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नैक ने ली संस्कृत की सुध, जारी किया प्रोफार्मा, अब अंग्रेजी की बाध्यता समाप्त

नेशनल असेसमेंट एंड एक्रिडिशन कौंसिल (नैक) ने अब संस्कृत भाषा में प्रोफार्मा जारी किया है। ग्रेडिंग के लिए पहले सिर्फ अंग्रेजी भाषा में आवेदन की अनुमति थी।

By Edited By: Published: Thu, 11 Apr 2019 08:13 AM (IST)Updated: Thu, 11 Apr 2019 04:38 PM (IST)
नैक ने ली संस्कृत की सुध, जारी किया प्रोफार्मा, अब अंग्रेजी की बाध्यता समाप्त
नैक ने ली संस्कृत की सुध, जारी किया प्रोफार्मा, अब अंग्रेजी की बाध्यता समाप्त
वाराणसी, जेएनएन । नेशनल असेसमेंट एंड एक्रिडिशन कौंसिल (नैक) ने अब संस्कृत भाषा में प्रोफार्मा जारी किया है। ग्रेडिंग के लिए पहले सिर्फ अंग्रेजी भाषा में आवेदन करने की अनुमति थी। अंग्रेजी में प्रोफार्मा होने के कारण तमाम संस्कृत कालेजों को आवेदन करने में परेशानी हो रही थी। वहीं संस्कृत के छात्रों को भी नैक के सवालों का जवाब नहीं देने में कठिनाई आ रही थी। इसके चलते संस्कृत कालेज मूल्यांकन कराने से कतराते थे। इसे देखते हुए नैक ने देशभर के सभी संस्कृत विश्वविद्यालयों व महाविद्यालयों से संस्कृत भाषा में ही रिपोर्ट तैयार करने करने की अनुमति दे दी है। उच्च शिक्षण संस्थाओं को राष्ट्रीय मूल्यांकन व प्रत्यायन परिषद (नैक) से ग्रेडिंग हासिल करना अनिवार्य है। वहीं देशभर के सभी विश्वविद्यालयों के लिए ग्रेडिंग का मानक एक समान बनाया गया था। जबकि प्रोफार्मा में दिए गए कई बिंदु सभी विश्वविद्यालयों पर लागू ही नहीं हो सकता है। कारण देश में अलग-अलग प्रकृति के विश्वविद्यालय व कालेज मौजूद है। खास तौर पर संस्कृत विश्वविद्यालयों व महाविद्यालयों के लिए कई प्वाइंट अव्यवहारिक है। कुछ संस्कृत विश्वविद्यालयों ने इस पर आपत्ति भी जताई थी। इसे देखते हुए नैक ने देशभर के 18 संस्कृत विश्वविद्यालय व हजारों संस्कृत महाविद्यालयों के लिए कई प्वाइंट हटा दिया है। इसके स्थान पर पौरोहित्य, कर्मकांड, वास्तुशास्त्र, ज्योतिष सहित अन्य परंपरागत क्षेत्रों में हो रहे कार्य का अंक जोड़ कर दिया है। यही नहीं संस्कृत से जुड़ी शैक्षिक संस्थाओं के लिए मूल्यांकन का मानक भी शिथिल कर दिया है। इससे अब संस्कृत से जुड़ी संस्थाओं को मूल्यांकन कराने में काफी सहूलियत होगी। '' संस्कृत विश्वविद्यालयों व कालेजों के लिए नैक ने मानक में आंशिक परिवर्तन किया है। सेमिनार, संगोष्ठी के स्थान पर अब शास्त्रार्थ, गुरु-शिष्य की परंपरा, शास्त्रार्थ का भी अंक मिलेगा। -प्रो. सुधाकर मिश्र, समन्वयक, आइक्यूएसी सेल संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय।

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