Navratri In Varanasi : काशी में शक्ति आराधना का पर्व संशय के बीच लेने लगा उत्सवी आकार
दुर्गापूजा मनाने की बंदिशों को हटाने की जानकारी मिलने के बाद से बंगीय समाज में जहां एक ओर हर्ष है तो दूसरी ओर चिंता भी है। दरअसल चिंता इस बात की है कि वाराणसी में जिला प्रशासन की ओर से इस बाबत कोई दिशा निर्देश जारी नहीं किया गया है।
वाराणसी, जेएनएन। राज्य सरकार की ओर से दुर्गापूजा मनाने की बंदिशों को हटाने की जानकारी मिलने के बाद से काशी के बंगीय समाज में जहां एक ओर हर्ष है तो दूसरी ओर चिंता भी है। दरअसल चिंता इस बात की है कि वाराणसी में जिला प्रशासन की ओर से इस बाबत कोई दिशा निर्देश जारी नहीं किया गया है। हालांकि, दुर्गापूजा के आयोजन को लेकर हां और न के बीच काशी में कई पुरानी दुर्गापूजा समितियों ने दुर्गा मूर्तियों का कलाकारों को आर्डर देने के साथ ही अब पंडालों का निर्माण भी शुरू कर दिया है।
काशी में बंगीय समाज की ओर से दुर्गा पूजा की तैयारियां शुरू तो हो चुकी हैं मगर अब पखवारे भर में ही क्या तैयारियां हो सकेंगी इस पर भी संशय के बादल छाए हुए हैं। बंगीय समाज के सचिव देबाशीष दास उर्फ हीरु दा ने दैनिक जागरण से बातचीत में शनिवार को बताया कि पूर्वांचल में बंगीय समाज के प्रयासों से विगत 99 साल से दुर्गा पूजा का आयोजन करवाया जा रहा है। बताया कि कलकत्ता से कानू बाबू प्रतिवर्ष कई समितियों के लिण् मजदूर और कारीगरों को बुलाते रहे हैं।
हालांकि इस बार ट्रेन तक भी नहीं चलने से कारीगरों को बुलाना सबसे दुष्कर कार्य रहा है। इस बार ऐसे में पंडाल भी पुराने वैभव के साथ बन पाना मुश्किल है। इस बार पंडाल और सांस्कृतिक आयोजनों का किया जाना भी शॉर्ट नोटिस पर मुश्किल ही लग रहा है। हालांकि समितियों की ओर से प्रतिवर्ष हजारों लोगों के लिए बनने वाला प्रसाद वितरित होगा, इसकी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। समितियों की ओर से कारीगरों को दुर्गा मूर्तियां तैयार करने का आर्डर दिया जा चुका है और कई समितियों के पंडाल अब जन सहयोग से आकार भी लेने लगे हैं।
अंतिम सप्तमी अष्टमी और नवमी के विशेष पूजन अनुष्ठान के लिए समितियों को लगभग बीस दिन का ही मौका मिला है। आयोजक बताते हैं कि दुर्गा पूजा होगा लेकिन वह भव्यता और वैभव नजर नहीं आएगा जो 99 वर्षों तक आयोजन होता रहा है। कार्यक्रमों का आयोजन जारी होने वाले दिशा निर्देशों के साथ ही छोटे स्तर पर पंडाल की स्थापना के लिए भी शहर के मुखिया यानि जिलाधिकारी की ओर से निर्देश जारी होने वाले दिशा निर्देश पर ही निर्भर है। समितियों की ओर से आनन फानन ही सही मगर तैयारियां शुक्रवार को राज्य सरकार की ओर से आदेश जारी होने के साथ ही शुरू हो चुकी हैं। समिति पदाधिकारियों का कहना है कि मां की मूर्ति भी होगी और पूजा संग पंडाल भी सजेगा, इसके लिए समितियां दिन रात एक कर देंगी।
कोरोना संक्रमण ने दी आर्थिक चोट
जय माता दी स्पोर्टिंग क्लब अर्दली बाजार वाराणसी के अध्यक्ष मिहिर भल्ला ने जागरण से बातचीत करते हुए बताया कि शासन की ओर से दुर्गा पूजा मनाने का निर्देश आने के बाद से ही पंडाल निर्माण शुरू कर दिया गया है। इस बार सबसे बड़ी दुश्वारी आर्थिक संकट की है। कोरोना काल में कारोबार पूरी तरह घाटे में जाने की वजह से जिन कारोबारियों के सहयोग से आयोजन होता था वह भव्य आयोजन इस बार होना मुश्किल है। समितियों को दुर्गा पूजा में चार फुट की मूर्ति की स्थापना करनी है। जहां एक ओर पंडाल की लागत लगभग तीन लाख तक की आती है वहीं दुर्गा मूर्ति भी पचास से साठ हजार रुपये तक की पड़ रही है। लागत में इस बार महंगाई का तड़का भी लगने से समितियों के पदाधिकारी ही आपस में आर्थिक सहयोग कर आयोजन करने की तैयारी कर रहे हैं। इस बाबत जो भी दिशा निर्देश जिला प्रशासन की ओर से जारी किया जाएगा उसका पूरी तरह से अनुपालन किया जाएगा।
बोले जिलाधिकारी
वहीं वाराणसी में दुर्गापूजा के आयोजन को लेकर डीएम कौशल राज शर्मा ने जागरण को बताया कि प्रशासन अभी प्रदेश सरकार की ओर से गाइडलाइन के इंतजार में है। वैसे स्पष्ट रूप से डीएम ने कहा कि कहीं भी दुर्गा प्रतिमा लगाने की छूट नहीं होगी। इसलिए पंडाल निर्माण भी नहीं होंगे। वहीं घर में ही लोग पूजा पाठ कर सकेंगे। शनिवार की देर शाम तक उम्मीद है कि प्रशासन की ओर से इस बाबत आदेश जारी हो।