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चैत्र नवरात्र के प्रथम दिन घरों में घट स्थापना, माता दरबार में आस्‍थावानों ने टेका मत्था

चैत्र नवरात्र के प्रथम दिन सुबह लोग नित्य क्रिया से निवृत्त होकर तय मुहूर्त में माता के आगमन पर कलश स्थापित किया। उसके बाद पूरे विधि-विधान से माता का पूजन किया गया। इसके साथ ही मंगलवार सुबह से घरों में अखंड ज्योत जलाया गया।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Tue, 13 Apr 2021 11:33 AM (IST)Updated: Tue, 13 Apr 2021 11:33 AM (IST)
चैत्र नवरात्र के प्रथम दिन घरों में घट स्थापना, माता दरबार में आस्‍थावानों ने टेका मत्था
सुबह लोग नित्य क्रिया से निवृत्त होकर तय मुहूर्त में माता के आगमन पर कलश स्थापित किया।

वाराणसी, जेएनएन। चैत्र नवरात्र के प्रथम दिन सुबह लोग नित्य क्रिया से निवृत्त होकर तय मुहूर्त में माता के आगमन पर कलश स्थापित किया। उसके बाद पूरे विधि-विधान से माता का पूजन किया गया। इसके साथ ही मंगलवार सुबह से घरों में अखंड ज्योत जलाया गया। इसके बाद व्रती जनों ने माता को ध्यान करते हुए पाठ किया।

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देवी दरबार में उमड़ी आस्थावानों की भीड़

घर में पूजन करने के बाद युवतियों और महिलाओं की भारी भीड़ देवी दरबार में उमड़ी। शास्त्रीय मान्यता के अनुसार प्रथम दिन माता शैलपुत्री देवी के दर्शन का विधान है। सरैया स्थित मंदिर के महंत गणेश गोस्वामी ने बताया कि सुबह में माता को स्नान कराकर नूतन वस्त्र और आभूषण धारण कराया गया। उसके बाद भोर में मां की विशेष आरती की गयी। उसके  बाद  भक्तों  के  दर्शन  के  लिए मां का कपाट कोल दिया गया। बीच-बीच में पुलिस प्रशासन के लोगों ने बढ़ते कोरोना संक्रमण को देखते हुए मंदिर  कोना-कोना सैनिटाइज कर रहे थे। बिना  मास्क के किसी भी श्रद्धालु को प्रवेश नहीं दिया जा रहा था।

जिला प्रशासन के आदेशानुसार एक बार मात्र पांच  श्रद्धालुओं को ही दर्शन के लिए भेजा जा रहा था। वहीं दुर्गाकुंड स्थित मां कुष्मांडा देवी के दरबार में भी भोर से श्रद्धालुओं की जुटान हो गयी थी। मंदिर के महंत ने बताया कि सुबह में आरती के बाद मंदिर का पट आम श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया गया था। सुबह से ही मंदिरों में आस्थावानों की कतार लग गयी है। इसके साथ शहर के अन्य टोले-मोहल्ले में स्थित देवी दरबार में भी आस्थावानों की भीड़ देखी गयी। जिला प्रशासन की ओर से सभी मंदिरों में सुरक्षा के पूरे इंतजाम किए गए थे। 

पूजन के बाद शुरू हुआ फलाहार

कलश स्थापना और पूजन के बाद व्रती जनों ने फलाहार किया। फलाहार में लोगों ने आलू, मुमफली, सेब, केला सहित अन्य फलों से जलपान किया।


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