BHU में बनेगा Nuclear Medicine का नया विभाग, काशी में आज पदभार ग्रहण के बाद करेंगे चर्चा
90 के दशक के पहले रेडियोथेरेपी एंड रेडिएशन मेडिसीन विभाग के तहत न्यूक्लियर मेडिसीन के माध्यम से जांच होती थी। डा. उडप्पा के समय इससे कई रिसर्च भी हुए। प्रो. बीके दास बताते हैं कि न्यूक्लियर मेडिसीन विभाग के नाम पर अभी भी दो पद स्वीकृत हैं।
वाराणसी [मुकेश चंद्र श्रीवास्तव]। आइएमएस (चिकित्सा विज्ञान संस्थान), बीएचयू के महान चिकित्सक डा. केएन उडप्पा जिस न्यूक्लियर मेडिसीन पर कार्य करते थे उसको अब नई धार मिलने की उम्मीद जगी है। कारण कि संस्थान में जो नए निदेशक डा. बीआर मित्तल आ रहे हैं वे न्यूक्लियर मेडिसीन विभाग से ही जुड़े हैं। ऐसे में संभावना है कि यहां पर यह विभाग विकसित हो सकता है। अगर ऐसा होता हैं कि हजारों मरीजों को इसका लाभ मिलेगा। कैंसर, थायराइड सहित कई अंदरूनी बीमारियों की जांच आसान हो सकेगी। वर्तमान में यहां पर कैंसर की सबसे बड़ी जांच पैट स्कैन की भी व्यवस्था नहीं हैं, जिसके कारण मरीजों को मजबूरन हजारों रुपये खर्च करके जांच करानी पड़ती है।
90 के दशक के पहले रेडियोथेरेपी एंड रेडिएशन मेडिसीन विभाग के तहत न्यूक्लियर मेडिसीन के माध्यम से जांच होती थी। डा. उडप्पा के समय इससे कई रिसर्च भी हुए। बाल रोग विभाग के आचार्य एवं संस्थान के वर्तमान निदेशक प्रो. बीके दास बताते हैं कि न्यूक्लियर मेडिसीन विभाग के नाम पर अभी भी दो पद स्वीकृत हैं। हालांकि इसके लिए विज्ञापन जारी नहीं हो पाया है। अब नए निदेशक के आने के बाद इस पर फैसला हो सकता है। रेडियोथेरेपी एंड रेडिएशन मेडिसीन विभाग के प्रो. यूपी शाही बताते हैं कि न्यूक्लियर मेडिसीन विभाग की यहां पर बहुत जरूरत है। 90 के दशक के पहले रेडियोथेरेपी एंड रेडिएशन मेडिसीन विभाग का यह एक भाग था। इंडोक्राइनोलॉजी एवं मेटाबोलिज्म विभाग के आचार्य प्रो. एनके अग्रवाल ने बताते हैं कि डा. केएन उडप्पा के कार्यकाल के दौरान न्यूक्लियर मेडिसीन पर बहुत कार्य हुआ करता था, लेकिन इसके बाद यह पूरी तरह ठप हो गया। बीच-बीच में कई बार पहल भी की गई, लेकिन किसी ने उतनी रूचि नहीं ली। अब नए निदेशक के आने पर इसकी संभावना बढ़ेगी। हो सकता है टाटा कैंसर सेंटर से भी हमें न्यूक्लियर मेडिसीन जांच की नई राह निकले।
आइएमएस में बढ़ेंगे डेढ़ दर्जन विभाग
एम्स नई दिल्ली के बराबर दर्जा के क्रम में अब आइएमएस में करीब डेढ़ दर्जन नए विभाग भी बढ़ेंगे। इसमें न्यूक्लियर मेडिसीन विभाग के साथ ही इमरजेंसी मेडिसीन, हास्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन आदि शामिल हैं। सर सुंदरलाल अस्पताल के पूर्व चिकित्सा अधीक्षक डा. ओपी उपाध्याय बताते हैं कि नए विभाग बनाने के लिए प्रस्ताव पहले ही भेजा जा चुका है। नए विभागों का विस्तार तीन फेज में होना है। वहीं संस्थान के डीएन आफ एकेडमिक प्रो. ओपी मिश्रा ने बताया कि नए विभाग बनाने को लेकर प्रक्रिया चल रही है। नए विभाग, पैट स्कैन एवं न्यूक्लियर विभाग को लेकर नवनियुक्त निदेशक एवं पीजीआइ चंडीगढ़ के प्रोफेसर एंड हेड डा. बीआर मित्तल बताते हैं कि वे पदभार ग्रहण करने के बाद ही वे इन मुद्दों पर विस्तार से चर्चा करेंगे। ताकि संस्थान को और बेहतर बनाया जा सके। उन्होंने बताया कि मंगलवार को वाराणसी पहुंचकर दोपहर में पदभार ग्रहण करेंगे।
आइएमएस में माडर्न मेडिसीन के फिलहाल यह हैं विभाग
एनेस्थिसिया, एनाटमी, बायोकेमेस्ट्री, कार्डियोलाजी, कार्डियोथोरेसिक सर्जरी, डर्मोटोलाजी, इंडोक्राइनोलाजी, फोरेंसिक मेडिसीन, गैस्ट्रेएंट्रोलाजी, मेडिसीन, जिरियाट्रिक मेडिसीन, माइक्रोबायोलाजी, नेफ्रोलाजी, न्यूरोलाजी, न्यूरो सर्जरी, गायनीकोलाजी, नेत्र रोग, अर्थोपेडिक, पीडियाट्रिक, पीडियाट्रिक सर्जरी, पैथोलाजी, फीजियोलाजी, प्लास्टिक सर्जरी, रेडियोलाजी, रेडियोथेरेपी एंड रेडिएशन, सर्जिकल अंकोलाजी, जनरल सर्जरी, यूरोलाजी सहित तीन दर्जन से अधिक विभाग हैं।