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वाराणसी सदर तहसीलदार के खिलाफ जांच के आदेश, कई मामलों में भ्रष्टाचार का आरोप

शासन ने तहसीलदार सदर के खिलाफ भ्रष्टाचार के जांच करने के आदेश दिए हैं। शासन से आए पत्र पर जिलाधिकारी के निर्देश पर अपर जिलाधिकारी (प्रशासन) ने सिटी मजिस्ट्रेट को जांच अधिकारी नामित किया है। सिटी मजिस्ट्रेट तहसीलदार सदर पर लगाए गए आरोपों की जांच शुरू कर दी है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Tue, 22 Sep 2020 06:38 PM (IST)Updated: Tue, 22 Sep 2020 06:38 PM (IST)
वाराणसी सदर तहसीलदार के खिलाफ जांच के आदेश, कई मामलों में भ्रष्टाचार का आरोप
शासन ने वाराणसी सदर तहसीलदार के खिलाफ भ्रष्टाचार के जांच करने के आदेश दिए हैं।

वाराणसी, जेएनएन। शासन ने तहसीलदार सदर के खिलाफ भ्रष्टाचार के जांच करने के आदेश दिए हैं। शासन से आए पत्र पर जिलाधिकारी कौशलराज शर्मा के निर्देश पर अपर जिलाधिकारी (प्रशासन) ने सिटी मजिस्ट्रेट को जांच अधिकारी नामित किया है। सिटी मजिस्ट्रेट तहसीलदार सदर पर लगाए गए आरोपों की जांच शुरू कर दी है। उधर, भ्रष्टाचार की जांच खुफिया विभाग भी कर रही है। तहसीलदार पर अपने कोर्ट में बिना एक पक्ष के सुने दूसरे पक्ष में फैसला देने का आरोप है। इसके एवज में पैसा लेने का आरोप है। शासन के उप सचिव मनोज कुमार सिंह और राजस्व आयुक्त एवं सचिव राजस्व परिषद ने जिलाधिकारी को जांच कराकर रिपोर्ट मांगी है।

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तहसील सदर में कागजों में हेराफेरी, शिकायतों को लंबित रखना, बिना सुविधा शुल्क फाइल आगे नहीं बढऩा, पैसा लेकर पक्षपात करना कोई नई बात नहीं है। इन्हीं कारणों से अक्सर वहां विवाद की स्थिति बनी रहती है। कई बार मारपीट की स्थिति आ चुकी है। जांच में दोषी मिलने पर कई अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई भी हो चुकी है, फिर भी उनके कार्यशैली में कोई सुधार नहीं आ रहा है। ताजा मामला तहसीलदार सदर मनोज पाठक का है। उनके खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक पहुंची तो उन्होंने जांच बैठा दी। राजस्व परिषद से जांच कराने के साथ खुफिया विभाग को भी जांच करने का निर्देश दिया है। 

राय साहब के बगीचे पर लगाई गलत रिपोर्ट, लेखपाल निलंबित 

बड़ालालपुर में राय साहब के बगीचे पर विकास प्राधिकरण का कब्जा होने के बाद भी लेखपाल ने गलत रिपोर्ट लगा दी है। लेखपाल ने मौके पर वीडीए का कब्जा नहीं दिखाकर दूसरे व्यक्ति का दिखा दिया था। जांच में लेखपाल द्वारा गलत रिपोर्ट मिलने पर उसे तत्काल निलंबित कर दूसरे लेखपाल से सही रिपोर्ट लगवाई गई।

तिब्बत मंदिर का कोर्ट में बदल दिया फैसला 

सारनाथ में तिब्बत मंदिर के मूल मालिक के निधन होने और कोई वारिस नहीं होने पर तत्कालिन नायब तहसीलदार शिवपुर रामजीत मौर्या ने उसे सरकारी संपत्ति घोषित कर दी थी। कुछ माह बीतने के बाद तत्कालीन नायब तहसीलदार शिवपुर मिश्रीलाल चौहान ने अपने कोर्ट में तथाकथित मालिक के पक्ष में फैसला सुना दिया। मामला उजागर होने पर तत्कालीन जिलाधिकारी रवींद्र कुमार ने आदेश को खारिज करते हुए नायब तहसीलदार के खिलाफ कार्रवाई की थी।

तहसीलदार सदर के खिलाफ भ्रष्टाचार की जांच मिली है

तहसीलदार सदर के खिलाफ भ्रष्टाचार की जांच मिली है। जांच में शिकायतकर्ता सामने आना नहीं चाहता है, ऐसे में जांच करने में परेशानी आ रही है। फिर भी शिकायत की जांच की जांच की जाएगी। जांच पूरी होने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है कि आरोप सही है या गलत।

-सत्यप्रकाश सिंह, सिटी मजिस्ट्रेट।


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