ, अनवर, चुन्नू खान, गुरुविंदर सिंह आदि थे।
रोजेदारों के लिए बेहतर है नींबू पानी - इफ्तार के वक्त प्यास बुझाने के लिए नींबू पानी सबसे बेहतर पेय है। इससे प्यास भी बुझ जाती है और पसीने के साथ बाहर निकलने वाले मिनरल्स की कमी भी पूरी हो जाती है। नींबू विटामिन सी से भरपूर होता है, इसलिए यह शरीर के मेटाबोलिज्म को बढ़ाता है।
सामग्री : -दो नींबू, दो बड़े चम्मच चीनी, जलजीरा पाउडर एक छोटा चम्मच, सोडा पाउडर एक छोटा चम्मच, काला नमक 1/2 छोटा चम्मच, नमक एक छोटा चम्मच, कुटी हुई बर्फ एक कप, पानी 4-5 गिलास।
बनाने की विधि : सबसे पहले एक बड़े बाउल में पानी डालें। पानी में नमक और शक्कर डालें और चम्मच से चलाते हुए घोल बना लें। इसके बाद नींबू काटें और बीच निकाल कर पानी में उसका रस निचोड़ लें। अब जलजीरा पाउडर, सोडा व काला नमक डालें और अच्छी तरह से मिला लें। अब आपका नींबू पानी तैयार है। इसे सर्विग गिलास में निकालें और कुटी हुई बर्फ डाल कर पेश करें।
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