राहत की बात : अब नहीं पीना पड़ेगा आर्सेनिक व फ्लोराइडयुक्त पानी, ग्राम पंचायतों में 10.67 करोड़ की परियोजना को मंजूरी
जनपद में नए वर्ष 2020 में आर्सेनिक और फ्लोराइडयुक्त पानी से निजात मिलने की संभावना बढ़ गई।
आजमगढ़ [अनिल मिश्र]। जिले की तीन विकास खंडों की चार ग्राम पंचायतों के लोग अरसे से मानक से अधिक आर्सेनिक और फ्लोराइडयुक्त पानी पी रहे हैं लेकिन नए वर्ष 2020 में उन्हें इस समस्या से निजात मिलने की संभावना बढ़ गई। संबंधित गांवों में परियोजना स्थापना के लिए भूमि मिल गई है। जलनिगम टेंडर भी करा चुका है। जल्द ही कार्य भी शुरू हो जाएगा।
प्रदेश सरकार की नामित एजेंसी बहुत पहले पेयजल में आर्सेनिक एवं फ्लोराइड की मात्रा की जांच करने आई थी। जल निगम की टीम के साथ एसटीए ने ब्लाक महराजगंज के सैदपुर गांव में जांच की तो मानक से अधिक आर्सेनिक पाया गया, जबकि ब्लाक मार्टीनगंज की ग्राम पंचायत सोहौली व सुरहन और तरवां की ग्राम पंचायत चौकी गंजोर के पानी में आर्सेनिक की मात्रा मानक से अधिक मिली। जांच रिपोर्ट के बाद शासन ने संबंधित गांवों के घरों तक शुद्ध पानी पहुंचाने के लिए 10 करोड़, 67 लाख, 13 हजार रुपये की पाइप पेयजल परियोजना को स्वीकृति प्रदान कर दी थी। परियोजना के तहत संबंधित गांवों में ओवरहेड टैंक, घरों तक पेयजल पाइप लाइन और ट्यूबवेल स्थापित किया जाएगा। इस बारे में जल निगम के अधिशासी अभियंता रणविजय सिंह ने कहा कि महराजगंज के सैदपुर में पाइपलाइन पेयजल परियोजना स्थापना के लिए भूमि मिल गई है। अभी पैमाइश नहीं हो सकी है। इसके अलावा अन्य तीन परियोजनाओं में दो की स्थापना को भूमि मिल गई है। कार्य के लिए टेंडर प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। जल्द से जल्द कार्य शुरू करा दिया जाएगा।
हानिकारण है आर्सेनिक
आर्सेनिक विषैला तत्व है जिसकी पेयजल में वांछित सीमा 0.01 मिलीग्राम प्रति लीटर निर्धारित है। वैकल्पिक स्रोतों के अभाव में इसका स्तर 0.05 मिलीग्राम प्रति लीटर तक अनुमन्य किया जा सकता है। मानक से अधिक आर्सेनिकयुक्त पेयजल के लंबे समय तक सेवन से व्यक्ति आर्सेनिक किरैटोसिस से ग्रस्त हो जाता है। साथ ही त्वचा कैंसर, मूत्राशय, फेफड़े और गुर्दे के कैंसर की आशंका बढ़ जाती है। इसके अन्य दुष्प्रभावों में गैंगरीन, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, लिवर की क्षति, रक्त की कमी तथा मधुमेह आदि शामिल हैं।
अल्प मात्रा में ही फ्लोराइड उपयोगी
फ्लोराइड एक ऐसा तत्व है, जिसकी अल्प मात्रा ही स्वास्थ्य के लिए उपयोगी है। सामान्यतया यह मात्रा विभिन्न खाद्य पदार्थो के सेवन से खुद ही उपलब्ध हो जाती है। पेयजल में फ्लोराइड की वांछित मात्रा एक मिलीग्राम प्रति लीटर से अधिक नहीं होनी चाहिए। वैकल्पिक स्त्रोतों के अभाव में फ्लोराइड का अनुमन्य स्तर 1.5 मिलीग्राम प्रति लीटर तक अधिकतम हो सकता है लेकिन मानक से अधिक फ्लोराइडयुक्त पेयजल के लंबे समय तक सेवन से शुरुआती दौर में डेंटल फ्लोरोसिस एवं बाद में स्केल्टल (बोन) फ्लोरोसिस जैसी घातक बीमारियों से ग्रस्त होने की आशंका बढ़ जाती है।
ग्रामवार पेयजल परियोजना की डीपीआर
आर्सेनिक-
-ब्लाक महराजगंज....
-सैदपुर--253.55 लाख
-फ्लोराइड..
-ब्लाक मार्टीनगंज-
सोहौली - 203.85 लाख।
-सुरहन- 449.03 लाख।
-ब्लाक तरवां...
-चौकी गंजोर-160.70 लाख।