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वाराणसी में तुलसीघाट की नागनथैया लीला छह नवम्बर को, 28 अक्‍टूबर को होगी मुकुट पूजा

वाराणसी में अखाड़ा गोस्वामी तुलसीदास के तत्वावधान में इस वर्ष श्रीकृष्ण लीला का आरंभ दो नवम्बर से तुलसीघाट पर होगा। इस निमित्त मुकुट पूजा का आयोजन 28 नवम्बर को तुलसीघाट स्थित तुलसी मंदिर में शाम सात बजे किया गया।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Wed, 27 Oct 2021 07:12 PM (IST)Updated: Wed, 27 Oct 2021 07:12 PM (IST)
अखाड़ा गोस्वामी तुलसीदास के तत्वावधान में इस वर्ष श्रीकृष्ण लीला का आरंभ दो नवम्बर से तुलसीघाट पर होगा।

जागरण संवाददाता, वाराणसी। अखाड़ा गोस्वामी तुलसीदास के तत्वावधान में इस वर्ष श्रीकृष्ण लीला का आरंभ दो नवम्बर से तुलसीघाट पर होगा। इस निमित्त मुकुट पूजा का आयोजन 28 नवम्बर को तुलसीघाट स्थित तुलसी मंदिर में शाम सात बजे किया गया।

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इस आशय की जानकारी अखाड़े क महन्त प्रो. विश्वम्भरनाथ मिश्र ने दी है। उन्होंने बताया कि मुकुट पूजा विधि- विधान से उनके द्वारा किया जाएगा। बताया कि इसके बाद लीला विधिवत रूप से दो नवम्बर मंगलवार से शुरू होगी। समापन 20 नवम्बर शनिवार को होगा। सभी लीलाएं शाम छह बजे से आरंभ होंगी। इसी क्रम में काशी के लक्खा मेले में शुमार नाग नथैया लीला (कालिय दमन )आठ नवम्बर सोमवार को अपराह्न तीन बजे तुलसी घाट पर होगी। उन्होंने बताया कि यहां आयोजित श्रीकृष्ण लीलाओं में नागनथैया लीला के अलावा रासलीला, कंस वध, राज्याभिषेक व दशावतार की झांकी काफी महत्वपूर्ण है। उन्होंने बताया कि इस दौरान कोविड गाइड लाइन का पालन किया जाएगा। लीला स्थल पर बिना मास्क के प्रवेश वर्जित होगा। उन्होंने बताया कि कोविड 19 संक्रमण के कारण पिछले वर्ष श्रीकृष्ण लीला का आयोजन नहीं हो पाया था। लीला प्रेमी काशी वासियों को इस श्रीकृष्ण लीला का इंतजार बेसब्री से रहता है। पिछले वर्ष लीला नहीं होने से काशीवासी काफी मायूस हो गए थे। अब उन्हें लीला का आनन्द उठाने का मौका मिल रहा है। उन्होंने कहा कि काशी की लीला प्रेमी जनता अवश्य कोविड गाइड लाइन का पालन करते हुए लीला का आनन्द उठाएगी।

ऐसे करेंगे बाल श्रीकृष्ण लीला :

भगवान श्रीकृष्ण अपने बाल सखा सुदामा के साथ खेलते-खेलते गेंद यमुना में फेंक देते हैं। बाल सखा बाल श्रीकृष्ण से गेंद लाने की जिद करते हैं। श्रीकृष्ण यमुना में कूद जाते हैं। यमुना में कंस द्वारा श्रीकृष्ण को मारने के लिए भेजा गया कालिया नाग रहता था जिससे यमुना का जल विषैला हो गया था। श्रीकृष्ण यमुना में कूदते हैं और कालिय नाग को नाथ कर उसके फन पर नृत्य करते हैं। श्रीमद्भागवत की कथा को यहा श्रीकृष्ण लीला के क्रम में नाग नथैया के रूप में मंचित किया जाता है। यह लीला संत ब्रजवासी दास द्वारा लिखित ब्रज बिलास से होती है। इसका आरंभ गोस्वामी तुलसीदास ने किया।


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