सीट बेल्ट नहीं बांधा तो कैसे खुलेगा एयरबैग, सिक्योरिटी फीचर्स पर देंगे ध्यान तो दुर्घटना में बचेगी जान
आपने कभी सोचा कि अक्सर वाहनों की टक्कर के बाद भी उन वाहनों के एयर बैग क्यों नहीं खुलते जिनमें यह सुविधा है।
वाराणसी, जेएनएन। आपने कभी सोचा कि अक्सर वाहनों की टक्कर के बाद भी उन वाहनों के एयर बैग क्यों नहीं खुलते जिनमें यह सुविधा है। कभी आपने सोचा कि कार में मौजूद हेड रेस्ट का प्वाइंट नुकीला क्यों होता है। चलिए हम बताते हैं ताकि उसे समझें और सुरक्षित सफर पर निकलें।
जरूरी है सीट बेल्ट - आजकल वाहनों में सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। सीट बेल्ट को लेकर अधिकतर गाडिय़ों में तब तक बजर बजता है जब तक आप सीट बेल्ट नहीं लगा लेते। बजर को बंद करने के लिए कुछ लोग सीट बेल्ट लपेटकर लॉक में फंसा देते हैं जिससे बजर बजना बंद हो जाता है। यह तरीका बेहद ही खतरनाक है। टक्कर के दौरान वाहन चालक की मौत का बड़ा कारण स्टेयरिंग पर सीने के लडऩा होता है। चालक व आगे वाली सीट पर बैठे शख्स को यहीं सीट बेल्ट बचाता है। कारों में पिछली सीटों पर भी सीट बेल्ट लगा होता है।
हेलमेट की बेल्ट नहीं बांधी तो क्या फायदा - दो पहिया वाहनों को लेकर होने वाले हादसे में अधिकतर मौतों का कारण सिर पर गंभीर चोट लगना होता है। जुर्माना राशि बढऩे से लोगों ने हेलमेट लगाना तो शुरू कर दिया है लेकिन बड़ी समस्या यह है कि हेलमेट पहन तो लेते हैं लेकिन उसके बेल्ट को नहीं बांधते हैं। टक्कर होने पर जब हेलमेट सवार गिरता है तो हेलमेट बंधा नहीं होने के कारण छिटककर अलग हो जाता है। हेलमेट अलग हो जाता है और चालक के सिर में गंभीर चोट लगती है। ऐसे में आप यदि हेलमेट नहीं पहन रहे तो पहले उसे पहनना शुरू करिए। हेलमेट पहनने के साथ ही उसे बांधना भी चाहिए। हेलमेट खरीदने से पहले उसे अच्छी तरह से जांच-पड़ताल कर लें। सस्ते हेलमेट के बजाय आइएसआइ मार्क वाले ब्रांडेड हेलमेट ही खरीदें।
बच्चों को फ्रंट सीट पर न बैठाएं- अमूमन कार स्वामी अपने बच्चों को फ्रंट सीट पर बैठाते हैं। ऐसा कदापि नहीं करें। टक्कर होने पर बच्चों को चोट लगने की संभावना बनी रहती है।
... जो फंस गए गाड़ी में- आजकल अधिकतर चार पहिया वाहनों में आटो लॉक सिस्टम लगा है। कार की स्पीड बीस से अधिक होते ही कार के चारों दरवाजे आटोमैटिक लॉक हो जाते हैं। कंप्यूटराइज्ड सिस्टम कभी कभी जानलेवा बन जाता है। बरसात में पानी भरने या फिर आग लगने पर अक्सर दरवाजे आटोमैटिक लॉक हो जाते हैंं। लोग शीशा तोड़ नहीं पाते और दम घुटने से मौत हो जाती है। ऐसे हालात कभी आपके साथ पैदा हो जाए तो घबराए नहीं बल्कि जो हेड रेस्ट है उसे निकाल लें। उसके दोनों रॉड नुकीले होते हैं। कंपनियां उसे नुकीला ही इसलिए बनाती हैं ताकि आपात परिस्थितियों में आप हेड रेस्ट की मदद से शीशा तोड़कर बाहर आ सकें।
जागा ट्रैफिक विभाग, डिवाइडरों पर लगे रेडियम - कोहरे में काल बने अंधे मोड़ व बेरंग डिवाइडर। दैनिक जागरण के चल रहे अभियान के तहत डिवाइडरों के शुरू और अंत में रेडियम नहीं लगाए जाने से होने वाले हादसों को प्रमुखता से प्रकाशित किया गया था। एसएसपी प्रभाकर चौधरी ने इसकी संजीदगी को समझा और तत्काल शहर के प्रमुख मार्गों पर लगे डिवाइडरों के शुरू और अंत पर रेडियमयुक्त संकेतक लगवाए। शिवपुर, सिगरा, नदेसर, फातमान, चौकाघाट समेत कई स्थानों पर मौजूद डिवाइडरों पर रेडियम लगाए गए हैं।