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सेहत से भी है अचार का गहरा नाता, खटटे-मीठे-तीखे मगर स्वाद का राजा

थाली में जब अचार परोसा जाता है तो उसे देखकर ही मुंह में पानी आ जाता है, साथ ही अचार का स्वाद इतना लजीज होता है कि हर कोई इसे भोजन के साथ खाना पसंद करता है।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Wed, 19 Sep 2018 01:52 PM (IST)Updated: Wed, 19 Sep 2018 05:00 PM (IST)
सेहत से भी है अचार का गहरा नाता, खटटे-मीठे-तीखे मगर स्वाद का राजा
सेहत से भी है अचार का गहरा नाता, खटटे-मीठे-तीखे मगर स्वाद का राजा

वाराणसी [वंदना सिंह] : थाली में जब अचार परोसा जाता है तो उसे देखकर ही मुंह में पानी आ जाता है। इसका स्वाद इतना लजीज होता है कि हर कोई इसे खाना पसंद करता है। दाल, रोटी के साथ मिर्च या आम का अचार लाजवाब लगता है। कोई बाटी के साथ इसे खाता है तो कोई पूडिय़ों के साथ। कुल मिलाकर अचार खाने का स्वाद दोगुना कर देता है। ऐसा घर नहीं मिलेगा जिसकी रसोई में अचार नहीं हो। मौसम के अनुसार हर घर में बदल-बदल कर अचार तैयार किए जाते हैं। स्वाद से भरपूर अचार सेहत के लिए भी फायदेमंद है। 

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अचार को तैयार करने के लिए भिन्न भिन्न प्रकार के मसाले प्रयोग किए जाते है। आपको ये जानकर बहुत ही हैरानी होगी कि ये मसाले सिर्फ टेस्ट के लिए नहीं प्रयोग किये जाते हैं बल्कि इनमें बहुत से औषधीय गुण होते हैं जो स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। चौकाघाट स्थित राजकीय स्नातकोत्तर आयुर्वेद महाविद्यालय एवं चिकित्सालय, वाराणसी के कायचिकित्सा एवं पंचकर्म विभाग के वैद्य डा. अजय कुमार ने बताया कि अचार में पडऩे वाले मसाले मुख्य रूप से दीपन और पाचन का काम करते हैं साथ ही भोजन के प्रति रुचि को बढ़ाते हैं। इतने गुणों के बावजूद अचार का अत्यधिक मात्रा में सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि अचार में काफी मात्रा में सोडियम क्लोराइड यानी नमक होता है जो हाइपरटेंशन एवं हार्ट की बीमारी से परेशान लोगों के लिए ठीक नहीं होता है। अचार को घर में ही बनाकर प्रयोग करना चाहिए क्योंकि बाजार में मिलने वाले अचार में प्रिजेरवेटिव्स होते हैं, जो सेहत के लिए खतरनाक हो सकते हैं। कुछ आचार में च्यादा तेल, नमक और सिरके का इस्तेमाल होता है जिससे यह सेहत के लिए नुकसानदेय हो सकता है। जिस अचार में चीनी का इस्तेमाल किया जाता है, वह डायबिटीज के मरीजों के लिए ठीक नहीं होता है। अचार में प्रमुख रूप से निम्न मसालों का प्रयोग किया जाता है जिनके खास गुण हैं। 

 

मेथी 

1 आयुर्वेदिक मतानुसार मेथी स्वाद में कटु, गुण में भारी, स्निग्ध, होता है।

2.वीर्य में उष्ण, विपांक में कटु होता है।

3.वातकफनाशक, च्वरनाशक, गर्भाशय संकोचक, स्तन एवं जनन पीड़ा, शोथहर, दीपन, पाचक, अग्निवर्धक, दाहनाशक होती है। 

4.यह कृमि, अजीर्ण, भूख न लगना, कामशक्ति की कमजोरी, सूजन, गठिया, मधुमेह, बाल रोग, कब्ज़, वात रोग, अनिद्रा, मोटापा,में गुणकारी है।

आजवाइन

1.आयुर्वेद के मतानुसार अजवाइन पाचक, रुचिकारक, तीक्ष्ण, गर्म, चटपटी, हल्की, दीपन, कड़वी, पित्तवर्द्धक होती है। 

2.इसके विषय में एक कहावत है-च्एकाजवानी शतमन्ना पचिकाच् अर्थात अकेली अजवाइन ही सैकड़ों प्रकार के अन्न को पचाने वाली होती है।

3.अपने इन्हीं गुणों के कारण अजवाइन कफ, वायु, पेट का दर्द, वायु गोला, आफरा तथा कृमि रोग को नष्ट करने में समक्ष है।

सौंफ

1.यह क्षुधावर्धक, अग्निदीपक, अम्लपित्तनाशक, पाचक , अनुलोमक, होता है। 

2.सौंफ का प्रयोग न केवल भोजन में बल्कि औषधि के रूप में भी किया जाता है। 

3.आयुर्वेद में इसके कई विशेष गुणों का वर्णन किया गया है। इसे फेंनेल सीड कहा जाता है।

4. सौंफ़ सुगन्धित और स्वादिष्ट सूखे बीज होते हैं और अक्सर खाना पकाने में उपयोग किया जाता है।लोग आमतौर पर, भारत में भोजन के बाद सौंफ खाते है। 

5. यह भोजन को पचाने में मदद करता है और पेट में गैस के गठन को रोकता है। 

6. यह अम्लपित्त, जलन आदि रोगों के इलाज के लिए उत्तम औषधि है। 

7. यह एक सुगन्धित द्रव्य होने के कारण यह मुख की दुर्गन्ध दूर करता है। 

8. सौंफ में मौजूद तत्व पाचन क्रिया को ठीक रखने में सहायक होने है और श्वसन संबंधी समस्याएँ को दूर करने में उपयोगी सिद्ध हुए है।

हींग

1. पेट से सम्बंधित बिमारियों के लिए हींग बहुत गुणकारी है। आयुर्वेदिक में हींग को हिंगु कहा जाता है।

2. हींग वायु दोष को दूर करता है तथा सभी प्रकार के पेट रोग में गुणकारी है।

3. हींग का पुराने ज़माने से ही पेट की बिमारियों को ठीक रखने के लिए प्रयोग किया जाता रहा हैं। 

4. यह गैस से राहत देता हैं और पाचन तंत्र को ठीक रखता हैं, इसके नियमित सेवन से खाना आसानी से और प्राकृतिक तरीके से पच जाता हैं। 

5. इसके अलावा यह अम्लता, पेट का भारीपन और पेट की संबंधित अन्य रोगों को भी दूर करने में सहायक हैं। इसका प्रयोग पुरानी कब्ज और पेट में दर्द में भी किया जाता है।

 

राई

1. राई अग्निदीपक ,पाचक ,उतेजक ,एंव पसीना लाने वाली बडी़ गुणकारी औषधि हैं।

2. राई के सेवन से वायु एव कब्ज की अधिकांश बीमारिया नष्ट हो जाती है7 

3. यह अफारा, पेट दर्द व शरीर के दर्द को भी नष्ट करती है7

4. इसमे तेल अधिक मात्रा में होने से शरीर में स्निग्धता को बढ़ाती है।

जीरा

1. यह उष्ण, वातानुलोमक, दीपन और पाचन होता है।

2. ये मलावरोध, बुद्धिवर्धक, पित्तकारक, रुचिकारक, बलप्रद, कफनाशक और नेत्रों के लिए लाभकारी हैं।

3. एक ताजा अध्ययन में पता चला है कि जीरा शरीर मे वसा का अवशोषण कम करता है जिससे स्वाभाविक रूप से वजन कम करने में मदद मिलती है।

हल्दी

1. हल्दी में पाएं जाने वाले अनेक प्रकार के तत्व हमारी सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं। 

2. आयुर्वेद के अनुसार हल्दी तिक्त, उष्ण, रक्तशोधक, शोथनाशक और वायु विकारों को नष्ट करने वाली होती है। 

3. हल्दी की तासीर गर्म होती हैं 7 यह कफपित नाशक, त्वचा रोग नाशक, वर्ण्य, कामलापांडु नाशक होता है।

4. यह मधुमेह में भी लाभ पहुँचता है।

5. हल्दी के सेवन से पेट में छिपे जीवाणु नष्ट होते हैं।

6. इसमें एंटी-बायोटिक गुण होते हैं जो हमारे शरीर की के दर्द और सूजन को कम करते हैं और कैंसर से हमारा बचाव करते हैं। 

7. एंटी ऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर हल्दी हमें फेफड़ों और मस्तिष्क आदि रोगों से बचाने में भी मदद करती हैं।


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