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महाशिवरात्रि पर 10 लाख श्रद्धालुओं ने किए बाबा विश्वनाथ के दर्शन, शिव की झांकी दर्शन कर भक्त हुए निहाल

महाशिवरात्रि पर शुक्रवार को देशभर के शिवालयों में आस्था उमड़ पड़ी। अपने पुराधिपति आदिदेव अड़भंगीनाथ भगवान विश्वनाथ शिव के विवाहोत्सव पर काशी बम-बम हो उठी। जगह-जगह से शिव बरातें निकलीं महंत निवास में मंगल गीतों के बीच विवाह की विभिन्न रस्मों के साथ बाबा विश्वनाथ व मां गौरा के विवाह के लोकाचार हुए। ब्रह्म मुहूर्त से ही बाबा के दर्शन-पूजन का क्रम देर रात तक जारी रहा।

By Jagran News Edited By: Abhinav Atrey Published: Fri, 08 Mar 2024 11:45 PM (IST)Updated: Fri, 08 Mar 2024 11:45 PM (IST)
महाशिवरात्रि पर 10 लाख श्रद्धालुओं ने किया बाबा विश्वनाथ के दर्शन। (फाइल फोटो)

जागरण टीम, नई दिल्ली। महाशिवरात्रि पर शुक्रवार को देशभर के शिवालयों में आस्था उमड़ पड़ी। अपने पुराधिपति आदिदेव अड़भंगीनाथ भगवान विश्वनाथ शिव के विवाहोत्सव पर काशी बम-बम हो उठी। जगह-जगह से शिव बरातें निकलीं, महंत निवास में मंगल गीतों के बीच विवाह की विभिन्न रस्मों के साथ बाबा विश्वनाथ व मां गौरा के विवाह के लोकाचार हुए।

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ब्रह्म मुहूर्त से ही बाबा के दर्शन-पूजन का जो क्रम आरंभ हुआ तो देर रात तक जारी रहा। रात 10 बजे तक बाबा दरबार में 10 लाख से अधिक श्रद्धालु दर्शन कर चुके थे। बाबा अपने भक्तों को लगातार 45 घंटे तक जागरण करते हुए दर्शन देंगे।

आधी रात के बाद से ही भक्त कतारों में लग गए थे

बाबा विश्वनाथ के दर्शन के लिए गुरुवार आधी रात के बाद से ही भक्त कतारों में लग गए थे। रात 2:15 बजे मंगला आरती के बाद भोर में 3:30 बजे मंदिर के पट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए। फिर तो बाबा की झांकी दर्शन के लिए अटूट कतार लगातार आगे बढ़ती रही। सभी पांचों द्वारों से श्रद्धालुओं को बाबा दरबार में गर्भगृह तक ले जाया जा रहा था।

श्रद्धालुओं गंगा में डुबकी लगाई फिर बाबा के दर्शन किए

इससे पहले मां गंगा की पावन धारा में स्नान के लिए काशी के सभी 88 घाटों पर ब्रह्म मुहूर्त से ही श्रद्धालुओं की जुटान हो गई थी। सबने गंगा में डुबकी लगाई और फिर बाबा के दर्शन के लिए मंदिर पहुंचे। कैथी स्थित श्रीमार्कंडेश्वर महादेव, कर्दमेश्वर महादेव व अन्य छोटे-बड़े मंदिरों में दर्शन-पूजन के लिए भक्तों की कतार लगी रही। पंचक्रोशी यात्रा पर निकले श्रद्धालुओं ने पांवों के छालों की परवाह किए बिना 80 किलोमीटर के यात्रा मार्ग में विभिन्न मंदिरों में दर्शन-पूजन किया।

शिवमय रहा तीर्थराज प्रयाग

माघ मेला के अंतिम स्नान पर्व महाशिवरात्रि पर तीर्थराज प्रयाग शिवमय रहा। संगम में डुबकी लगाने को लाखों श्रद्धालु जुटे। संगम के अलावा अरैल, गंगा के अक्षयवट, रामघाट, दारागंज, गंगोली शिवालय, ओल्ड जीटी, अरैल व फाफामऊ में दोपहर बाद तक स्नान चला। तमाम संतों व श्रद्धालुओं ने संगम क्षेत्र में रुद्राभिषेक किया। संगम में स्नान करने के लिए श्रद्धालु गुरुवार से प्रयागराज पहुंचने लगे।

महाकाल मंदिर में लगा श्रद्धालुओं का तांता

मध्य प्रदेश के उज्जैन स्थित विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में देशभर से आए श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। हर कोई भोले की भक्ति में लीन रहा। गुरुवार-शुक्रवार की मध्य रात्रि 2:30 बजे मंदिर के कपाट खुले। इसके बाद भगवान महाकाल की भस्म आरती हुई। सुबह मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव महाकाल मंदिर पहुंचे और उन्होंने भगवान महाकाल की पूजा अर्चना की। शनिवार दोपहर 12 बजे वर्ष में एक बार दिन में होने वाली भस्म आरती होगी।

श्रद्धालुओं ने शंकराचार्य मंदिर में की पूजा-अर्चना

जम्मू-कश्मीर की ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर के बुछवारा स्थित शंकराचार्य मंदिर में बड़ी संख्या में श्रद्धालु जुटे। मंदिर में पूजा-अर्चना कर लोगों ने भगवान शिव से राज्य में शांति बनी रहने के लिए प्रार्थना की। लंबी कतार में खड़े श्रद्धालु बम-बम भोले के जयकारा लगाते रहे। शंकराचार्य मंदिर कमेटी के प्रभारी विधु शर्मा ने बताया कि महाशिवरात्रि पर घाटी में आम अवकाश रहा।

महाशिवरात्रि का पर्व धूमधाम से मनाया गया

राज्य के अन्य शिवालयों में भी महाशिवरात्रि का पर्व धूमधाम से मनाया गया। बता दें कि घाटी में महाश्वरात्रि को हेरथ के रूप में भी मनाया जाता है। इस अवसर पर कश्मीरी हिंदू अपने घरों में भगवान शिव की पूजा-अर्चना करते हैं, जिसे वटक पूजा कहा जाता है।

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