बनारस में इस सीजन का सबसे भयावह धुंध का प्रकोप,दृश्यता हुई एक किलामीटर से कम
इस सीजन का पहला और सबसे भयावह धुंध का प्रकोप काशी में शुक्रवार को पूरे दिन देखने को मिला। इसके साथ ही घने बादलों का साया भी बनारस के आसमान पर छाया रहा जिसकी वजह सेे सूर्य की रोशनी तक धरती से काफी दूर रही।
वाराणसी, जेएनएन। इस सीजन का पहला और सबसे भयावह धुंध का प्रकोप काशी में शुक्रवार को पूरे दिन देखने को मिला। इसके साथ ही घने बादलों का साया भी बनारस के आसमान पर छाया रहा, जिसकी वजह सेे सूर्य की रोशनी तक धरती से काफी दूर रही। चार बजे के बाद थोड़े बादल घटे तो, लेकिन धूप फिर भी शाम तक लगभग नदारद रही। इस वजह से बनारस का न्यूनतम तापमान 14.8 होने के बावजूद भी ठंड काफी तेज महसूस की गई। तमिलनाडु के तटीय इलाके पर आए निवार चक्रवात का असर भी शुक्रवार को काशी में छाए घने बादलों के रूप में देखा गया।हवाओं में नमी 77 फीसद और दृश्यता दिन में एक व शाम को दो किलोमीटर तक दर्ज की गई। जब धुंध का प्रकोप बढ़ता है तो दृश्यता एक किलोमीटर से कम हो जाती है। प्रदूषण समेत गर्म हवा और नम बादल मिलकर प्राय: इस तरह का संयोग बनाते हैं।
बहुत जल्द घने कोहरे और ओस की शुरूआत वाराणसी समेत पूरे पूर्वांचल में देखा जाएगा
बीएचयू के मौसम विज्ञानी प्रो. मनोज कुमार श्रीवास्तव के अनुसार यह धुंध अब कोहरे की शक्ल में आ रहा है। बहुत जल्द घने कोहरे और ओस की शुरूआत वाराणसी समेत पूरे पूर्वांचल में देखा जाएगा। उन्होंने बताया कि निवार चक्रवात का असर अब कम हो गया है। वहीं बारिश की कोई संभावना दूर-दूर तक नहीं दिख रही है। बीएचयू स्थित ग्रामीण कृषि मौसम सेवा के नोडल अधिकारी प्रो. आर. के. मल्ल व तकनीकी अधिकारी शिव मंगल सिंह ने बताया की आने वाले आने वाले दो दिन तक आसमान में कहीं - कहीं छिट-पुट बादल अभी दिखाई दे सकते हैं। उसके बाद मौसम के साफ रहने की संभावना है। इसके अलावा धीरे - धीरे न्यूनतम और अधिकतम तापमान में गिरावट भी होगी। सुबह और शाम थोड़ी देर के लिए कोहरा बनेगा, जिसके फलस्वरूप गलन वाली ठंडी में इजाफा होगा।