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कालिय नाग का मान मर्दन करने के लिए तुलसीघाट पर भगवान श्रीकृष्‍ण ने कदंब की डाल से कालिंदी में लगाई छलांग

काशी में लक्खा मेला में शुमार तुलसीघाट की ख्यात नागनथैया लीला गुरुवार को शाम ढलते ही सज गई। गंगा ने कालिंदी नदी का रूप लिया और नटवर नागर भगवान श्रीकृष्ण कंदुक खेलने पहुंच गए।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Thu, 31 Oct 2019 04:54 PM (IST)Updated: Thu, 31 Oct 2019 06:38 PM (IST)
कालिय नाग का मान मर्दन करने के लिए तुलसीघाट पर भगवान श्रीकृष्‍ण ने कदंब की डाल से कालिंदी में लगाई छलांग
कालिय नाग का मान मर्दन करने के लिए तुलसीघाट पर भगवान श्रीकृष्‍ण ने कदंब की डाल से कालिंदी में लगाई छलांग

वाराणसी, जेएनएन। काशी में लक्खा मेला में शुमार तुलसीघाट की ख्यात नागनथैया लीला गुरुवार को शाम ढलते ही सज गई। गंगा ने कालिंदी नदी का रूप लिया और नटवर नागर भगवान श्रीकृष्ण कंदुक खेलने पहुंच गए। कालिय नाग के फन नाथने और नृत्य मुद्रा में वेणु वादन करने श्रीकृष्‍ण नदी पर दोपहर बाद तीन बजे ही पहुंच गए। इसके बाद बाल कृष्‍ण स्‍वरुप ने कदंब के पेड़ पर चढ़कर आसन भी जमाया। खेल के दौरान गेंद कालिंदी नदी में जा गिरी तो सखाओं के सामने ही कालिय नाग का मान मर्दन कर उसे नाथ कर फन पर नाचने के लिए जगन्‍नाथ ने नदी में छलांग लगाकर कालिय नाग को नाथ दिया।

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नाग को नाथने के साथ ही कालिंदी तट बनी गंगा का तट हर-हर महादेव के साथ ही जय कन्‍हैया लाल की से गूंज उठा। इस पूरे आयोजन के लिए बुधवार को ही ए‍क दिन पूर्व सभी तैयारियां पूरी कर ली गईं। तुलसीघाट पर कालिय नाग के प्रतिरूप को इससे पहले अंतिम रूप दे दिया गया और सुबह ही आयोजन स्थल पर कालिय नाग के प्रतीक को रख दिया गया। वहीं गंगा नदी के किनारे घाटों की अन‍गिन श्रृंखलाओं पर कतारबद्ध श्रद्धालुओं ने काशी के इस परंपरागत लक्‍खा मेले में नागनथैया का आनंद लिया तो विदेश सैलानियों ने भी अनोखे पल को अपने कैमरे में कैद किया।

गोस्वामी तुलसीदास द्वारा 450 साल पहले शुरू कराई गई लीला का प्रमुख प्रसंग गुरुवार को दोपहर तीन बजे के बाद जीवंत हुआ। इसमें विशाल नाग पर के फन पर चढ़ कर प्रभु श्रीकृष्ण जल में परिक्रमा करते हुए दर्शन दिया। लीला समिति सदस्यों के साथ मिल कर माझी समाज के लोगों ने लगभग 12 फीट लंबे नाग को आकार दिया था। लीला से ठीक पहले नाग को जल में डुबा दिया गया तो सुरक्षा के लिए एक सुरक्षा दस्‍ता भी कालिंदी स्‍वरुप गंगा नदी में तैनात रहा।

हालांकि गंगा का जल स्तर अभी सामान्य न होने से लोगों को तुलसीघाट पर बैठने में दिक्कतें भी आईं मगर सुरक्षा व्‍यवस्‍था चाक चौबंद होने से पूरे आयोजन के दौरान घाट पर स्थिति सामान्‍य बनी रही। घाट के अलावा भी नदी में नौका पर सवार एक ओर काशी नरेश भी मौजूद रहे तो दूसरी ओर आयोजन देखने के लिए नौका पर आस्‍थावानों ने भी सवारी गांठ कर नाग नथैया के इस आयोजन के साक्षी बने। गंगा के किनारे इस दौरान सैलानियों के कैमरे का फ्लैश भी लगातार चमकता रहा। वहीं समारोह के दौरान काशिराज परिवार की परंपरा के अनुरुप अनंत नारायण सिंह ने झांकी दर्शन किया और संकटमोचन मोचन मंदिर के महंत व अखाड़ा गोस्‍वामी तुलसीदास विश्‍वंभर नाथ मिश्र को गिन्‍नी (स्‍वर्ण मुद्रा)भेंट किया।  


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