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सावन माह के आखिरी दिन माता अन्नपूर्णा का हुआ हरियाली श्रृंगार, भोग के बाद भक्‍तों में प्रसाद वितरित

सावन के आखरी दिन पूर्णिमा तिथि पर श्रीकाशी अन्नपूर्णा मन्दिर में माता अन्नपूर्णा का हरियाली श्रृंगार किया गया। इस दौरान मंदिर परिसर को सुगंधित पुष्पों और विद्युत झालरों से सजाया गया था। वहीं माता की झांकी गुलाब गेंदे बेला और कामिनी की पत्तियों से सजाई गई थी।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Sun, 22 Aug 2021 08:01 PM (IST)Updated: Mon, 23 Aug 2021 10:08 AM (IST)
पूर्णिमा तिथि पर श्रीकाशी अन्नपूर्णा मन्दिर में माता अन्नपूर्णा का हरियाली श्रृंगार किया गया।

जागरण संवाददाता, वाराणसी। सावन के आखरी दिन पूर्णिमा तिथि पर श्रीकाशी अन्नपूर्णा मन्दिर में माता अन्नपूर्णा का हरियाली श्रृंगार किया गया। इस दौरान मंदिर परिसर को सुगंधित पुष्पों और विद्युत झालरों से सजाया गया था। वहीं माता की झांकी गुलाब, गेंदे, बेला और कामिनी की पत्तियों से सजाई गई थी।

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माता को हरे रंग का वस्त्र धारण कराया गया था। इस विशेष श्रृंगार की झांकी के दर्शन के लिए सुबह से देर रात आस्थावानों की जुटान रही। मंदिर प्रबंधन के अनुसार सुबह मंगल बेला में माता को पंचामृत स्नान कराया गया। इसके बाद उनका श्रृंगार किया गया। उसके बाद आम भक्तों के दर्शन के लिए माता का कपाट खोल दिया गया।

मंदिर के महंत शंकर पुरी ने शाम को माता की विशेष आरती की। इसके बाद माता को भोग लगाया गया प्रसाद भक्तों में प्रसाद स्वरूप वितरित किया गया। हर वर्ष सावन में हरियाली श्रृंगार पर सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन होता रहा है। इस वर्ष मंदिर के महंत रामेश्वर पुरी के ब्रह्मलीन हो जाने के कारण यह आयोजन स्थगित कर दिया गया था। इसकी वजह से पूर्व के वर्षों की भांति आयोजन तो नहीं हुआ लेकिन दरबार में आस्‍था का सावन अंतिम दिन उमड़ता रहा। 

सावन माह के आखिरी दिन काशी में बाबा दरबार से लेकर गंगा घाट और अन्‍नपूर्णा दरबार तक आस्‍था की कतार सुबह से ही लगी रही। हर हर महादेव उद्घोष के साथ ही अन्‍न पूर्णा मंदिर में भी दर्शन पूजन का क्रम बना रहा। अन्‍नपूर्णा दरबार में आस्‍था का क्रम बना रहा तो दूसरी ओर सांस्‍कृतिक कार्यक्रम का आयोजन महंत रामेश्‍वरपुरी के निधन की वजह से रद कर दिया गया था। इसके बाद भी हरियाली श्रृंगार के आयोजन में आस्‍थावानों का जमावड़ा हुआ और श्रृ्ंंगार के साथ ही लोगों ने दरबार में सिर झुकाकर अन्‍न- धन की कामना की। मां अन्‍नपूर्णा दरबार जयकारों से पट खुलने के साथ ही गूंज उठा।  


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