ब्लड बैंक में प्लेटलेट्स का अकाल, मचा हाहाकार, डेंगू के मरीजों का नही हो पा रहा समुचित उपचार
वाराणसी में डेंगू समेत विभिन्न बीमारियों के चलते मंडलीय व पंडित दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल में बेड खाली नहीं हैं। साथ ही प्लेटलेट भी नहीं मिल पा रहा।
वाराणसी (जेएनएन): डेंगू समेत विभिन्न बीमारियों के चलते मंडलीय व पंडित दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल में बेड खाली नहीं है। वहीं, अस्पतालों में भर्ती डेंगू मरीजों को प्लेटलेट्स नहीं मिल रहे हैं। सरकारी और गैर सरकारी ब्लड बैंकों में प्लेटलेट्स खत्म हो गया है। प्लेटलेट्स के लिए लोगों को घंटों इंतजार करना पड़ रहा या फिर परिजन के खून देने के बाद मिल रहा है, वह भी घंटों बाद। मंडलीय, दीनदयाल अस्पताल और आइएमए समेत सभी ब्लड बैंकों में प्लेटलेट्स नहीं है। यहां प्लेटलेट्स न मिलने से परिजन हंगामा तक करने लगे हैं। किसी तरह लोगों को समझाकर शांत कराया जा रहा। हालांकि प्राइवेट अस्पतालों में प्लेटलेट्स उपलब्ध हैं लेकिन वे ऊंचे मूल्य में बेच रहे हैं।
अमूमन, 15 अगस्त से सितंबर तक डेंगू मरीजों की संख्या अधिक होती है। अक्टूबर से स्थिति नियंत्रण में होने लगती है लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ, डेंगू मरीजों की संख्या कम होने की बजाय बढ़ती जा रही है। मंडलीय और दीनदयाल अस्पताल में 373 डेंगू मरीज भर्ती है। दोनों अस्पतालों में भर्ती मरीजों को प्लेटलेट्स नहीं मिल रहे हैं। प्राइवेट अस्पतालों में भी डेंगू के मरीज भर्ती है, वे भी यहां से प्लेटलेट्स मांग रहे हैं। प्लेटलेट्स लेने पहुंचे मरीजों के परिजनों को ब्लड बैंक द्वारा लौटा दिया जा रहा। अधिक दबाव पड़ने पर उन्हें ब्लड डोनेट करने कहा जा रहा है, बाद में उन्हें प्लेटलेट्स उपलब्ध कराया जा रहा है। समाजसेवी संस्थाएं और क्लब कैंप लगाकर ब्लड डोनेट करती है वहीं ब्लड बैंकों में स्टाक रहता है लेकिन इस माह रक्तदान शिविर न लगने से संकट बढ़ गया है। पिछले दिनों एक कैंप में स्वास्थ्य विभाग को आठ यूनिट ब्लड मिले थे। मंडलीय और दीनदयाल अस्पताल इन संस्थाओं को पत्र लिखकर रक्तदान शिविर लगाने की मांग करने जा रहा है। अस्पतालों में मरीजों को प्लेटलेट्स नहीं मिलने पर मंत्री और विधायक तक पैरवी कर रहे हैं। ब्लड बैंक संचालक उनके द्वारा चार यूनिट प्लेटलेट्स मांगने पर किसी तरह एक-दो यूनिट दे पा रहे हैं। मंडलीय और दीनदयाल अस्पताल में चिकित्सक प्लेटलेट्स नहीं होने का हवाला दे रहे हैं। 20 हजार से नीचे प्लेटलेट्स जाने पर मरीज कोई परेशानी होती है लेकिन कुछ लोग 50 से 60 हजार तक प्लेटलेट्स होने पर घबराने लग रहे हैं यही सही नहीं है। मरीज और परिजन अनायास चिकित्सक पर दबाव बना रहे हैं। डेंगू मरीजों के चलते प्लेटलेट्स की मांग काफी बढ़ गई है। मरीज के परिजन अनायास प्लेटलेट्स के लिए दबाव बना रहे हैं लेकिन बिना ब्लड लिए नहीं दिया जा रहा है। यहां बिहार से लेकर पूर्वाचल के लोग आते हैं, ऐसे में दिक्कत है। बदलते मौसम के चलते यह समस्या नवंबर तक बनी रहेगी। रविवार को 47 मरीजों के परिजनों ने ब्लड डोनेट किया, उसमें किसी तरह 79 यूनिट प्लेटलेट्स दिया गया।
-भानुशंकर पांडेय, अध्यक्ष आइएमए ब्लड डोनर नहीं होने से प्लेटलेट्स की दिक्कत आ रही है। विशेष परिस्थितियों में ब्लड डोनेट करने वालों को बुलाकर मरीजों को उपलब्ध कराया जाएगा। इसके लिए ब्लड बैंक संचालकों को निर्देश दिए गए हैं। साथ में ब्लड बैंकों में कर्मचारियों की संख्या बढ़ाने को कहा गया है।
-डा. वीबी सिंह, सीएमओ यहां है ब्लड बैंक - बीएचयू, मंडलीय, दीनदयाल, आइएमए, पापुलर, हेरिटेज, शुभम, एपेक्स, संतुष्टि हास्पिटल। बिना डोनर नहीं मिल रहा प्लेटलेट्स : बीएचयू हास्पिटल के ब्लड बैंक से भी प्लेटलेट्स की खपत बढ़ी है। स्टॉक के अभाव में सिंगल डोनर प्लेटलेट्स (एसडीपी) विधि अपनाई जा रही है। बिना डोनर प्लेटलेट्स मिलना मुश्किल हो गया है। डोनर के ब्लड से चार कंपोनेंट बनाए जाते हैं, जो अलग-अगल तरह के मरीजों के काम आते हैं। प्लेटलेट्स : डेंगू सरीखी बीमारी में मरीज को अलग से प्लेटलेट्स चढ़ाने की जरूरत पड़ती है। लाल रक्त कणिकाएं : एनीमिया पीड़ित मरीज को लगाई जाती है। एक्सीडेंट और दूसरी इमरजेंसी में ब्लड से लाल रक्त कणिकाएं लगाने पर स्वास्थ्य जल्द सुधरता है। प्लाज्मा : झुलसे और ज्यादा ब्लीडिंग होने पर मरीज को प्लाज्मा की जरूरत होती है। ग्रेनुलोसाइट कंसंट्रेट : प्लेटलेट्स और प्लाज्मा की तरह ब्लड से ग्रेनुलोसाइट कंसंट्रेट को अलग किया जाता है। यह हीमोफीलिया मरीज को लगाया जाता है। रक्त का थक्का जमाने के लिए इसकी जरूरत होती है।