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भयभीत न हों क्योंकि हर बुखार डेंगू नहीं होता, मगर सावधानी जरूरी

वाराणसी में इस वक्त डेंगू काफी तेजी से पांव पसार रहा है। इसे देखते हुए जनता भयभीत है मगर यह जानना जरूरी है कि हर बुखार डेंगू नहीं होता।

By JagranEdited By: Published: Wed, 17 Oct 2018 10:17 AM (IST)Updated: Wed, 17 Oct 2018 02:39 PM (IST)
भयभीत न हों क्योंकि हर बुखार डेंगू नहीं होता, मगर सावधानी जरूरी
भयभीत न हों क्योंकि हर बुखार डेंगू नहीं होता, मगर सावधानी जरूरी

वाराणसी (जेएनएन) : इस वक्त शहर में डेंगू काफी तेजी से पांव पसार रहा है। इसे देखते हुए जनता भयभीत हो जा रही है। अगर घर में किसी को बुखार हो रहा है तो लोगों को डेंगू का भय सताने लगता है। मगर यह जानना जरूरी है कि हर बुखार डेंगू नहीं होता। सर सुंदरलाल अस्पताल, बीएचयू के चिकित्सा अधीक्षक प्रो. वीएन मिश्र ने बताया कि हर बुखार डेंगू नहीं होता। हां, थोड़ा भी अगर लक्षण दिखते तो तत्काल सरकारी अस्पताल में जांच करानी चाहिए। इसको लेकर सावधानी बहुत जरूरी है। बताया कि सामान्य या विशेष वायरल बुखार में भी प्लेटलेट की कमी होती है। यही नहीं जांच में एनएस-1 भी पाजिटिव होना भी डेंगू नहीं होता। अगर एनएस-1 एंटीजन के साथ ही आइजीएम एंटीबॉडी भी पाजिटिव हो तो वह डेंगू है।

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प्रो. मिश्र ने बताया कि डेंगू के मरीजों के लिए सरसुंदर लाल चिकित्सालय में मेडिसिन में 12, इमरजेंसी में आठ व न्यूरोलॉजी वार्ड में दो बेड तैयार किया गया है। मार्च से अभी तक 48 मरीजों में एनएस-1 पाजिटिव व सात आइजीएम एंटीबॉडी यानी डेंगू के पाए गए।

बाल रोग विभाग के डा. सुनील राव ने बताया कि बच्चों में अगर चकता पड़े, उल्टी, सुस्ती, खूनी दस्त आए तो यह डेंगू हो सकता है। ऐसे में तत्काल अस्पताल में पहुंचाना चाहिए। बच्चों को ओआरएस, दाल का पानी, माढ़ भी देने के साथ ही रेस्ट कराना चाहिए।

बीएचयू के रसशास्त्र विभाग के अध्यक्ष प्रो. आनंद चौधरी बताते हैं कि एलोपैथे एवं आयुर्वेद ने मिलकर बेवगाव में एक शोध किया है। उम्मीद है जल्द ही भारत में डेंगू की दवा बन जाएगी।

बीएचयू के एसएस अस्पताल में 2001 से ही आइसीयू के मात्र 16 बेड ही है। 17 साल गुजर जाने के बाद भी किसी ने पूरी दमदारी के साथ बेड बढ़ाने की पहल नहीं की। प्रो. मिश्र व आइसीयू इंचार्ज डा. डीके सिंह ने कहा कि अब आइसीयू के 100 बेड के लिए प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। इसका पैसा एनएचएम देगा। वहीं बाल रोग विभाग में आठ बेड पिकू व 18 बेड निकू है।

बीएचयू मेडिसिन विभाग के प्रो. केके गुप्ता ने जागरण से बातचीत में बताया कि प्लेटलेट 10 हजार से नीचे या मरीज को ब्लिडिंग पर ही प्लेटलेट चढ़ाने की जरूरत पड़ती है। उन्होंने चिकित्सकों को भी सलाह दिया कि बिना मैनुअल प्लेटलेट करने के बाद ही कंफर्म करें।


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