रमजान : जैतून की मिस्वाक और चाइनीज मुसल्ले की बढ़ी मांग, नबी की सुन्नत है मिस्वाक
माहे रमजान में इबादतों का दौर जारी है। बाजार इबादती सामानों की आमद से गुलजार है। मिस्वाक से लेकर मुसल्ला (दरीनुमा चटाई जिस पर नमाज पढ़ी जाती है) की मांग बढ़ गई है।
वाराणसी, जेएनएन। माहे रमजान में इबादतों का दौर जारी है। बाजार इबादती सामानों की आमद से गुलजार है। मिस्वाक से लेकर मुसल्ला (दरीनुमा चटाई जिस पर नमाज पढ़ी जाती है) की मांग बढ़ गई है।
रमजान के मद्देनजर को देखते हुए बाजार में पाकिस्तान और अरब की मिस्वाक आ चुकी है। दालमंडी स्थित बुक डिपो के संचालक रेयाज अहमद नूर बताते हैं कि मिस्वाक की कीमत दस रुपये से लेकर 25 रुपये तक है। इसमें जैतून की मिस्वाक ज्यादा पसंद की जा रही है। वहीं पाकिस्तान के साथ ही चाइना के मुसल्ले की खूब मांग है।
सऊदी की जैतून व पाकिस्तानी हलीनी की मांग
सऊदी की जैतून जहां लोगों की पहली पसंद बनी हुई है। वहीं दूसरी ओर लोग पाकिस्तान की हलीनी (एक तरह की दातून) भी मांग रहे हैं। माहे रमजान के चांद का दीदार होते ही बाजार से लेकर घर तक रमजान की रंगत तारी रहती है। इन दिनों मस्जिदों में नमाज के साथ ही नमाज-ए-तरावीह का एहतेमाम किया जा रहा है। इबादत से सभी रोजेदार रब का शुक्र अदा कर रहे हैं। इस दौरान कुछ नियमों का पालन भी रोजेदार को करना होता है, जिससे उसका रोजा न टूटे। इन्हीं नियमों के कारण मिस्वाक की मांग बढ़ी है। मस्जिद बादशाहबाग के पेश इमाम मौलाना हसीन हबीबी बताते हैं कि आमतौर हम सुबह उठकर दंत मंजन प्रयोग करते हैं, लेकिन रोजे के दौरान ऐसा करना मना है। मंजन में नमक समेत अन्य चीजें होती हैं जो मुंह के भीतर जायका पैदा करती हैं और रोजे के दौरान जायका माना है। नबी-ए-करीम ने सबसे पहले रोजे के दौरान मुंह को साफ करने के लिए मिस्वाक (दातुन) का प्रयोग किया था। तभी से रोजेदार सुन्नत के तौर पर इसका प्रयोग करते आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि मिस्वाक में किसी प्रकार का जायका नहीं होता है, साथ ही इससे मुंह भी साफ रहता है।
अभी से होने लगी है ईद की खरीदारी
रमजान का पहला अशरा अभी मुकम्मल भी नहीं हुआ और बाजारों की रौनक बढ़ गई है। गर्मी व उमस से बचते हुए रोजेदार इफ्तार के बाद ईद के लिए खरीदारी को दालमंडी, कपड़ा मार्केट, बेनियाबाग, चौक, हड़हा सराय आदि बाजारों में उमडऩे लगे हैं। सबसे अधिक भीड़ कपड़ा मार्केट में हो रही है, जिन्हें कपड़ा टेलर्स को देना है वो कपड़ों की खरीदारी कर रहे हैं। ख्वातीन की भीड़ सुबह से दोपहर तक दिखाई दे रही है तो वहीं शाम को इफ्तार के बाद से लेकर देर रात तक दालमंडी, गौदोलिया, नई सड़क, चौक, बेनिया आदि की दुकानों पर युवा उमड़ रहे हैं।
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