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वरुणा किनारे फेंके गए कचरे व मलबे को लेकर एनजीटी की सख्ती, प्रदूषण की शिकायत

एनजीटी का कहना है कि नदी के किनारे कचरे के साथ जलाई जा रही है हरियाली। इतना ही नहीं मृत पशुओं को भी जलाया जा रहा जिससे जल स्रोत व वायु दोनों प्रभावित हो रही है।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Mon, 25 Mar 2019 09:10 PM (IST)Updated: Tue, 26 Mar 2019 08:05 AM (IST)
वरुणा किनारे फेंके गए कचरे व मलबे को लेकर एनजीटी की सख्ती, प्रदूषण की शिकायत
वरुणा किनारे फेंके गए कचरे व मलबे को लेकर एनजीटी की सख्ती, प्रदूषण की शिकायत

वाराणसी, जेएनएन। राष्ट्रीय हरित अभिकरण यानी एनजीटी वरुणा किनारे फेंके गए कचरे व मलबे को लेकर सख्त हो गया है। आदेशित किया है कि इसका निस्तारण अविलंब किया जाए। एनजीटी का कहना है कि नदी के किनारे कचरे के साथ जलाई जा रही है हरियाली। इतना ही नहीं मृत पशुओं को भी जलाया जा रहा जिससे जल स्रोत व वायु दोनों प्रभावित हो रही है। परिणामस्वरूप प्रदूषण निरंतर बढ़ रहा है। 

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एनजीटी की ठोस अपशिष्ट प्रबंधन निगरानी समिति के अध्यक्ष न्यायमूर्ति डीपी सिंह की अध्यक्षता में 18 मार्च को हुई बैठक में वरुणा के किनारे हरित पट्टी का मसला उठा था जिसमें 10 बिंदुओं पर चर्चा हुई थी। इसमें वरुणा किनारे के मलबे व कचरे को निस्तारित करने के लिए नगर आयुक्त आशुतोष कुमार द्विवेदी को निर्देशित किया गया जिसके सापेक्ष नगर आयुक्त ने सात सदस्यीय कमेटी का गठन कर दिया है। कमेटी में अध्यक्ष अपर नगर आयुक्त प्रथम हैं तो सदस्य के तौर पर मुख्य नगर स्वास्थ्य अधिकारी, मुख्य अभियंता नगर निगम, परियोजना प्रबंधक यूपीपीसीएल कार्यदायी कंपनी वरुणा कारिडोर, अधिशासी अभियंता बंध प्रखंड सिंचाई विभाग, अधिशासी अभियंता नगर निगम हैं। नगर आयुक्त का आदेश है कि गठित कमेटी मौके पर जाकर नदी के पेटा तक जमा हुए मलबा, मिट्टी का टीला, ठोस अपशिष्ट आदि के निस्तारण के लिए क्या किया जा सकता है, आदि की जानकारी एकत्र करे। इसके अलावा सिंचाई विभाग को मलबे के निस्तारण के लिए कोई बजट आवंटित है अथवा नहीं। वरुणा कारिडोर निर्माण के लिए बनाए गए डीपीआर में मलबे आदि के निस्तारण के लिए कोई प्रावधान है या नहीं। अगर है तो विभागीय समन्वय के साथ करसड़ा कूड़ा प्लांट तक कूड़ा ले जाने के लिए आवश्यक प्रबंध किए जाएं। अगर नहीं है तो मलबे के निस्तारण के लिए सिंचाई विभाग व यूपीपीसीएल कार्यदायी संस्था वरुणा कारिडोर को क्या-क्या मदद की जा सकती है। इस संबंध में अपना स्पष्ट अभिमत देंगे।

नगर निगम का कोढ़ बना खाज : एनजीटी ने जिसके लिए सख्ती की है उसकी देन भी नगर निगम है। करीब चार साल पहले एटूजेड कंपनी के भाग जाने के बाद नगर निगम की कूड़ा गाड़ी ही वरुणा किनारे कचरे का निस्तारण कर देती थी। इसके लिए कई बार स्थानीय लोगों ने विरोध करते हुए प्रदर्शन किया। मारपीट की नौबत भी आ गई थी। आज उसी कूड़े को निस्तारित करने के लिए नगर निगम को आदेशित किया गया है।  

लगाने हैं साढ़े तीन लाख पौधे : नगर को हराभरा करने के लिए वरुणा व असि नदियों के अलावा विश्वनाथ धाम कारिडोर को मिलाकर करीब साढ़े तीन लाख पौधे इस मानसून से पहले रोपे जाने हैं। इसके लिए एनजीटी ने आदेशित कर दिया है। इस बड़ी योजना को आकार देने के लिए सख्ती की जा रही है।


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