समाज में समानता लाएगा पं. दीनदयाल का एकात्म मानववाद ; जयंती समारोह में बोले राजस्थान के राज्यपाल
राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा कि दुनिया ने पूंजीवाद साम्राज्यवाद साम्यवाद सभी को अपनाकर देख लिया लेकिन समाज में समानता नहीं आई।
वाराणसी, जेएनएन। राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा कि दुनिया ने पूंजीवाद, साम्राज्यवाद, साम्यवाद सभी को अपनाकर देख लिया, लेकिन समाज में समानता नहीं आई। समाज में समानता लाने के लिए पं. दीनदयाल का एकात्म मानववाद जीवन दर्शन अपनाने पर विचार किया जाना चाहिए। आज देश ही नहीं विश्व को भी ऐसे ही किसी चिंतन की जरूरत है। यह बातें उन्होंने बुधवार को पं. दीनदयाल उपाध्याय पीठ की ओर से बीएचयू के मालवीय मूल्य अनुशीलन केंद्र स्थित सभागार में आयोजित पं. दीनदयाल की १०३वीं जयंती समारोह में बतौर मुख्य अतिथि कहीं। उन्होंने पं. उपाध्याय के विचारों को प्रचारित करने पर जोर देते हुए पीठ से दीनदयाल के प्रखर विचार पर शोध करने का आह्वान किया।
मुख्य वक्ता भारतीय इतिहास संकलन योजना के बालमुकुंद पांडेय ने कहा कि आज हमारा देश भारत और इंडिया में बंट चुका है, जहां इंडिया विकास की ओर है वहीं भारत विभिन्न समस्याओं से जूझ रहा है। पं. दीनदयाल ने इसी भारत को विकास की राह पर लाने के लिए भारतीय दर्शन एकात्म मानववाद का चिंतन प्रस्तुत किया है। सामाजिक विज्ञान संकाय प्रमुख प्रो. आरपी पाठक ने कहा कि पं. दीनदयाल ने अपनी संस्कृति-कार्यशैली से लोगों के जीवन पर अमिट छाप छोड़ी है। वे हमेशा दूसरों के लिए जिए। उनका दर्शन एकात्म मानववाद पूरे समाज और समाज में समानता की बात करता है।
वहीं पीठ चेयर प्रो. श्याम कार्तिक मिश्र ने पं. दीनदयाल के चिंतन दर्शन एकात्म मानववाद की चर्चा करते हुए कहा कि इस दर्शन का मूल्यांकन केवल आर्थिक आधार पर नहीं किया जा सकता, इसके विभिन्न राजनैतिक और सामाजिक आयाम हैं। अध्यक्षता बीएचयू के रेक्टर प्रो. वीके शुक्ल व संचालन प्रो. प्रवेश भारद्वाज ने किया। मौके पर प्रो. कौशल किशोर मिश्र, डा. अभिनव शुक्ला, डा. ओमप्रकाश, डा. स्वर्ण सुमन, डा. सीमा मिश्रा आदि थे।
पुस्तक का हुआ विमोचन
समारोह में सभी विशिष्टजनों ने प्रो. एसके मिश्रा की पुस्तक 'पं. दीनदयाल उपाध्याय के दर्शन पर एकात्म मानववाद : समकालीन भारत में पुनर्विचार' का विमोचन किया। पीठ की ओर से निबंध और पेंटिंग प्रतियोगिता के विजेताओं को राज्यपाल ने पुरस्कार देकर सम्मानित किया।