लोकसभा चुनाव 2019 : रमजान के साथ बनाकर समन्वय, सुनिश्चित की लोकतंत्र की जय
रमजानुल मुबारक के रोजे रखने और इबादतों का एहतेमाम करने के साथ मुस्लिम मतदाताओं ने लोकतंत्र के पर्व में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया।
वाराणसी, जेएनएन। रमजानुल मुबारक के रोजे रखने और इबादतों का एहतेमाम करने के साथ मुस्लिम मतदाताओं ने लोकतंत्र के पर्व में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। कयास लगाए जा रहे थे कि रमजान के कारण मुस्लिम मतदाताओं का वोट फीसद प्रभावित रहेगा, मगर रोजेदारों के उत्साह ने सारे गुणा-गणित को धता बता दिया।
बात चाहे रेवड़ी तालाब की हो, लल्लापुरा, मदनपुरा या पीलीकोठी की हो। हर जगह रोजेदारों का उत्साह बरकरार रहा। रेवड़ी तालाब स्थित जय नारायण इंटर कालेज में साथ बूथ बनाए गए थे। सहरी करने के बाद फज्र की नमाज अदा हुई। इसके बाद मुस्लिम घरों में इसी बात पर मंथन किया गया कि परिवार का कौन सा सदस्य किस समय वोट देने जाएगा। जय नारायण इंटर कालेज में सुबह 6.30 बजे पहुंचे 70 वर्षीय मोहम्मद फारूक ने बताया कि फज्र की नमाज के बाद आंख ही नहीं लगी। किसी तरह समय काटा और केंद्र पर पहले इसी वजह से पहुंचा हूं, ताकि अपने लोकतांत्रिक अधिकारों का फरीजा जल्द से जल्द अदा कर सकूं। हालांकि ईवीएम में तकनीकि दिक्कत के चलते उन्हें अपना वोट डालने के लिए सुबह 8.10 बजे तक का इंतजार करना पड़ा। कयास लगाए जा रहे थे कि मुस्लिम मतदाता की भीड़ सुबह 7 से 9 और शाम को चार बजे के बाद उमड़ेगी। ऐसा अर्दली बाजार स्थित मदरसा खानम जान व आस-पास बने बूथों पर हुआ भी। मगर सरैंया स्थित मदरसा इस्लामिया, प्राथमिक विद्यालय सरैंया, नेशनल इंटर कालेज-पीलीकोठी, काजीसादुल्लाहपुरा, मनहर, छोहरा, जैतपुरा, सनातन धर्म इंटर कालेज आदि क्षेत्रों में बने बूथ पर रोजेदारों के आने का सिलसिला सुबह से शुरू होकर शाम तक चला। हालांकि मुस्लिम वोटरों के मतदान फीसद में पिछले वर्ष के मुकाबले मामूली अंतर रहा, जिसके कई कारण भी हैं। फिर भी मुस्लिमों का मतदान फीसद 55 फीसद के आस-पास रहा। क्षेत्र के संभ्रांत लोगों की ओर से मतदान केंद्र तक रोजेदारों को लाने व ले जाने के लिए ई-रिक्शे के प्रबंध किए गए थे।
अपने-अपने हिसाब से बनाई रणनीति
रोजदारों में कइयों की योजना थी कि सुबह सबसे पहले पहुंचकर मतदान किया जाए। वहीं कुछ का मानना था कि दोपहर के समय धूप के कारण केंद्र खाली रहेंगे, और लाइन नहीं लगाना पड़ेगा। दोपहर (जोहर) की नमाज के बाद ऐसे लोगों की भीड़ मतदान केंद्रों पर उमड़ी। वहीं फज्र की नमाज व तिलावते कलामपाक से फरिग होकर सोए लोग जैसे-जैसे उठे, मतदान केंद्रों का रुख किया।
सूरज की तल्खी और आधी आबादी का हौसला
लोकसभा चुनाव 2019 में मुस्लिम महिलाओं का मतदान फीसद 50 से 55 रहा, जो भीषण गर्मी व रोजे की हालत को देखते हुए बहुत ही बेहतर कहा जा सकता है। नेशनल इंटर कालेज के प्रिंसीपल जावेद अहमद अंसारी ने बताया कि उनके यहां कुल दस बूथ बनाए गए थे। सुबह से ही मुस्लिम महिलाओं की उपस्थित बूथ पर रही, जो पूरे दिन कायम भी रही। हालांकि रमजान के महीने में महिलाओं का घरों से निकलकर मतदान करना आसान नहीं था। भोर में 2.30 से तीन बजे के बीच उठकर परिवार के लिए सहरी का प्रबंध करना। करीब पौने चार बजे अजान के बाद नमाज, फिर तिलावते कलामपाक का एहतेमाम और फिर बर्तन की सफाई आदि जैसे काम के बाद अमूमन महिलाएं थोड़ा आराम करती हैं। वहीं दोपहर (जोहर) की नमाज व तिलावते कलामपाक के बाद शाम के इफ्तार की तैयारी में मशगूल होना इनकी दिनचर्या है। ऐसे में सुबह सात बजे से लेकर शाम को 6 बजे के बीच मतदान के लिए समय निकालना इनके लिए किसी चुनौती से कम न था। पारिवारिक दायित्वों संग रमजान के साथ समन्वय बनाना और लोकतंत्र के सबसे बड़े पर्व में शामिल होना मुस्लिम महिलाओं की सोच में आए व्यापक बदलाव का परिचायक है।
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