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गंभीर बीमारियों का संकेत है मुंह की दुर्गंध, इसे नजरअंदाज करने से हो सकती हैं यह समस्‍याएं

मुंह की दुर्गध को अमूमन लोग हल्के में लेते हैं।

By Edited By: Published: Thu, 09 Jan 2020 02:00 AM (IST)Updated: Thu, 09 Jan 2020 08:59 AM (IST)
गंभीर बीमारियों का संकेत है मुंह की दुर्गंध, इसे नजरअंदाज करने से हो सकती हैं यह समस्‍याएं
गंभीर बीमारियों का संकेत है मुंह की दुर्गंध, इसे नजरअंदाज करने से हो सकती हैं यह समस्‍याएं

वाराणसी, जेएनएन। मुंह की दुर्गंध को अमूमन लोग हल्के में लेते हैं। यह लीवर, फेफड़े या पेट से संबंधित गंभीर बीमारी का संकेत भी हो सकता है। इसलिए मुंह से दुर्गंध आने पर सावधान हो जाएं व दंत रोग विशेषज्ञ से परामर्श लें। हालांकि अच्छी तरह सफाई नहीं करने या एसिडिटी की वजह से भी मुंह से दुर्गध आती है। यह कहना है दंत चिकित्सा विज्ञान संकाय-बीएचयू के कृत्रिम दंत चिकित्सा व प्रत्यारोपण विशेषज्ञ डा. पवन दुबे का। दैनिक जागरण के हैलो डाक्टर कार्यक्रम में उन्होंने पाठकों की समस्याएं सुनी व परामर्श भी दिए। डा. दुबे ने बताया दातों में दर्द होने पर उनको निकलवा देना हल नहीं। बेहतर ट्रीटमेंट से भी दातों की सुरक्षा हो सकती है। दातों के दर्द को हल्के में नहीं लेना चाहिए। समय-समय पर कुशल चिकित्सकों की सलाह लेते रहें। इससे दातों की देखभाल संग बीमारियों से भी बचाव होता है। दातों का खोखला या पीला होना, पस पड़ना आदि पर घबराना नहीं चाहिए, बल्कि नियमित उपचार कराना चाहिए।

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इन्होंने पूछे सवाल

ठंडी चीजें खाने पर झनझनाहट हो रही है। --- श्याम प्रसाद, लक्ष्मीनगर कालोनी

-आपके दांत में कैविटी हो सकती है। कुशल दंत चिकित्सक से परामर्श लें। इस मौसम में अधिक ठंडा खाद्य या पेय पदार्थ लेने से भी झनझनाहट होती है। ऐसे में फ्लोराइड वाले टूथपेस्ट का प्रयोग करें।

ब्रश करने के बाद भी बेटी के मुंह से दुर्गध दूर नहीं होती। ---उमाशंकर गुप्त, चेतगंज

- मुंह की सफाई अच्छी तरह नहीं होना इसका प्रमुख कारण है। साथ ही अधिक समय तक खाली पेट रहने पर एसिडिटी के कारण भी ऐसा होता है। इसलिए नियमित अंतराल पर कुछ न कुछ खाते रहें। कुछ नहीं मिले तो पानी जरूर पिएं, ताकि एसिडिटी न हो।

पत्नी के दो दांतों का ब्रिजिंग कराना है। ---डा. बलराज कुशवाहा, सुदामापुर

-ट्रामा सेंटर परिसर स्थित दंत चिकित्सा विज्ञान संकाय भवन में दूसरे तल पर दंत प्रत्यारोपण विभाग है। यहां किसी भी कार्यदिवस में आकर इस संदर्भ में परामर्श ले सकते हैं।

जबड़े में पीछे की तरफ तेज दर्द है। डाक्टर ने बताया था कि दांत निकल रहा है। ---अंकिता, महमूरगंज

-थर्ड मोलर जब निकलता है तो कभी-कभी त्वचा या मसूढ़ा उस पर चढ़ा होता है। ऐसी स्थिति में कुछ भी खाने पर दर्द होता है। एक छोटी सर्जरी के माध्यम से इसे ठीक किया जा सकता है।

पिता जी के एक-दो दांत निकल गए हैं, क्या बीएचयू में इंप्लांट लग सकता है। ---रोहित श्रीवास्तव, पांडेयपुर

- जी बिल्कुल। यहां सर्जरी का खर्च मात्र 500 रुपये है। अपने बजट के अनुसार मरीज इंप्लांट लगवा सकता है।

- छोटे बच्चों के दांतों में सड़न न हो इसके लिए क्या सावधानी बरतनी चाहिए। ---आनंद कुमार, नदेसर

- छह माह में बच्चे के दांत निकलने शुरू हो जाते हैं। बच्चा बोतल से दूध पीते हुए सोए नहीं। सूती कपड़े को हल्का सा भिगोकर उसका मुंह नियमित तौर पर साफ करते रहें। वहीं थोड़ा बड़ा होने पर यदि उसके दांतों में सड़न होने लगे तो घबराएं नहीं, बल्कि दंत चिकित्सक के पास लाएं। उसका भी उपचार है। बच्चे को शुरू से ही दांतों की अच्छी सफाई के लिए प्रेरित करते रहें।

अमरूद खाते समय उसका बीज दांतों में फंस गया था। छह माह बाद दर्द शुरू हुआ। इलाज भी कराया। अब भी खाना खाते समय दर्द रहता है। ---अजय कुमार, सारनाथ

- आपने जब इलाज कराया, उस समय कैविटी अधिक नहीं रही होगी। एक बार फिर से एक्स-रे कराना होगा। अधिक दिक्कत होने पर रूट कैनाल ट्रीटमेंट से ठीक किया जा सकता है।

दांतों में दर्द रहता है। जबड़े में नीचे दाहिनी ओर के पूरे दांत खराब हो गए हैं। ---मंजू, अलईपुर

- कैविटी कहीं न कहीं दांत की जड़ तक पहुंच गया है। एक्स-रे कराएं। उसी के हिसाब से उपचार होगा।

दंत प्रत्यारोपण के बारे में बताएं। ---बेचन शर्मा, मलदहिया

- टूटे हुए दांत के अगल-बगल के दांत बेहतर होने पर क्राउन ब्रिज लगाए जाते हैं। दांत न होने पर प्रत्यारोपण करना पड़ता है। दांत के जड़ जैसी संरचना (टाइटेनियम स्क्रू) को ऑपरेशन कर मसूढ़े में फिट कर दिया जाता है। पांच-छह माह बाद ठीक होने पर दोबारा सर्जरी कर स्क्रू पर कैप फिट कर दिया जाता है।

बचपन में ही दांत की सफाई कराई थी, जिसके दो-तीन साल बाद से दांतों में दिक्कत होने लगी। ---ज्योति, बीएचयू

-सफाई कराने से ऐसा बिल्कुल नहीं होता है। यह महज भ्रम है। दांतों का पतलापन या टेढ़ा-मेढ़ा होना हड्डी गलने से होता है, जिसकी वजह हार्मोनल चेंज है। एक्स-रे व ब्लड टेस्ट से इसका पता लगाया जा सकता है। हार्मोनल चेंज की वजह से मसूढ़ों के पास सूजन आ जाती है। वहां बैक्टीरिया घर बनाकर लगातार एसिड से दांत को कमजोर करते हैं।

मोलर दांत आधा टेढ़ा हो गया है। इससे बगल वाले दांत पर दबाव रहता है। --- मनीष कुमार, पहड़िया

-आठवें दांत यानी मोलर को निकलवा लेंगे तो सातवें का बेहतर इलाज संभव है। फिलिंग से काम चल सकता है। एक्स-रे में अधिक गहरा होने पर आरसीटी कराना होगा।

मेरी उम्र 85 वर्ष है। दांत से पस निकलता है। ---यूजे खरे, लक्सा

- दांतों की जड़ों में रूट केरीज हो गई है। कैविटी हटाकर दांतों की सफाई करने पर यह ठीक हो जाएगा। कुशल दंत चिकित्सक को दिखाएं।

दांत में दिक्कत है, गैप अधिक हो गया है। ---आनंद शर्मा, जाल्हूपुर

हड्डी कम होने या दांतों की गंदगी से भी ऐसा हो सकता है। इससे शूगर भी बढ़ता है। मुंह ही सफाई हर छह से आठ माह में कराएं। दांतों के बीच गैप में सफाई के लिए 'इंटर डेंटल ब्रश' का प्रयोग करें।

पान खाने की वजह से दांतों में पीलापन व दर्द है। --गौरव दीक्षित, भदोही

पहले तो आपको पान खाने की आदत छोड़नी होगी। नियमित दांतों की सफाई कराएं व चिकित्सीय परामर्श लेते रहें।

मेरी उम्र 40 वर्ष है और मैं पायरिया से ग्रसित हूं। ---रंजीत कुमार, डाफी

-इसके लिए कुछ टेस्ट होते हैं। कभी-कभी विटामिन-सी व आयरन की कमी से भी ऐसी दिक्कत होने लगती है। आपको विटामिन-सी के सप्लीमेंट लेने होंगे। सफाई कराने के साथ ही नियमित आयरन स्तर भी चेक कराना होगा। धीरे-धीरे यह कम हो जाएगा।

चाकलेट खाने पर दांतों में झनझनाहट रहती है। --- जागृति श्रीवास्तव, बड़ी गैबी

- चाकलेट में कुछ ऐसे तत्व होते हैं, जिससे दांतों के उपर की परत पतली होने पर ऐसा हो सकता है। फिर भी तसल्ली के लिए चिकित्सीय परामर्श जरूर लें।

मेरी उम्र 78 साल है। बहुत ही कम दांत बचे हैं, प्रत्यारोपण कराना चाहता हूं। ---गोपाल दास नागर, चौखंभा

- कितने दांत बचे हैं, उनकी ऊंचाई कितनी है, डायग्नोस करके उसी के हिसाब से इंप्लांट लगाए जाते हैं। बीएचयू के दंत चिकित्सा विज्ञान संकाय में भी इसके लिए संपर्क किया जा सकता है।

दांतों में कुछ काला स्पाट था, अब उसमें दर्द होने लगा है। ---उत्कर्ष त्रिपाठी, सारनाथ

- एक्स-रे कराने के बाद ही स्थिति स्पष्ट होगी। ऊपरी फिलिंग कराने पर भी यह ठीक हो सकता है। किसी कुशल दंत चिकित्सक को दिखाएं।

मसूढ़ों में दो दिन से सूजन है। पेन किलर खाने का भी कोई लाभ नहीं मिल रहा। ---अवनी सेठ, बड़ी पियरी

-संक्रमण की वजह से ऐसा हो सकता है। दांत भी निकालने पड़ सकते हैं।

- छह साल का बेटा है। नीचे के दो दांत गिर गए, जो अभी तक नहीं आए। ---केशव, सिद्धगिरी बाग

- ओपीजी एक्स-रे होता है, जिससे पता चलता है कि दूध के दांत कितने बचे हैं और स्थाई दांत कितने बन रहे हैं। इससे समस्या का पता चल जाएगा। जरूरत पड़ी तो दूध के दांत को हटाया भी जा सकता है।

बच्चों को लेकर बरतें विशेष सजगता

- छह माह में बच्चों के दूध के दांत निकलने शुरू होते हैं, जो 12-14 वर्ष की उम्र तक रहते हैं। माताओं की जिम्मेदारी है कि जब नन्हा बच्चा सोए तो उसके मुंह से दूध की बोतल हटा दें। सूती कपड़ा हल्का भिगोगर मुंह के भीतर की नियमित सफाई करती रहें। इससे 'नर्सिग बॉटल केरीज' नहीं होगी। यदि किसी बच्चे को नर्सिग बॉटल केरीज होती है तो एक्स-रे करके जीआइसी या कंपोजिट से उसे भर दिया जाता है। उस दांत को तब तक देखभाल की जरूरत होती है, जब तक की उसके स्थान पर परमानेंट दांत न निकल जाए। अनियमित दिनचर्या से बचें - खाली पेट अधिक देर तक न रहें। इससे सिस्टमिक हैलोटोसिस हो सकता है। वहीं मुंह की नियमित साफ-सफाई न करने पर लोकल हैलोटोसिस होने का अंदेशा बना रहता है। यह अमूमन अनियमित दिनचर्या के परिणामस्वरूप होते हैं। इसलिए अपनी दिनचर्या को दुरुस्त रखें।

हड्डी में इस तरह फिट हो रहे इम्प्लाट

- दांत टूटने पर डेंचर और उसके बाद फिक्स ब्रिज लगाए जाते थे। अब टाइटेनियम के इम्प्लाट लगाए जा रहे हैं। सर्जरी कर ये जबड़े की हड्डी में फिक्स हो जाते हैं। पांच-छह माह बाद एक बार फिर छोटी सर्जरी कर उस इंप्लांट पर मेटल कैप लगा दी जाती है।

इन्हें नहीं लगाया जा सकता इंप्लांट

- डा. पवन के मुताबिक डायबिटीज, मेटाबोलिक डिस-आर्डर, क्रॉनिक स्मोकर सहित मनोविकार से ग्रसित व्यक्ति को इंप्लांट नहीं लगाया जाता है। हालांकि कंट्रोल डायबिटीज में इसे लगाया जा सकता है, लेकिन मरीज को अपना शूगर लेवल मेंटेन रखना होगा। इसमें भी संक्रमण की संभावना रहती है। साफ-सफाई मेंटेन न करने पर 'पेरी इंप्लांटाइटिस' होने का अंदेशा रहता है।

पायरिया का इलाज न कराने से गल रही हड्डी

- दातों की सफाई न रखने से मसूड़े सूज जाते हैं। इसके बाद हड्यिा गलने लगती हैं और मुंह से बदबू आती है। दात हिलने लगते हैं। इलाज से यह सही हो जाते हैं। बच्चों के टेढ़े न हों दात - छह से आठ महीने के बच्चों में दात आने लगते हैं, छह से आठ साल के बाद पहले दात टूट जाते हैं उनकी जगह पक्के दात आते हैं। इस दौरान चेकअप कराते रहें, कई बार दातों को बाहर निकलने के लिए जगह नहीं मिलती है और टेढ़े हो जाते हैं। ऐसे दांत ऑर्थोडोंटिंक ट्रीटमेंट से सही हो सकते हैं।

ऐसे मेंटेन करें डेंटल हाइजीन

- डेंटल हाइजीन नियमित तौर पर मेंटेन करें।

- ऊपर से नीचे की तरफ ब्रश करें या गोल-गोल घुमाएं।

- सुबह व रात में ब्रश करना चाहिए।

- डेंटल फ्लोस से दातों के बीच की गंदगी साफ कर सकते हैं।

- छह से आठ महीने तक के बच्चों के दात को सूती कपड़े से साफ करें।

- 10 महीने के बच्चों के लिए बेबी ब्रश आते हैं।


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