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स्वच्छ समाज : आइआइटी के पूर्व छात्र ने लिया ठान, असि नदी में डालेंगे जान

वरुणा एवं असि नदी से वाराणसी को जाना जाता है। मगर कुछ लोगों द्वारा बेतहाशा अवैध अतिक्रमण व गंदगी फैलाने से नदी का अस्तित्व संकट में आ गया है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 13 Feb 2019 09:02 AM (IST)Updated: Wed, 13 Feb 2019 09:02 AM (IST)
स्वच्छ समाज : आइआइटी के पूर्व छात्र ने लिया ठान, असि नदी में डालेंगे जान
स्वच्छ समाज : आइआइटी के पूर्व छात्र ने लिया ठान, असि नदी में डालेंगे जान

वाराणसी, जेएनएन। वरुणा एवं असि नदी से वाराणसी को जाना जाता है। मगर कुछ लोगों द्वारा बेतहाशा अवैध अतिक्रमण व गंदगी फैलाने के कारण असि के अस्तित्व ही संकट में है। हालांकि जज्बा या जुनून हो तो भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ी इस नदी को भी जीवन मिल सकता है। बशर्ते यह काम ईमानदारी व बिना किसी स्वार्थ के करना होगा, जिसको पूरा करने का बीड़ा उठाया है भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान के पुरातन छात्र सुनील खन्ना ने। उन्होंने ठान लिया है कि वह काशी की असि नदी में जान देंगे। अपने दम पर इसको लेकर काम भी शुरू कर दिया है। वह भी बिना बिजली, उपकरण या किसी केमिकल के उपयोग के। सुनील खन्ना बताते हैं कि वह 2017 में आइआइटी एक समारोह में आए थे, जहां पर उनको अवार्ड मिला। इसी दौरान उन्होंने बनारस के लिए कुछ करने की ठान ली। प्रधानमंत्री स्वच्छ गंगा परियोजना से प्रेरित होकर गंगा को स्वच्छ बनाने की पहल की। सुनील बताते हैं कि अगर गंगा को स्वच्छ रखना है तो असि को भी दुरूस्त करना होगा। यहीं से उनको असि के पुनरुत्थान के बारे में सोचा। एक कंपनी से डीपीआर बनवाया गया। कंपनी ने जनवरी 2018 असि नदी को साफ करने के लिए करीब चार करोड़ का प्रस्ताव बनाया। सुनील ने बताया कि इस प्रोजेक्ट को उत्तर प्रदेश सरकार को सौंप कर कार्य शुरू करने की अनुमति मांगी। जुलाई में सरकार की ओर से भी हरी झंडी मिल गई। कारण कि सुनील इस काम के लिए सरकारी राशि की डिमांड नहीं किए थे। बिना किसी केमिकल या बिजली के अभियान : 1976 बैच के छात्र रहे सुनील खन्ना मुंबई में एक कंपनी के प्रेसिडेंट एंड मैनेजिंग डायरेक्टर हैं। कंपनी की तरफ से सबसे पहले असि का सर्वे कराया। इसमें पाया गया कि पानी पूरी तरह काला था। इसमें आक्सीजन भी नहीं थी, जिसके कारण मछली या कोई अन्य जंतु भी नहीं रह पाते थे। फिर सुंदरपुर से रविदास पार्क तक छह ग्रीन ब्रिज यानी जाली लगवाए, जिससे कचरे को रोकने व एकत्रित करने में सहूलियत मिलती है। साथ ही पत्थर के पुल भी बनाए गए हैं। बताया कि असि में स्वच्छता अभियान बिना किसी केमिकल, सीमेंट, बिना बिजली के ही चला रहे हैं। जेसीबी मशीन या आसपास के कामगारों से कचरा निकाले का काम किया जा रहा है। नदी में आ गई जान : सुनील का दावा है कि सफाई करने के बाद पानी में आक्सीजन का स्तर बढ़ाहै और घातक केमिकल में कमी आई है। इसके बाद असि में मछली और पानी के सांप भी आने लगे हैं। खास है है कि यह सारा काम कंपनी की देखरेख में ही हो रहा है।

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