अब प्राइमरी शिक्षक भी लिखेंगे शोधपत्र, शिक्षा विभाग ने गुणवत्तायुक्त शिक्षण के लिए की पहल
आप परिषदीय प्राथमिक उच्च प्राथमिक विद्यालय या कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय के शिक्षक हैं लिखने-पढऩे का शौक है आपकी सोच नवाचारी है तो शोधपत्र लिखने का बेहतर अवसर है।
सोनभद्र [सुजीत शुक्ल]। आप परिषदीय प्राथमिक, उच्च प्राथमिक विद्यालय या कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय के शिक्षक हैं, लिखने-पढऩे का शौक है, आपकी सोच नवाचारी है तो शोधपत्र लिखने का बेहतर अवसर है। अगर शोधपत्र बेहतरीन रहा तो उसे शिक्षा विभाग पुस्तक में जगह देकर पहचान दिलाएगा। जी हां, जिस तरह से अभी तक किसी खास विषय पर जाने-माने विश्वविद्यालयों के प्रोफेसर, वहां के शोधात्री छात्र शोधपत्र लिखते रहे हैं उसी तरह अब प्राइमरी स्कूलों के शिक्षक भी शोधपत्र लिखेंगे। इसके लिए देश के 115 एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट में शामिल सोनभद्र के शिक्षा विभाग ने पहल शुरू भी कर दी है। अगले शैक्षिक सत्र के प्रथम सप्ताह में ही कार्यशाला आयोजित कर कदम भी बढ़ाया जाएगा।
दो वर्ष पहले देश के शीर्ष थिंक टैंक नीति आयोग ने पिछड़े 115 जनपदों की सूची तैयार की। उसमें सोनभद्र को भी शामिल किया गया। नाम दिया गया एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट। यहां नीति आयोग के निर्देश पर ही काम होने लगा। कई अभिनव प्रयोग हुए तो कई को करने के लिए हरी झंडी मिली। इसी कड़ी में गुणवत्तायुक्त शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए जिले का शिक्षा विभाग शिक्षकों की सोच को पहचान देने का निर्णय लिया है। सभी सरकारी स्कूलों के शिक्षकों से एक खास विषय पर शोधपत्र लिखवाया जाएगा। जब कई शिक्षकों का पत्र विभाग के पास आ जाएगा तो इसकी स्क्रीङ्क्षनक करायी जाएगी। जो बेहतर होगा उसे विभाग की ओर से प्रकाशित करायी जाने वाली पत्रिका में स्थान मिलेगा। साथ ही उसे आधार बनाकर शिक्षण कार्य भी कराए जाएंगे। इतना ही नहीं उस शिक्षक को उत्साहवर्धन के लिए पुरस्कृत भी किया जाएगा। प्रमाणपत्र देकर कार्यशाला में भी प्रदर्शित कराया जाएगा।
इस तरह से लिखा जाएगा शोधपत्र
शिक्षा विभाग के मुताबिक शोधपत्र लिखने का पूरा खाका तैयार किया जा रहा है। इसके लिए जिस तरह से विश्वविद्यालयों द्वारा शोधपत्र लिखने के लिए आवेदन लिए जाते हैं उसी तरह आवेदन लिया जाएगा। जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान के सहयोग से आवेदन के बाद विषय निर्धारित किया जाएगा। जेसे ड्राप आउट बच्चों पर शोधपत्र लिखने के लिए दिया जाता है तो उसमें यह क्या है, इसका निदान क्या है, कौन से वर्ग के बच्चे ज्यादा ड्रापआउट होते हैं। विभाग के लिए चुनौती क्या है और कैसे निपटा जा सकता है। संपूर्ण लेख लिखना होगा। इसके लिए लिखने वाला शिक्षक उस इलाके के कुछ बच्चों, अभिभावक से संपर्क भी करेंगे। फिर शोधपत्र विभाग के पास जमा कराया जाएगा। हर तीन महीने पर इसके लिए कार्यशाला होगी।
गुणवत्तायुक्त शिक्षा के लिए अभिनव प्रयोग किया जा रहा
गुणवत्तायुक्त शिक्षा के लिए अभिनव प्रयोग किया जा रहा है। अगले सत्र से शिक्षकों को शोधपत्र लिखने के लिए दिया जाएगा। बेहतर लिखने वाले का पत्र विभाग की पुस्तक में प्रकाशित कराया जाएगा। नवाचारी शिक्षक को पुरस्कृत भी किया जाएगा। साथ ही उसे अमल में लाकर शिक्षा व्यवस्था में सुधार भी किया जाएगा।
- डा. गोरखनाथ पटेल, बीएसए, सोनभद्र।