वाराणसी कैंट स्टेशन पर खुलेगा पे एंड यूज वेटिंग लाउंज, रेल यात्रियों को जल्द मिलेगी नई व्यवस्था
पे एंड यूज वेटिंग लाउंज में सिर्फ यात्रियों को विश्राम करने की अनुमति मिलेगी। रेल प्रशासन की नीतियों के अनुसार टिकटधारी व्यक्ति को ही अंदर प्रवेश दिया जाएगा। इसके लिए लाइसेंसी को बकायदा रजिस्टर में प्रत्येक यात्री उपस्थिति दर्ज करानी होगी।
जागरण संवाददाता, वाराणसी : अब कैंट स्टेशन (वाराणसी जंक्शन) पर यात्रियों को एक अलग माहौल में विश्राम करने का अवसर मिलेगा। यहां वातानुकूलित कमरे में मनोरंजन के साधन होंगे ही, साथ ही हल्के नाश्ते का भी प्रबंध होगा। हालांकि इसके लिए उन्हें इसके लिए शुल्क भी चुकाना पड़ेगा।
दरअसल, यात्री सुविधा के मद्देनजर उत्तर रेलवे प्रशासन की ओर से यहां पे एंड यूज '''' वेटिंग लाऊंज '''' खोलने की कवायद चल रही है। मंडल मुख्यालय ने निविदा आमंत्रित की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसके पूर्व यहां आइआरसीटीसी की तरफ से एक्जीक्यूटिव लाउंज संचालित किया जा रहा है। जहां, विश्राम करने के लिए यात्रियों को प्रति घंटे की दर से पैसे चुकाने पड़ते हैं।
सिर्फ यात्रियों को मिलेगा प्रवेश
पे एंड यूज वेटिंग लाउंज में सिर्फ यात्रियों को विश्राम करने की अनुमति मिलेगी। रेल प्रशासन की नीतियों के अनुसार टिकटधारी व्यक्ति को ही अंदर प्रवेश दिया जाएगा। इसके लिए लाइसेंसी को बकायदा रजिस्टर में प्रत्येक यात्री उपस्थिति दर्ज करानी होगी। निविदा पत्र में लाउंज के अंदर सामान्य दवाओं की बिक्री की स्वीकृति मिल सकती है, लेकिन संबंधित दस्तावेज अनिवार्य होंगे। इसके अलावा लाउंज में पुस्तक, समाचार पत्र और पत्रिकाएं रखने की छूट दी जा रही है।
लाउंज खोलने की कवायद चल रही है
-कैंट स्टेशन पर पे एंड यूज वेटिंग लाउंज खोलने की कवायद चल रही है। निविदा जारी कर दिया गया है।
- रेखा शर्मा, वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक, उत्तर रेलवे।
74.65 किमी तक ट्रैक के दोनों तरफ बनेगी आठ फीट ऊंची दीवार
अब पूर्वोत्तर रेलवे वाराणसी मंडल में गाड़ियां निर्बाध गति से दौड़ेंगी। कैटल रन ओवर (पशु दुर्घटना) जैसे मामलों में कमी आएगी। फलस्वरूप रेलवे का समय भी बचेगा। दरअसल, ऐसी दुर्घटनाओं को रोकने के लिए मंडल के चिन्हित रेल मार्गों पर दोनों तरफ दीवार खडी करने की योजना है। आठ फीट ऊंची ये दिवारे किसी प्रकार की जनहानि रोकने में भी कारगर साबित होंगी।
ट्रैक के दोनों तरफ 74.65 किलो मीटर लम्बी दीवार उठाने के लिए मुख्यालय से स्वीकृति मिल गई है। अब इस दिशा में अग्रिम कार्यवाही शुरू हो गई है। विभागीय आंकड़ों पर गौर करें तो हर वर्ष 14 हजार से ज्यादा कैटल रन ओवर जैसी दुर्घटनाएं होती है। इस अवधि में प्राभावित परिचालन व्यवस्था को बहाल करने में डेढ़ से दो घंटे का समय बर्बाद होता है।