Move to Jagran APP

निजामाबाद की विश्व प्रसिद्ध ब्लैक पॉटरी को शोहरत मिली पर बाजार नहीं

नित नए फलक को स्पर्श कर रही निजामाबाद की विश्व प्रसिद्ध ब्लैक पाटरी अब किसी परिचय का मोहताज नहीं है। हस्तशिल्पियों के उत्पाद विदेशों में लोगों के डायनिंग हाल की शोभा बढ़ा रहे हैं।

By Vandana SinghEdited By: Published: Sat, 13 Apr 2019 05:39 PM (IST)Updated: Sun, 14 Apr 2019 08:05 AM (IST)
निजामाबाद की विश्व प्रसिद्ध ब्लैक पॉटरी को शोहरत मिली पर बाजार नहीं
निजामाबाद की विश्व प्रसिद्ध ब्लैक पॉटरी को शोहरत मिली पर बाजार नहीं

आजमगढ़, [अनिल मिश्र]।नित नए फलक को स्पर्श कर रही निजामाबाद की विश्व प्रसिद्ध ब्लैक पाटरी अब किसी परिचय का मोहताज नहीं है। हस्तशिल्पियों के उत्पाद विदेशों में लोगों के डायनिंग हाल की शोभा बढ़ा रहे हैं, लेकिन फर्श से अर्श तक पहुंचने वाले इस परंपरागत उद्योग का आज तक एक अदद बाजार उपलब्ध नहीं हो सका। 

loksabha election banner

    जिले ऐतिहासिक कस्बा निजामाबाद में मुगलकाल से ही काली मिट्टी के बर्तन बनाने में पूरा गांव लगा रहता है। इस कला में लगे लगभग 10 गांव के 15,00 कारीगर अपनी कला से मिट्टी को आकार देकर विश्व में जिले की पहचान बनाए हैं। उद्योग को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा पहले जीआइ सूचकांक मिला। इसके बाद 'वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडकट' योजना के अंतर्गत चयनित निजामाबाद की ब्लैक पॉटरी कारोबार ने रफ्तार पकड़ ली है। केंद्र व प्रदेश सरकार द्वारा हस्तशिल्पियों को पुरस्कृत किए जाने के साथ अब ऋण की भी योजना प्रभावी हो गई। इसके बाद तो कारीगर अपने हुनर से विश्व में ब्लैक पाटरी का परचम लहरा रहे हैं। अकेले मोहल्ला हुसैनाबाद के लगभग दो दर्जन उद्यमी राज्य पुरस्कार, स्टेट अवार्ड व राष्ट्रपति पुरस्कार से नवाजे जा चुके हैं। इतनी उपलब्धियों के बाद भी इस कला के लिए सही संसाधन उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। कारीगरों की माने तो बाजार होता तो उनकी स्थिति और भी बेहतर होती।

ये हैं चुनौतियां

-बाहर से आ रहे कारोबारियों की व्यवस्था सुनिश्चित करना।

-निजामाबाद की उद्यमियों की समय रहते समस्या दूर करना।

-सराकरी सुविधाएं से आच्छादित करना, वह भी समय से ।

समस्याएं

-मेहनत के मुताबिक निर्मित चीजों को दाम न मिलना।

-बाजार न मिलने से कारोबार में और विस्तार न होना।

-कच्चे माल के लिए मिट्टी की उपलब्धता न होना।

समाधान

-ब्लैक पॉटरी उत्पाद के बिक्री को विपनण केंद्र की स्थापना।

-राजकीय चीनी पात्र विकास केंद्र पर सुविधा मुहैया कराना।

-कच्चे माल के लिए मिट्टी की उपलब्धता सुनिश्चित करना।

ये भी जानें

-50 परिवार ब्लैक पॉटरी उद्योग से जुड़े हैं।

-150 परिवार टेराकोटा उद्योग से जुड़े हैं।

-1200 सदस्य मिट्टी कारोबार से जुड़े हैं।

-2-3 करोड़ सालाना का कारोबार होता है।

184 प्लाटों का नहीं हो सका विकास

ब्लैक पॉटरी और टेराकोटा से जुड़े हस्तशिल्पियों को उत्पाद बनाने के लिए 1984 में निजामाबाद कस्बे में 184 प्लाट आवंटित किए गए थे लेकिन मूलभूत सुविधाएं आज तक उपलब्ध नहीं कराई जा सकी। कस्बे से लेकर राजकीय चीनी पात्र विकास केंद्र तक न तो सड़क बन सकी और ना ही बिजली व पानी की व्यवस्था सुनिश्चित की जा सकी है।

''ब्लैक पॉटरी उत्पाद के लिए कारोबारियों को विभिन्न मेलों में जाने के लिए सुविधाएं दी जाती हैं। इसके माध्यम से वे अपने उत्पाद का स्टाल लगाते हैं। इससे उनके उत्पाद की बिक्री भी होती है। साथ ही विश्व स्तर पर प्रचार-प्रसार भी होता है। जहां तक बाजार या विपणन केंद्र उपलब्ध कराने की बात हैं तो यह परियोजना शासन में विचाराधीन है।''

-रंजन चतुर्वेदी, उपायुक्त, जिला उद्योग एवं प्रोत्साहन केंद्र, आजमगढ़।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.