Move to Jagran APP

जौनपुर में अब अनचाही संतान को मिलेगा पालना का पोषण

जौनपुर में अनचाही संतान को अब हिंसा का सामना नहीं कीना होगा बल्कि उनको पालना का पोषण मिलेगा।

By JagranEdited By: Published: Sat, 16 Jun 2018 08:15 AM (IST)Updated: Sat, 16 Jun 2018 08:15 AM (IST)
जौनपुर में अब अनचाही संतान को मिलेगा पालना का पोषण
जौनपुर में अब अनचाही संतान को मिलेगा पालना का पोषण

जौनपुर : अनचाही संतान को झाड़ियों, मंदिर, मस्जिद की सीढि़यों पर लावारिश फेंककर ¨हसक जानवरों का निवाला न बनाएं। लोकलाज के भय से बचने को अगर जिगर से टुकड़े को अलग करना ही है तो सुरक्षा कवच रूपी 'पालने' में सुलाकर दबे पांव लौट जाएं। जी हां लावारिस नवजात की जीवन रक्षा के लिए जिला अस्पताल में पालना शिशु स्वागत केंद्र खोला गया है।

loksabha election banner

अमान्य रिश्तों से जन्मे नवजात को लोकलाज के डर से लोग अक्सर इधर-उधर फेंक देते हैं। आए दिन मंदिर-मस्जिद की सीढि़यों या फिर झाड़ियों में लावारिस नवजात मिलते रहते हैं। सही समय पर परवरिश नहीं होने के कारण इनमें से अधिकतर नवजात की चंद घंटे के भीतर ही मौत हो जाती है। कई बार तो यह भी देखने को मिलता है कि ऐसे नवजात ¨हसक जानवरों के मुंह का निवाला बन जाते हैं। सरकार ऐसे बच्चों की सेहत और सुरक्षा को लेकर गंभीर है। लावारिस बच्चों को सुरक्षित रख शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के लिए शासन ने समेकित बाल संरक्षण योजना शुरू की है।

इसके तहत जिला अस्पताल में पालना शिशु स्वागत केंद्र खोला गया। यह केंद्र जिला अस्पताल परिसर स्थित पोषण पुनर्वास केंद्र में खोला गया है जहां आम लोगों का आवागमन कम होगा। इसमें कोई भी महिला या पुरुष चुपके से अपने नवजात को छोड़कर जा सकेगी। इसकी निगरानी डाक्टर करेंगे। केंद्र की रखवाली के लिए तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के एक-एक कर्मचारियों की तैनाती की गई है। इन कर्मियों की जिम्मेदारी होगी कि पालने में जैसे ही कोई महिला अथवा पुरुष या फिर दंपति बच्चा छोड़कर बाहर निकले, फौरन इसकी जानकारी प्रभारी को देने के साथ ही नवजात को चिकित्सकीय सुविधा उपलब्ध कराएं। इसके बाद राजकीय बाल गृह ऐसे मासूमों को संरक्षण प्रदान करेंगे। ---

शासन के निर्देश पर पोषण पुनर्वास केंद्र के बगल स्थित कक्ष में पालना स्वागत केंद्र खोला गया है। पालनाघर/शिशु स्वागत केंद्र के समीप एक घंटी भी लगाई गई है। जिसका संचालन प्रभारी के रूम में है। पालने में किसी भी अज्ञात महिला, दंपति या युवक द्वारा शिशु को रखने पर घंटी बजते ही प्रभारी को पता लग जाएगा कि पालने में शिशु रखा जा चुका है। प्रभारी सबसे पहले नवजात के स्वास्थ्य संबंधी जांच करेगा, शिशु अगर बीमार है तो केंद्र पर शिशु को प्राथमिक उपचार की सुविधा दी जाएगी। यदि शिशु की गंभीर स्थिति होगी तो उसे तुरंत एसएनसीयू केंद्र तक पहुंचाया जाएगा। इसके लिए एंबुलेंस सेवा 102, 108 और 181 महिला हेल्पलाइन के माध्यम से रेस्क्यू वैन का उपयोग भी लिया जाएगा।

-डा. एसके पांडेय, सीएमएस, जौनपुर।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.