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    अधिकारी होंगे सख्त तो काम नहीं जाएगा व्यर्थ, बोले पिता- बेटे अजय मिश्रा का बचपन से ही पुलिस अफसर बनने का सपना

    पुलिस महकमे में मातहत को कल्याण चाहिए जिसे अधिकारी कम देते हैं। अधिकारी को चाहिए कि शासन द्वारा प्रदत्त सेवाएं व सुविधाएं नीचे तक पहुंचे। इससे पुलिसकर्मियों को संतुष्टि मिलती है। पुलिस की कार्य प्रणाली चुनौतीपूर्ण है। ऐसे में अधिकारी सख्त होंगे से उनका काम व्यर्थ नहीं जाएगा।

    By dinesh kumar singhEdited By: Saurabh ChakravartyUpdated: Wed, 30 Nov 2022 09:18 PM (IST)
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    गाजियाबाद के पुलिस कमिश्नर अजय मिश्र के पिता कुबेर नाथ मिश्र से बातचीत

    जागरण संवाददाता, वाराणसी : पुलिस महकमे में मातहत को कल्याण चाहिए, जिसे अधिकारी कम देते हैं। अधिकारी को चाहिए कि शासन द्वारा प्रदत्त सेवाएं व सुविधाएं नीचे तक पहुंचे। इससे पुलिसकर्मियों को संतुष्टि मिलती है।

    पुलिस की कार्य प्रणाली चुनौतीपूर्ण है। ऐसे में अधिकारी सख्त होंगे से उनका काम व्यर्थ नहीं जाएगा। ऐसे ही सख्त अधिकारी हैं गाजियाबाद के नवनियुक्त पुलिस कमिश्नर अजय मिश्रा। वह जो कर गए शायद ही कोई अधिकारी किया होगा। उनके लिए कल्याण पहले तो दंड दूसरे स्थान पर था। मातहत अपने अधिकारी से यही अपेक्षा भी रखता है।

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    बलिया के मूल निवासी आइपीएस अजय मिश्रा के पिता कुबेरनाथ मिश्रा भी पुलिस सेवा से जुड़े थे। उन्होंने जागरण प्रतिनिधि को बताया कि उनके जमाने में सिर्फ आइपी था। उसमें एस नहीं जुड़ा था। अब आइपीएस हो गया है। पहले अधिकारी समय से पहुंचते थे।

    मातहतों को इंतजार नहीं करना पड़ता था। अब मातहत तब तक इंतजार करते हैं जब तक उनके अधिकारी नहीं पहुंचते। हालांकि समय के साथ पुलिस की कार्यप्रणाली में भी बदलाव आया है। वर्ष 1973 के पहले साल भर में 14 दिन का आकस्मिक अवकाश मिलता था, जो अब 30 दिन का हो गया है।

    हेड कांस्टेबल पद से सेवानिवृत्त कुबेरनाथ बताते हैं कि उनके बेटे को पुलिस का परिवेश बचपन से ही मिला। उनको आइएएस की रैंक मिली थी लेकिन शुरू से ही पुलिस में होने के कारण उनका लगाव महकमे से था इसलिए उन्होंने पुलिस सेवा को चुना।

    काशी विद्यापीठ से बीए करने के बाद इलाहाबाद में किराए के कमरे में रहकर उन्होंने तैयारी की। पैसे की किल्लत दूर करने के लिए ट्यूशन तक किया। कर्मचारी चयन आयोग के जरिए पहली नौकरी मिली तो दिल्ली में सचिवालय में नियुक्ति मिली लेकिन उनका मन वहां नहीं लगा। उन्हें लगा कि यह क्लर्क वाला जाब है। हिंदी विषय को लेकर उन्होंने तैयारी जारी रखी और अपने मुकाम पर पहुंचे। अजय की पहचान सख्त अधिकारी के तौर पर बनी।

    सुल्तानपुर में नियुक्ति के दौरान मुलायम सिंह प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। उन्होंने आपराधिक प्रवृत्ति के दो लोगों को गनर उपलब्ध कराने के आदेश दिए थे। इसके बावजूद कप्तान रहते हुए अजय ने उन्हें गनर देने की संस्तुति नहीं की। अजय मिश्रा की माता शकुंतला देवी और पिता कुबेर नाथ मिश्रा वाराणसी में रहते हैं। उनको अपने बेटे की उपलब्धि पर गर्व है। कहा कि वह जब से पुलिस अधिकारी बने, एक बात पर कायम रहे कि उनके नीचे का कोई भी व्यक्ति या पब्लिक किसी की सिफारिश लेकर उनके पास न आए। जिसे जो दिक्कत है, सीधे उनसे कहे। बात सही होती है तो न्याय भी तुरंत करते हैं।

    शहर को जाम से मुक्ति दिलाने का किया था प्रयास

    जिले में एसएसपी के तौर पर नियुक्ति के दौरान उनकी जोड़ी जिलाधिकारी प्रांजल यादव के साथ चर्चित रही। दोनों अधिकारियों ने शहर को अतिक्रमण और जाम से मुक्ति दिलाने का जो प्रयास किया वह शायद ही किसी अधिकारी ने यहां के लिए किया होगा।

    पांडेयपुर चौराहा, भोजूबीर सब्जी मंडी समेत प्रमुख चौराहों को अतिक्रमण मुक्त करने का उनका प्रयास सराहनीय था। इसके लिए दोनों अफसर रात-रात भर सड़क पर खड़े रह जाते। शहर में डिवाइडर का काम भी इस जोड़ी ने ही शुरू कराया।