मंदिरों के कपाट खुलने की खबर से फूलों की खेती करने वाले किसानों के दिन बहुरने के आसार
मंदिरों के कपाट खुलने की उम्मीद में वाराणसी में फूल की खेती कर रहे किसानों के चेहरों पर रौनक लौट आई है। ऐसे में खेतों में फूल की क्यारियां सजाने-संवारने लगे हैैं।
वाराणसी, जेएनएन। अनलॉक शुरू होने के साथ मंदिरों के कपाट खुलने की उम्मीद में फूल की खेती कर रहे किसानों के चेहरों पर रौनक लौट आई है। ऐसे में खेतों में फूल की क्यारियां सजाने-संवारने लगे हैैं। मोहन सराय, बैरवन, करनाडाढ़ी, मिल्कीचक, ट्रांसपोर्ट नगर, चिरईगांव, चौबेपुर, गोपपुर, सथवां, लखरांव, ताड़ी के किसानों में उम्मीद की किरण जगी है। खुशी से खेतों में पहुंचकर किसान फूलों की निराई में जुट गए हैैं।
राजातालाब तहसील का बैरवन गांव जहां से फूलों का अंतरराष्ट्रीय स्तर का कारोबार होता है वहां की महिला किसान फूलपत्ती देवी, मंजू देवी, चंपा, राजेश्वरी खुश हैैं। बताती है कि अब मंदिर खुली त फूल-माला बिकी। एही आसरे पूरी गृहस्थी चलेला। जब से टीवी, अखबार में सुनले हईंला तब से निराई करे में लगल हई।
लॉकडाउन में बर्बाद हुई फसल
किसानों ने बताया कि शासन द्वारा महामारी से बचाने के लिए लॉकडाउन लगाया गया था। जिस कारण मंदिर बंद और समारोह स्थगित हो गए थे। मार्च-अप्रैल में गेंदा और चैती गुलाब की खूब मांग रहती है। हर वर्ष की मांग के अनुरुप इस बार फसल भी अच्छी तैयार हुई थी लेकिन कोरोना संकट से फूल पौधों में ही मुरझा गए।
हजारों टन प्रतिदिन है बनारस में फूलों की खपत
मंदिरों के शहर काशी में प्रतिदिन हजारों टन फूलों की खपत सामान्य दिनों में होती है। मंदिरों का शहर होने के चलते यहां प्रतिदिन पूजा अनुष्ठान एवं धाॢमक आयोजनों होता रहता है। इसके अलावा लग्न के सीजन में सबसे ज्यादा फूलों की मांग होती है।
दस हजार परिवारों के चेहरे पर लौटी मुस्कान
वाराणसी सहित आसपास के जिलों व गांवों में लगभग दस हजार किसान फूलों की खेती के व्यवसाय से जुड़े हैैं। महामारी से बचाने के लिए लगाए लगे लॉकडाउन से इन किसानों पर संकट आ गया था। लेकिन सरकार द्वारा जारी नई गाइडलाइन में आठ जून से शारीरिक दूरी का पालन करने के साथ ही मंदिरों के कपाट खुलने और पूजा अर्चना होने की खबर से किसानों में खुशी है।