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दारानगर में डेंगू से मां-बेटी की मौत, एक सप्ताह में खत्म हो गया आधा परिवार, मोहल्ले के दो अन्य चपेट में

डेंगू से गंभीर रुप से पीडि़त दारानगर निवासी मां-बेटी ने सप्ताह भर के अंतराल पर दम तोड़ दिया।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Sun, 24 Nov 2019 10:04 PM (IST)Updated: Sun, 24 Nov 2019 10:04 PM (IST)
दारानगर में डेंगू से मां-बेटी की मौत, एक सप्ताह में खत्म हो गया आधा परिवार, मोहल्ले के दो अन्य चपेट में
दारानगर में डेंगू से मां-बेटी की मौत, एक सप्ताह में खत्म हो गया आधा परिवार, मोहल्ले के दो अन्य चपेट में

वाराणसी, जेएनएन। डेंगू से गंभीर रुप से पीडि़त दारानगर निवासी मां-बेटी ने सप्ताह भर के अंतराल पर दम तोड़ दिया। निजी अस्पताल में इलाज के दौरान मां की मौत 16 नवंबर को हुई तो बेटी की भी सांसें शनिवार को थम गईं। स्वर्णकार क्षत्रिय कमेटी के कार्य समिति सदस्य विजय वर्मा की पत्नी किरण वर्मा (42 वर्ष) की 15 नवंबर को तबीयत बिगड़ी तो उन्हें महमूरगंज स्थित निजी अस्पताल ले गए। डाक्टरों ने जांच के बाद उनके डेंगू पीडि़त होने की पुष्टि की। हालत में सुधार न होने पर उन्होंने पत्नी को ककरमत्ता स्थित निजी अस्पताल में भर्ती कराया जहां अगले ही दिन उनकी मौत हो गई।

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मां की मौत का दर्द तो डेंगू के डंक से बेटी खुशबू वर्मा (17 वर्ष) की हालत भी 17 नवंबर को गंभीर हो गई। महमूरगंज स्थित उसी निजी अस्पताल ले जाया गया जहां डेंगू की पुष्टि की गई। इस बीच 20 नवंबर की रात तबीयत बिगडऩे पर प्लेटलेट भी चढ़ाया गया। सुधार न होने पर विजय वर्मा ने बेटी को समीप स्थित एक अन्य निजी अस्पताल में भर्ती कराया जहां 23 नवंबर की शाम इलाज के दौरान उसकी भी मौत हो गई। खुशबू अग्रसेन पीजी कॉलेज में बीए द्वितीय वर्ष की छात्रा थी।

आधा परिवार बिछुड़ जाने से आहत विजय वर्मा के पुत्र सूरज ने अस्पतालों की व्यवस्था व स्वास्थ्य विभाग को जमकर कोसा। कहा डेंगू ने उनकी मां व बहन को छीन लिया। इसके अलावा दारानगर में कई अन्य डेंगू की चपेट में हैैं और निजी अस्पतालों में इलाज करा रहे हैैं। इनमें रामशरण यादव की पत्नी और रामअवतार सिंह के मकान में एक किराएदार भी इसकी चपेट में हैैं।

मोहल्ले के हालात डेंगू के अनुकूल

मोहल्ले के हालात भी डेंगू मच्छरों के पनपने के लिहाज से अनुकूल हैैं। मिनी ट्यूबवेल के आसपास भी पानी पसरा रहता है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि कई बार कहने पर चूना का छिड़काव कर खानापूर्ति कर दी गई। नमी वाली गलियों में लार्वारोधी दवा छिड़कना तो दूर स्वास्थ्य विभाग से कोई झांकने तक नहीं आया। यह स्थिति तब है जब डेंगू सीजन बीतने के बाद भी इसके प्रकोप को देखते हुए शासन के निर्देश पर स्वास्थ्य विभाग समेत अन्य विभाग संचारी रोग जागरूकता सप्ताह मना रहा है। इसमें हर विभाग को अलग-अलग जिम्मेदारी देने के साथ कई स्तरों पर नोडल अधिकारी तैनात किए गए हैैं।

महकमा अनजान

डेंगू से मां-बेटी की मौत के बाद भी स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह अनजान रहा। रविवार सुबह जानकारी देने के बाद भी वेक्टर बार्न डिजीज के नोडल प्रभारी डा. एसएस कन्नौजिया का कहना था कि सोमवार को दस्ता भेज कर वे इसकी पुष्टि कराएंगे।

ताक पर फरमान

बहरहाल, इससे डेंगू मरीज मिलने पर निजी अस्पतालों द्वारा सीएमओ दफ्तर को तत्काल सूचना देने के शासकीय निर्देश की स्थिति भी सामने आ गई। स्वास्थ्य विभाग के पास अब तक डेंगू से सिर्फ अस्सी में एक मौत की सूचना दर्ज है। कई मामलों में डेंगू के बजाय मौत के अन्य कारण गिनाए जा रहे हैैं लेकिन लोग यह भी सवाल उठा रहे हैैं तो मरीजों के स्वजनों को फिर कैसे  अस्पतालों द्वारा इलाज के दौरान डेंगू बताए जा रहे हैैं। स्वास्थ्य विभाग सख्ती व सतर्कता के बजाय सिर्फ कागजी घोड़े दौड़ा रहा है। यह बात और है कि सरकारी अस्पतालों के वार्ड वायरल बुखार के साथ ही डेंगू के मरीजों से भरे पड़े हैैं। 


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