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कोविड इलाज को लेकर वाराणसी में प्रशासनिक दावों की खुली पोल, राम कृष्ण मिशन अस्पताल में आक्सीजन खत्म

वाराणसी के लक्सा स्थित कोविड हास्पिटल राम कृष्ण मिशन अस्पताल में आक्सीजन खत्म होने पर कोरोना मरीजों के परिवारीजनों को मरीज वापस ले जाने को बोला गया। अस्पताल के इस कृत्य की शिकायत न केवल डीएम सीएमओ से की गई बल्कि इंटरनेट मीडिया पर भी लोगों ने इसे उजागर किया।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Tue, 20 Apr 2021 08:10 AM (IST)Updated: Tue, 20 Apr 2021 08:10 AM (IST)
सहुलियत मिलने की बजाय आए दिन ये कोविड अस्पताल न केवल मरीजों को, बल्कि परिवारीजनों को तकलीफ दे रहे हैं।

वाराणसी, जेएनएन। कोरोना महामारी की दूसरी तीव्र लहर में जिस तेजी से लोग इसकी चपेट में आ रहे हैं, उसी तेजी से अस्पताल के आइसीयू व आक्सीजन बेड भी फुल हो गए। कोरोना मरीजों की सहुलियत के लिए जिला प्रशासन ने छह सरकारी अस्पतालों सहित 20 से अधिक निजी हास्पिटल को कोविड अस्पताल में तब्दील कर रखा है। मगर सहुलियत मिलने की बजाय आए दिन ये कोविड अस्पताल न केवल मरीजों को, बल्कि उनके परिवारीजनों को तकलीफ दे रहे हैं। ऐसा ही हाल सोमवार को लक्सा स्थित कोविड हास्पिटल राम कृष्ण मिशन अस्पताल (कौड़िया अस्पताल) का रहा। यहां दोपहर में आक्सीजन खत्म होने पर कोरोना मरीजों के परिवारीजनों को अपना मरीज वापस ले जाने को बोला गया।

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इनता सुनना था कि स्वजन भड़क उठे। आरोप है कि 10 दिन के लिए 12000 रुपये की दर से 1.2 लाख रुपये तक वसूले गए और अब मरीजों को वापस ले जाने को बोला जा रहा है। महामारी के इस दौर यह न केवल अमानवीय है, बल्कि प्रशासन के दावों की पोल भी खोलती है। जिले में कहीं भी बेड खाली ही नहीं हैं, ऐसे में मरीजों को यहां से निकालना उनके लिए जानलेवा साबित हो सकती है। अस्पताल के इस कृत्य की शिकायत न केवल डीएम, सीएमओ से की गई, बल्कि इंटरनेट मीडिया पर भी लोगों ने इसे उजागर किया।

 पिछली लहर में भी रामकृष्ण मिशन अस्पताल में आक्सीजन सप्लाई फेल बताकर कई बार ऐसा किया गया था, जिसके चलते कई मरीजों की जान पर बन आई थी। इंटरनेट मीडिया पर पोस्ट करते हुए लोगों ने लिखा कि प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र का जब यह हाल है तो भला देश के अन्य जिलों का क्या होगा। हालांकि मामले की जानकारी होने पर जिला प्रशासन ने तत्परता दिखाते हुए आक्सीजन सिलेंडर की उपलब्धता सुनिश्चित कराई। सीएमओ डा. वीबी सिंह के मुताबिक अब स्थिति सामान्य है। कोई दिक्कत नहीं है।

निजी कोविड अस्पताल मरीजों के स्वजनों से ले रहे हलफनामा

अस्पताल में भर्ती होने वाले कोरोना के 80 फीसद गंभीर मरीजों को आक्सीजन की जरूरत पड़ रही है। अचानक बढ़े मरीजों के चलते आक्सीजन खपत भी खूब बढ़ गई है। परिणामस्वरूप जिले में आक्सीजन की किल्लत बढ़ गई है। सूत्रों के मुताबिक प्रशासनिक सहयोग न मिलने पर अप्रिय स्थिति से बचने के लिए निजी कोविड हास्पिटल अब मरीजों के स्वजनों से हलफनामा ले रहे कि यदि आक्सीजन की कमी से उनके मरीज की मौत होने पर अस्पताल की कोई जिम्मेदारी नहीं होगी।

हलफनामा न देने वालों को अपना मरीज कहीं और ले जाने का भी दबाव बनाया जा रहा है। मरता क्या न करता। लोग न चाहते हुए भी अपनों को किसी तरह बचाने की खातिर हलफनामा भी दे रहे हैं। प्रशासन के आंख के नीचे यह अंधेरगर्दी मची है, लेकिन अधिकारी मौन हैं। इसके एक भुक्तभोगी ने गत दिनों जब इस कुकृत्य को इंटरनेट मीडिया पर अपलोड किया तो हंगामा मच गया। व्यवस्था व जिला प्रशासन के खिलाफ जमकर प्रतिक्रिया भी आ रही है। एक मुद्दा हल नहीं हुआ कि ककरमत्ता के एक अस्पताल को लेकर फिर वैसा ही पोस्ट इंटरनेट मीडिया पर किया गया। प्रतिक्रिया में लोगों ने जिलाधिकारी से मामले का संज्ञान लेने की अपील भी की है।


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